भाजपा की प़ुख्ता योजनाबंदी

लोकसभा के चुनावों से कुछ ही समय पहले नई दिल्ली में भाजपा द्वारा करवाया गया दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन कई पक्षों से बहुत प्रभावशाली रहा। जहां इसमें देश को दरपेश अहम मुद्दों पर चर्चा हई है, वहीं पिछले 10 सालों में भाजपा के नेतृत्व में काम कर रही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार की उपलब्धियों को भी गिनाया गया है। इस सम्मेलन के समूचे प्रभाव का संक्षेप में अर्थ यह निकाला जा सकता है कि आगामी चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर लड़े जाएंगे और उम्मीदवारों के साथ कमल के फूल को भाजपा के प्रतिनिधित्व के प्रतीक के तौर पर अधिक उभारा जाएगा। इस समय सरकार में भाजपा के पास 303 सीटें हैं। अगली बार के लिए पार्टी ने अपने लिए 370 सीटों का लक्ष्य निर्धारित किया है और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की पार्टियों को साथ मिलाकर 400 से अधिक सीटें प्राप्त करने का दावा किया गया है। इस समय लोकसभा की 545 सीटें हैं, जिनमें से 543 सीटों पर इस बार चुनाव होंगे। श्रीमती इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1984  में हुए लोकसभा चुनावों में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को 414 सीटें मिली थीं। उस समय मतों की संख्या 38 करोड़ थी, जिनमें से लगभग 24 करोड़ लोगों ने मत डाले थे और कांग्रेस को 50 प्रतिशत वोट मिले थे। भाजपा को 1984 में 3 करोड़ के लगभग वोट पड़े थे, लेकिन सीटें उसने सिर्फ 2 ही जीती थीं। 2019 में 23 करोड़ और अब उसने इससे दुगने वोट प्राप्त करने का लक्ष्य निश्चित किया है।
पिछली बार भाजपा 303 सीटों पर जीती थी और 161 सीटों पर हारी थी। इस बार उसने अधिक काम पिछले 161 हारी हुई सीटों पर किया है। भाजपा ने बहुत ही निचले स्तर पर काम किया है। इस बार देश में 10 लाख ऐसे बूथ हैं जहां कम से कम 1000 वोट हैं। इनमें से साढ़े 8 लाख के लगभग बूथों पर पार्टी पहुंच बना चुकी है। अब भाजपा की नयी योजनाबंदी के अनुसार पिछली बार इन बूथों से पार्टी को जितने वोट मिले थे, उनसे प्रत्येक पर 370 और वोट भुगताये जाने के लक्ष्य से पार्टी 370 सीटों पर जीत प्राप्त कर सकती है। इस सम्मेलन के राजनीतिक प्रस्ताव में मुख्य नारा ‘विकसित भारत-मोदी की गारंटी’ रखा गया है। पार्टी ने यह भी कहा है कि विगत 10 वर्षों में लोगों ने ‘मोदी की गारंटी’ को घर-घर पहुंचते हुए देखा है। इस सम्मेलन में पार्टी नेताओं की ओर से जो सफलताएं गिनाई गई हैं, उनमें अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण, जी-20 का सफल प्रबंध तथा यह दावा भी किया गया है कि करोड़ों ज़रूरतमंद लोगों को सरकार की योजनाओं से लाभ पहुंचा है, जिनमें उज्ज्वला योजना, घर-घर शौचालय, नल से जल, गरीबों को पक्के घर, 55 करोड़ ज़रूरतमंदों को आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के तहत ला कर मुफ्त इलाज तथा 80 करोड़ ज़रूरतमंद लोगों को मुफ्त राशन देना आदि शामिल हैं। पार्टी ने एक प्रस्ताव में यह भी दावा किया है कि विगत 10 वर्षों में सरकार ने 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला है। इस समूचे सम्मेलन से यह प्रभाव मिलता है कि भाजपा नेतृत्व ने नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में इस बड़ी पार्टी को एक अनुशासन में चला कर प्रत्येक पक्ष से चुनाव की बड़े स्तर पर तैयारी की है। 
दूसरी ओर देश भर के अधिकतर राज्यों में कांग्रेस के क्षरण का सिलसिला जारी है। विगत लम्बी अवधि से इसके बहुत-से बड़े नेता पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल होने को अधिमान दे रहे हैं। राहुल गांधी ने अब जो ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरू की है, उसका कोई ठोस प्रभाव पड़ता दिखाई नहीं दे रहा और न ही पार्टी की लोकसभा चुनाव जीतने की कोई बड़ी प्रभावशाली योजना ही सामने आ रही है। पहले भाजपा को हराने के लिए दो दर्जन से अधिक पार्टियों का एकजुट होना तथा फिर धीरे-धीरे उनका बिखर जाना भी विपक्षी पार्टियों और विशेषकर कांग्रेस की कमज़ोरी को प्रकट करता है। कांग्रेस सहित देश की दूसरी पार्टियां अब भाजपा तथा इसकी सहयोगी पार्टियों का कैसे मुकाबला कर सकने से समर्थ होंगी? अभी तक इस संबंधी इन पार्टियों की कोई पुख्ता योजनाबंदी सामने नहीं आई, जो कि कोई बड़ी आशा पैदा करने के सामर्थ्य हो। 

 —बरजिन्दर सिंह हमदर्द