क्या होगा प्रदेश का भविष्य ?

पंजाब आर्थिक पक्ष से किस हालत से गुज़र रहा है, किस तरह अवसान की अवस्था में यह विचरण करने लगा है, इस छोटे-से प्रदेश पर कितना भारी ऋण चढ़ गया है, किस तरह यहां के उद्योग पंख लगाकर उड़ते जा रहे हैं, किस तरह यहां का व्यापारी निराश दिखाई दे रहा है, इस तरह के सवालों संबंधी हम प्रतिदिन पढ़ते-सुनते रहते हैं। दशकों पहले यहां के लाखों ही निवासी विदेशों में चले गये थे। चाहे इन लाखों ही परिवारों ने विदेशी नागरिकता ले ली थी परन्तु उनमें से ज्यादातर का दिल पंजाब में ही धड़कता रहा है। यहां वे अक्सर भिन्न-भिन्न ढंगों से अपनी पूंजी लगाते रहे हैं। बड़ी-छोटी इमारतों का निर्माण करते रहे हैं। ज़मीनें खरीदते रहे हैं। यहां पर उद्योग स्थापित करने को भी प्राथमिकता देते रहे हैं। 
परन्तु चिन्ताजनक बात यह है कि आज इनमें से ज्यादातर का अपनी इस धरती से मोह भंग हो गया है। वे यहां मेहनत से बनाई अपनी ज़मीनों तथा सम्पत्तियों को बेचने की प्राथमिकता दे रहे हैं। यदि वे यहां आते भी हैं तो उनके भीतर एक अदृश्य भय बना रहता है। कभी यहां स्थापित एन.आई.आई. सभा की बहुत चर्चा होती थी परन्तु अब ऐसी चर्चा लगभग गायब हो चुकी है। बड़ी संख्या में प्रवासी इस सभा से भी दूर हो गये हैं।  इसका एक बड़ा कारण यह है कि जो प्रभाव इस प्रदेश का बन चुका है, उसे उनका मन स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। बाहर की बात छोड़ें, देश के भीतर ही विगत 3-4 दशकों से तत्कालीन सरकारों ने यदि छोटे-बड़े उद्योगपतियों को समय-समय पर समारोह करवा कर यहां अपने संस्थान खोलने के लिए आमंत्रण दिया, तो भी उनमें से ज्यादातर ने केवल बयान देने के अतिरिक्त क्रियात्मक रूप में यहां कुछ भी करने का यत्न नहीं किया। विदेश में रह रहे पंजाबियों को तो क्या, सामर्थ्य देश-वासियों को भी पंजाब की धरती मुआ़िफक नहीं आ रही। इसके लिए हम इस प्रदेश के बन रहे नकारात्मक प्रभाव को ही ज़िम्मेदार समझते हैं। यहां की तत्कालीन सरकारें विदेशियों तथा देश-वासियों को अपनी ओर आकर्षित करने में तो असमर्थ रही ही हैं परन्तु सामर्थ्यशाली पंजाब-वासियों को भी यहां रोकने में पूरी तरह विफल हो गई हैं। इसके मुकाबले में देश के कुछ ऐसे प्रदेशों का उदाहरण दी जा सकता है जो बड़ी उपलब्धियां प्राप्त करके पंजाब से आगे निकल गये हैं।
पीछे मुड़ कर देखते हुए उन्हें यह प्रदेश दूर खड़ा एक बिन्दू की भांति प्रतीत होने लगा है। उत्तर प्रदेश में सड़क, हवाई अड्डे, पुलों तथा अन्य मूलभूत ढांचे पर विगत कुछ वर्षों में ही लाखों, करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं। एक तरह से इस बड़े प्रदेश का काया-कल्प किया जा रहा है, जिससे यहां की आर्थिकता मज़बूत हो रही है। रोज़गार के स्रोत बढ़ रहे हैं। इसी बड़े अनुपात में वहां अपराधों में भी कमी हो रही है। विगत दो वर्षों में पंजाब सरकार ने देश के बड़े शहरों तथा कुछ विदेशों के दौरे करके पंजाब में अपने कामकाज खोलने के लिए उद्योगपतियों तथा व्यापारियों से अपील की है परन्तु खाली बयानों के अतिरिक्त इसका कोई लाभ नहीं हुआ। दूसरी तरफ इन दिनों में गुजरात की राजधानी गांधी नगर में ‘वाइब्रैंट गुजरात’ के नाम पर जो सम्मेलन शुरू हुआ है, उसमें देश के बड़े उद्योगपतियों के अतिरिक्त अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की बड़ी कम्पनियों ने भी पूर उत्साह के साथ भाग लिया है। इसकी अध्यक्षता बेहद अमीर देशों के समूह संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाहयान ने की है। इसी मंच पर मोज़म्बीक के तथा चैक गणराज्य के प्रमुख भी उपस्थित थे। उन्होंने अपने देशों की ओर से गुजरात के हर क्षेत्र में अधिक से अधिक प्रोजैक्ट लगाने का वायदा किया है। पहले ही दिन पांच लाख करोड़ की परियोजनाओं को हस्ताक्षरित किये जाने की घोषणा ने गुजरात के उज्ज्वल भविष्य को उजागर कर दिया है। एक दिन में ही यहां पांच लाख करोड़ के समझौते हस्तक्षारित किये जाने की घोषणा की गई है। 
यहां पहुंचे देश के बड़े उद्योगपति मुकेश अम्बानी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि विगत 10 वर्षों में उनकी कम्पनियों ने देश में 12 लाख करोड़ की पूंजी निवेश की है, जिसमें कम से कम तीसरा हिस्सा गुजरात में ही लगा है। प्रसिद्ध उद्योगपति गौतम अडानी ने इस प्रदेश में दो लाख करोड़ रुपये के प्रोजैक्ट शुरू करने की घोषणा की है, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष  रूप से कम से कम एक लाख लोगों को रोज़गार दिया जा सकेगा। टाटा ग्रुप ने यहां भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अपनी कम्पनी द्वारा निवेश के लिए बनाई जाने वाली योजनाओं का ज़िक्र किया, जिससे 50,000 लोगों को रोज़गार मिलेगा। सुज़ूकी मोटर कार्पोरेशन जिसने कारों के क्षेत्र में भारत में बड़ी क्रांति लाई थी, के चेयरमैन तोशीहिरो सुज़ूकी ने भी यहां दूसरा यूनिट लगा कर 35,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की है। आर्सेलर मित्तल ग्रुप के प्रमुख प्रबन्धक एल.एन. मित्तल ने व्यापक स्तर पर इस प्रदेश में स्टील प्लांट लगाने का ज़िक्र किया है।
इसी तरह ही अन्य अनेक कम्पनियों ने इस प्रदेश में अपने अधिक से अधिक यूनिट खोलने की बात की है। अपने पड़ोसी हरियाणा में गुरुग्राम के विकास को देख कर आश्चर्य होता है। जिस गति से भारत के ये प्रदेश आगे बढ़ते जा रहे हैं, उस गति से ही पंजाब नीचे की ओर जाता दिखाई दे रहा है। उपरोक्त संक्षिप्त विस्तार से ही हमारे भविष्य की नियति का अनुमान लगाया जा सकता है, क्योंकि आज इस प्रदेश में जो भी बच्चा जन्म लेता है, उसके सिर पर पहले ही लाखों रुपये का ऋण चढ़ा होता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द