ममता बनर्जी ने मोदी की वापसी का ऐलान कर दिया

जो बात खुद भाजपा ने नहीं कही है, वो बात भाजपा के लिए ममता बनर्जी ने कह दी है। इतना बड़ा दावा तो खुद भाजपा भी नहीं कर सकती। अगर उनकी बात मानी जाए तो कांग्रेस को सिर्फ 40 सीटें ही मिलने वाली हैं। फिर गठबंधन का क्या होगा? मोदी को सत्ता से हटाने के लिए विपक्षी दलों ने मिलकर एक गठबंधन बनाया था। सात महीने पहले बना गठबंधन आगे बढ़ने की जगह आज पीछे हटता जा रहा है। 
मोदी विरोधी मीडिया और अन्य लोगों को लगा कि यह गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनावों में कड़ी टक्कर देने वाला है। 28 दलों ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया और यह तय हुआ कि भाजपा के खिलाफ 400 सीटों पर विपक्ष का साझा उम्मीदवार होगा। गठबंधन के नेताओं ने कहा कि वो आने वाली बैठकों में गठबंधन के लिए संयोजक चुनेंगे, एक सांझा न्यूनतम प्रोग्राम लेकर आयेंगे। गठबंधन की रणनीति और कार्यक्रमों को तैयार करने के लिए समितियों का गठन किया जायेगा लेकिन आज सात महीने बाद गठबंधन दिखाई देना बंद हो गया है। गठबंधन की बैठक नहीं हो पा रही है, घटक दल अलग-अलग बैठक कर रहे हैं। कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ लड़ने वाले घटक दल आज कांग्रेस के खिलाफ ही तलवारें भांज रहे हैं।  तृणमूल कांग्रेस की सर्वेसर्वा ममता बनर्जी गठबंधन की महत्वपूर्ण नेता हैं लेकिन वो बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं। 
नितीश कुमार ने गठबंधन पर सबसे पहले बड़ी चोट की है लेकिन उन्होंने यह चोट बहुत शांतिपूर्ण तरीके से की है। जिस नेता ने इस गठबंधन को बनाने की शुरुआत की थी, वही नेता सबसे पहले इसे छोड़कर चला गया। मोदी को हटाने का दावा करने वाला आज उनकी ही शरण में पहुंच चुका है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नितीश कुमार ने गठबंधन पर ऐसी चोट की है कि इसके अस्तित्व पर ही सवाल पर खड़ा हो गया है लेकिन ममता बनर्जी एक अलग मिट्टी से बनी हैं। उन्होंने नितीश कुमार की तरह चुपचाप हमला नहीं किया बल्कि कांग्रेस के खिलाफ नगाड़ा बजा दिया है। 
उन्होंने राहुल गांधी और कांग्रेस पर सीधा हमला किया है। उनका कहना है कि उन्होंने कांग्रेस से कहा था कि वो 300 सीटों पर चुनाव लड़ ले और दूसरे दलों के लिए 243 सीटें छोड़ दे किन्तु कांग्रेस ने उनकी बात नहीं सुनी। उन्होंने राहुल गांधी की यात्रा का निमंत्रण पत्र मिलने से भी इन्कार किया है। उन्हें न्याय यात्रा के बंगाल आने पर एतराज है क्योंकि उन्हें लगता है कि राहुल की नज़र उनके मुस्लिम वोट बैंक पर है। राहुल को यात्रा लेकर भाजपा शासित राज्यों में जाना चाहिए था लेकिन वो बंगाल में यात्रा निकाल रहे हैं। उनका कहना है कि बंगाल में टीएमसी अकेले भाजपा से लड़ सकती है, किसी और दल की ज़रूरत नहीं है। कांग्रेस मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकी। बंगाल में राहुल गांधी की बीड़ी मजदूरों से मुलाकात को वह ड्रामा बता चुकी हैं।
असम में राहुल की यात्रा को दूसरी सड़क से जाने का कहा गया तो बहुत हल्ला मचाया गया लेकिन बंगाल में राहुल को रैली करने की अनुमति नहीं मिली। विद्यार्थियों का बहाना बनाकर उनकी यात्रा को रोका गया। बंगाल कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी से यात्रा में मदद मांगी। बंगाल में दूसरी बार यात्रा के आने पर उनका कहना था कि यह यात्रा सिर्फ कुछ घंटे ही बंगाल में रहेगी, इसलिए ममता बनर्जी इसे शांति से निकलने दें। कांग्रेस कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर बिल्कुल चुप हैं। 
