विपक्ष का भविष्य तय करेगी राहुल की ‘भारत न्याय यात्रा’    

कुछ दिनों की तनावपूर्ण शांति के बाद मणिपुर में हिंसा का दौर फिर से आरंभ हो गया है। पिछले कुछ दिनों के दौरान मोरह में पुलिस आउट पोस्ट पर बमों व बंदूकों से हमला किया गया, जिसमें 4 कमांडो सहित पांच व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गये। इम्फाल ईस्ट ज़िले के तुमुखोंग गांव में एक ग्रामीण गार्ड बम विस्फोट में घायल हुआ जबकि इससे एक दिन पहले इम्फाल वेस्ट में एक गार्ड की हत्या कर दी गई थी। मणिपुर में पिछले साल 3 मई को हिंसा भड़की थी, जिसको अभी तक नियंत्रित नहीं किया जा सका है। उत्तर-पूर्व के अन्य राज्यों में भी हालात चिंताजनक हैं। मसलन म्यांमार में चल रहे गृह युद्ध के कारण पहले तो वहां के नागरिक मिज़ोरम में शरण ले रहे थे लेकिन अब जब लोकतंत्र समर्थक सशस्त्र देशज गुटों के हमले म्यांमार सेना के कैम्पों पर निरन्तर बढ़ते जा रहे हैं तो म्यांमार सैनिक अपने हथियारों सहित मिज़ोरम में घुस रहे हैं। नवम्बर से अब तक 255 सैनिक आ चुके हैं, जिनमें अधिकारी भी शामिल हैं। अब यह सैनिक, जिन्हें ‘तत्मादाव’ भी कहा जाता है, असम राइफल्स की सुरक्षित कस्टडी में हैं। हालांकि 29 दिसम्बर, 2023 को नई दिल्ली में उल्फा (वार्ता-समर्थक), केंद्र व राज्य सरकारों के बीच तीन पक्षीय मेमोरेंडम ऑफ सेटलमेंट पर हस्ताक्षर किये गये, लेकिन परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उल्फा (आई) ने इस समझौते का ज़बरदस्त विरोध किया है और अनेक जगहों पर हिंसा भी की है। 
इस पृष्ठभूमि में कांग्रेस नेता राहुल गांधी आगामी 14 जनवरी को अपनी 66 दिन की ‘भारत न्याय यात्रा’ इम्फाल से शुरू करेंगे। यात्रा आरंभ करने के लिए मणिपुर को विशेष रूप से इसलिए चुना गया है ताकि उत्तर-पूर्व के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में देशज-हिंसा के घावों को भरने का प्रयास किया जा सके। गौरतलब है कि एक वर्ष पहले राहुल गांधी दक्षिण से उत्तर की पांच माह लम्बी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले थे। अब यह उनकी दूसरी यात्रा होगी जो मणिपुर से मुम्बई तक की होगी। यह यात्रा 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले की जा रही है और इसका उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय से जुड़े मुद्दे उठाना व उनसे नागरिकों को जोड़ना है। 
इससे स्पष्ट है कि राहुल गांधी आम चुनाव के लिए विपक्ष का एजेंडा तय करने का प्रयास कर रहे हैं, यानी ‘इंडिया’ गठबंधन लोकतंत्र व संविधान बचाने, महंगाई, बेरोज़गारी, जातिगत जनगणना व सामाजिक न्याय को अपना मुख्य मुद्दा बनायेगा जबकि दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल के अयोध्या कार्यक्रम और मन की बात के 108वें एपिसोड (जिसमें उन्होंने हिन्दू मान्यताओं के अनुसार 108 की संख्या की पवित्रता पर अधिक बल दिया) से स्पष्ट है कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ‘विकास व विरासत’ के नारे के तहत विकास व धार्मिक राष्ट्रवाद को अपना चुनावी मुद्दा बनायेगी। 
बहरहाल पूरब से पश्चिम की राहुल गांधी की यह दूसरी यात्रा 14 राज्यों में 85 ज़िलों से बस पर और पैदल चलते हुए 6,200 कि.मी. तय करेगी। कन्याकुमारी से श्रीनगर की भारत जोड़ो यात्रा में पैदल ही 14 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को 7 सितम्बर, 2022 व 30 जनवरी 2023 के बीच कवर किया गया था, जिसमें आर्थिक असामनता, ध्रुवीकरण व तानाशाही जैसे मुद्दे उठाये गये थे। 30 मार्च, 2024 को मुम्बई में समाप्त होने वाली ‘भारत न्याय यात्रा’ मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र को कवर करेगी। यह यात्रा मुख्यत: बस से होगी, लेकिन बीच-बीच में पदयात्रा भी होगी। मध्य प्रदेश, राजस्थान व महाराष्ट्र में राहुल गांधी दूसरी बार यात्रा करेंगे।
यह दूसरी यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दल सीटों के बंटवारे का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल यात्रा पर तृणमूल कांग्रेस व समाजवादी पार्टी की क्या प्रतिक्रिया रहती है। उनकी प्रतिक्रिया से स्पष्ट हो जायेगा कि आम चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन की चुनौती कितनी सक्षम होगी। इन दोनों पार्टियों ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में हिस्सा नहीं लिया था, हालांकि उन्हें श्रीनगर के अंतिम पड़ाव के लिए आमंत्रित किया गया था। तब कांग्रेस ने 23 पार्टियों को आमंत्रित किया था, लेकिन आठ ने ही हिस्सा लिया था। ध्यान रहे कि ‘भारत न्याय यात्रा’ का निर्णय हाल की कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की बैठक में लिया गया था। कुछ नेताओं ने यात्रा न करने की सलाह भी दी थी क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि जब देश चुनाव मोड में हो तो उसका ध्यान किसी ओर लगाया जाये। इसके विपरीत अन्य नेताओं की राय थी कि भारत जोड़ो यात्रा की सफलता को भारत न्याय यात्रा में दोहराने से कांग्रेस को लाभ होगा और इससे पार्टी की चुनावी तैयारियों पर भी कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर