पाक में चुनाव से पहले बढ़ सकते हैं आतंकी हमले

पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फार कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज़ की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में पाकिस्तान में हिंसा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। देश में हमलों की संख्या में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी। इन घटनाओं से होने वाली मौतों की संख्या में लगभग 81 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि घायलों की संख्या में 62 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 12 दिसम्बर, 2023 को लड़ाकों ने उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में एक सैन्य चौकी पर हमला कर गोलीबारी शुरू कर दी। फिर विस्फोटकों से भरे एक वाहन को वहां से लगभग 60 किलोमीटर दूर दरबान शहर में सैन्य अड्डे में ले जाकर टक्कर करवा दी। यह सैन्य अड्डा डेरा इस्माइल खान शहर, खैबर पख्तूनख्वा के अशांत प्रांत में स्थित है जो अफगानिस्तान से लगे अराजक आदिवासी क्षेत्रों के निकट है। पाकिस्तानी सेना ने एक बयान में कहा था कि बंदूक और आत्मघाती बम हमले में कम से कम 23 लोग मारे गये।
2 दिसम्बर, 2023 को पाकिस्तान के गिलगित-बलतिस्तान में चिलास शहर के पास हमलावरों के एक समूह ने एक परिवहन बस पर हमला कियी, जो चीन के साथ पाकिस्तान की सीमा के पास देश के उत्तर में एक स्वायत्त क्षेत्र है। काराकोरम पर्वत श्रृंखला के माध्यम से पाकिस्तान को चीन से जोड़ने वाले काराकोरम राजमार्ग पर 45 नागरिक यात्रियों को ले जा रही बस पर हथियारबंद लोगों ने हमला कर दिया जिसमें 10 यात्रियों की मौत हो गयी तथा अनेक लोग घायल हो गये। 1 जनवरी, 2024 को प्रकाशित आंकड़ों से पता चला कि पाकिस्तान को 2023 में लगभग 645 आतंकवादी हमलों का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 976 मौतें हुईं और 1,354 लोग घायल हुए। यह पूरे वर्ष में लगभग हर 14 घंटे में एक हमले के बराबर है। 2022 में 380 हमले दर्ज किये गये, जिनमें 539 मौतें हुईं और 836 लोग घायल हुए।
2023 में पिछले वर्षों की तुलना में आतंकवादी हमलों में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो इसे पिछले आधे दशक में सबसे घातक हमलों के रूप में चिह्नित करता है। पड़ोसी अफगानिस्तान तालिबान के नियंत्रण में आने के बाद से हिंसा में वृद्धि जारी है। अधिकांश हमलों के लिए पाकिस्तानी तालिबान को ज़िम्मेदार ठहराया गया, जो एक ही विचारधारा साझा करने वाला संगठन है, लेकिन संरचना में अफगानिस्तान में अपने समकक्षों से भिन्न है। पाकिस्तानी तालिबान जिसे आधिकारिक तौर पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के नाम से जाना जाता है, एक इस्लामी कट्टरपंथी आतंकवादी समूह है जो मुख्य रूप से पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी आदिवासी इलाकों में सक्रिय है। 2007 में गठित इस संगठन में पाकिस्तान में शरिया कानून स्थापित करने की विचारधारा के तहत एकजुट विभिन्न आतंकवादी गुट शामिल हैं।
टीटीपी पाकिस्तानी सरकार के विरोध के लिए जाना जाता है और पाकिस्तान के भीतर नागरिकों, सैन्य और राजनीतिक हस्तियों पर हमलों सहित कई हाई-प्रोफाइल आतंकवादी हमलों में शामिल रहा है। अफगान तालिबान के साथ एक समान विचारधारा साझा करते हुए, जैसे कि सख्त इस्लामी शासन, टीटीपी स्वतंत्र रूप से संचालित होता है, जिसका विशिष्ट नेतृत्व और उद्देश्य अफगानिस्तान के बजाय पाकिस्तान पर केंद्रित होते हैं। 
पाकिस्तान का दावा है कि यह समूह अफगानिस्तान सीमा क्षेत्र में स्थित कथित सुरक्षित पनाहगाहों से हमले करता है। हालांकि काबुल इन आरोपों से इन्कार करता है। 2021 में अफगान तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद से पाकिस्तान में इस्लामी आतंकवादियों द्वारा हिंसक गतिविधियों में वृद्धि हुई है।
पाकिस्तान ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के हिस्से के रूप में अपने वैश्विक बाज़ार विस्तार प्रयासों (भूमि और समुद्री दोनों) में चीन के साथ सहयोग करता है। हालिया अस्थिरता को आंशिक रूप से पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में चीनी निवेश की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जाता है, जहां राष्ट्रवादी विद्रोही पाकिस्तानी सरकार का विरोध कर रहे हैं।
बलूचिस्तान में राष्ट्रवादी विद्रोहियों का यह विरोध संसाधनों के वितरण और राजनीतिक हाशिये पर उनकी लम्बे समय से चली आ रही शिकायतों से उपजा है। बलूचिस्तान, हालांकि यह संसाधनों से समृद्ध है (विशेष रूप से खनिज और प्राकृतिक गैस में)। यह पाकिस्तान के सबसे कम विकसित प्रांतों में से एक है। स्थानीय आबादी को लगता है कि उन्हें इन संसाधनों या चीनी निवेश से पर्याप्त लाभ नहीं हुआ है, जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का हिस्सा हैं।
इसकी बजाय उन्हें लगता है कि मुनाफा असमान रूप से पाकिस्तान और चीन के अन्य क्षेत्रों के पक्ष में हो रहा है। इसने बलूच लोगों के बीच आर्थिक शोषण और राजनीतिक उपेक्षा की भावना को बढ़ावा दिया है, जिससे विद्रोही समूह अधिक स्वायत्तता या स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं।
उत्तर-पश्चिमी शहर में स्थित एक सुरक्षा विश्लेषक द्वारा की गई भविष्यवाणियों के अनुसारए जैसे-जैसे देश में अगले महीने चुनाव होने वाले हैं, घातक हमलों में वृद्धि की आशंका है। (संवाद)