ममता बनर्जी ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर सबसे बड़ा हमला करते हुए कहा है कि इन्हें बहुत अहंकार है। अगर कांग्रेस 300 सीटों पर चुनाव लड़ती तो वो 40 से ज्यादा सीटें नहीं जीत सकती। कांग्रेस को किस बात का घमंड है। देखा जाये तो उनके इस बयान ने मोदी सरकार की बड़ी वापसी की घोषणा कर दी है। सवाल उठता है कि जब कांग्रेस 300 सीटें लड़कर सिर्फ 40 सीटें जीतने वाली है तो भाजपा को 350 सीटें जीतने से कौन रोक सकता है। उनके बयान का यह भी मतलब निकलता है कि कांग्रेस सिर्फ 40 सीटें जीतने वाली है। इसका मतलब है कि जहां भाजपा से उसका सीधा मुकाबला है, वहां भाजपा बहुत बड़ी जीत हासिल करने वाली है। कांग्रेस का भाजपा से लगभग 270 सीटों पर सीधा मुकाबला होने वाला है। इसका मतलब है कि भाजपा इनमें से 230 सीटें जीतने वाली है। इस तरह देखा जाये तो भाजपा को भी इतना विश्वास नहीं है जितना कि विपक्षी दलों को भाजपा की जीत को लेकर है। 
ममता बनर्जी का कहना है कि उन्हें यात्रा की सूचना कांग्रेस से नहीं बल्कि अपने अधिकारियों से मिली जब यात्रा के लिए अनुमति मांगी गई थी। मतलब साफ है कि गठबंधन में संवादहीनता है, घटक दलों ने आपस में बातचीत करना छोड़ दिया है। जो लोग आपस में बातचीत ही नहीं कर रहे हैं, वो भला मिलकर मोदी से कैसे लड़ेंगे। यही बात तो नितीश कुमार ने की थी कि कांग्रेस बात नहीं कर रही है। राहुल यात्रा निकाल रहे हैं उनके पास गठबंधन के लिए समय नहीं है। केजरीवाल ने भी यही आरोप लगाकर पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। अखिलेश यादव ने भी यही आरोप लगाकर एकतरफा सीटों का बंटवारा कर दिया। उनका कहना है कि कांग्रेस के पास बात करने का समय नहीं है, इसलिए हमने सीटों का बंटवारा कर दिया है और वो कांग्रेस को 11 सीटें दे रहे हैं। 
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद में बयान देते हुए कहा है कि गठबंधन बहुत मजबूत है लेकिन मेरा मानना है कि देश की बात तो छोड़िये, यह गठबंधन तो किसी एक राज्य में भी मजबूत दिखाई नहीं दे रहा है। जिन राज्यों में गठबंधन मजबूत है, वहां भाजपा पहले से ही कमजोर है। जो गठबंधन हमें दिखाई दे रहा है, वो वास्तव में वही पुराना संप्रग है जो पहले ही 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा से बुरी तरह हार चुका है। ‘इंडिया’ गठबंधन दूरबीन से ढूंढने पर भी दिखाई नहीं दे रहा है। 
‘इंडिया’ गठबंधन के सबसे बड़े नेता केजरीवाल, नितीश कुमार, अखिलेश यादव और ममता बनर्जी हैं। इनको निकालने के बाद जो बचता है, वो तो संप्रग ही है। हैरानी की बात है कि कांग्रेस के कुछ नेता ममता बनर्जी को भाजपा से डरा हुआ बता रहे हैं। वैसे ममता बनर्जी की नाराजगी का यह कारण भी हो सकता है कि राहुल गांधी सीपीएम के नज़दीक जा रहे हैं। दूसरी वजह यह भी है कि उन्हें लगता है कि कांग्रेस की नज़र उनके मुस्लिम वोट बैंक पर है। यही कारण है कि उन्होंने कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है। ममता बनर्जी अक्खड़ और जुझारू नेता हैं। वो अपनी बात बिना किसी लाग लपेट के कहने में विश्वास रखती हैं। वो अपने भावों को छुपाती नहीं हैं लेकिन उनकी साफगोई गठबंधन का बंटाधार कर सकती है।