नरेन्द्र मोदी की रैली में दुष्यंत चौटाला की मौजूदगी 

 

क्या दोनों पार्टियों में होगा चुनावी समझौता ?

लोकसभा चुनावों को लेकर क्या हरियाणा में भाजपा और जजपा के बीच चुनावी तालमेल हो पाएगा? यह सवाल एक बार फिर राजनीति के गलियारों में इसलिए पूछा जाने लगा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रेवाड़ी रैली में उप-मुख्यमंत्री और जजपा विधायक दल के नेता दुष्यंत चौटाला ने पहली बार मंच साझा किया। इसे दोनों पार्टियों के बीच तालमेल के संकेत के रूप में देखा जा रहा है और इसके राजनीतिक मायने बहुत गहरे हैं। इससे पहले साढ़े चार साल में कभी ऐसा नहीं हुआ कि भाजपा की किसी रैली में खट्टर सरकार की सहयोगी पार्टी जजपा ने इस तरह से शिरकत की हो। हरियाणा भाजपा के प्रदेश प्रभारी बिप्लव देव हों, चाहे प्रदेश अध्यक्ष रहे ओम प्रकाश धनखड़ हों, सभी एक सुर में यह कहते रहे हैं कि पार्टी लोकसभा की सभी दस सीटों पर जीत दर्ज करेगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस मुद्दे पर कहते रहे हैं कि दोनों पार्टियों के बीच सरकार चलाने के लिए गठबंधन है। हमने मिल कर हरियाणा को स्थिर सरकार दी है और राज्य के विकास के लिए मिलकर काम किया है, लेकिन लोकसभा चुनावों के दौरान दोनों पार्टियों के बीच कोई चुनावी तालमेल होगा या नहीं, इस मामले में अंतिम फैसला भाजपा आलाकमान ही करेगा। जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला और उनके बेटे उप- मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला लगातार कहते रहे हैं कि हम भाजपा के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरेंगे। दोनों पार्टियों के बीच पांच साल के लिए गठबंधन हुआ था और यह ठीक चल रहा है। हम चाहेंगे कि आगे भी दोनों पार्टियां मिल कर चुनाव लड़ें। 
हालांकि, जजपा ने भाजपा से मिल कर लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कही है, लेकिन जजपा के सभी प्रमुख नेता लगातार राज्य का दौरा कर जजपा को मजबूती देने के प्रयासों में जुटे हैं। हरियाणा की कुल दस लोकसभा सीटों पर इस समय भाजपा का कब्जा है। आने वाले चुनावों में भाजपा एक बार फिर से सभी दस सीटें जीतने का दावा कर रही है। जजपा की कोशिश रहेगी कि हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ सीटें उसके हिस्से में आ जाएं। इसका आधार यह है कि भिवानी क्षेत्र से डॉ. अजय सिंह चौटाला और हिसार से दुष्यंत चौटाला सांसद रह चुके हैं। यह दोनों ही सीटें जाट बहुल हैं। 
बराला को तरक्की
हरियाणा भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को चुनाव हारने के बाद भी तरक्की मिल गई है। किस्मत ने उनका साथ दिया और इसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अहम भूमिका रही है। पार्टी आलाकमान से मुख्यमंत्री ने ही बराला की पैरवी की और बात बन गई। अब वह हरियाणा से राज्यसभा के लिए निर्विरोध सांसद निर्वाचित घोषित भी कर दिए गए हैं। बराला के मुकाबले कांग्रेस की तरफ से कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया गया था। राज्यसभा में बराला का कार्यकाल तीन अप्रैल से शुरू होगा। नामांकन वापसी के अंतिम दिन तक किसी दूसरे उम्मीदवार के पर्चा दाखिल नहीं करने पर बराला विजयी घोषित कर दिए गए। बराला इससे पहले 2014 में टोहाना क्षेत्र से भाजपा के विधायक रह चुके हैं, लेकिन 2019 के चुनाव में जननायक जनता पार्टी के देवेंद्र सिंह बबली से चुनाव हार गए थे। विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी खट्टर सरकार में बराला को हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन की जिम्मेदारी दी हुई थी। भाजपा ने अब उन्हें हरियाणा से राज्यसभा में भेज दिया है। इसीलिए कहते हैं कि राजनीति में कब किसकी किस्मत जाग उठे, कुछ कहना मुश्किल है।
वोट से चोट की तैयारी
हरियाणा में पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर वोट फॉर ओपीएस मुहिम शुरू हो गई है. विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने के साथ ही कर्मचारियों ने भी अब खट्टर सरकार के खिलाफ कमर कस ली है। कर्मचारी यहां तक दावा कर रहे हैं कि अगर उनकी पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं की गई तो राज्य सरकार के तीन लाख से अधिक नियमित कर्मचारी, दो लाख पेंशनर्स और एक लाख केंद्रीय कर्मचारी मिलकर आगामी चुनावों तक वोट फॉर ओपीएस मुहिम चलाएंगे। 
कर्मचारियों ने एक रैली कर इस संबंध में शपथ भी ले ली है। उनका कहना है कि आज तक अपने वोट का प्रयोग कर वे नेताओं को विधायक या सांसद बनाकर, उन्हें पेंशन के योग्य बनाते रहे हैं, लेकिन इस दफा कर्मचारी, उनके परिवार और रिश्तेदारों को अपनी पेंशन बहाल कराने के लिए वोट देने के लिए कहेंगे। जींद के एकलव्य स्टेडियम में पेंशन संकल्प महारैली कर कर्मचारी इसे मुद्दे पर अपनी आवाज बुलंद कर चुके हैं। इससे पहले अपनी इस मांग को लेकर मुख्यमंत्री आवास के घेराव के लिए पंचकूला भी पहुंचे थे। तब तीन सदस्यीय कमेटी का गठन तो कर दिया गया था, लेकिन इस दिशा में सरकार की तरफ से आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इससे कर्मचारियों में रोष है और वे सरकार से नाराज हैं कि सरकार इस मामले को लटकाने की नीति अपना रही है। यह कर्मचारियों को उनके संवैधानिक हक से वंचित रखने की कोशिश है। ऐसे में उनका दावा है कि हरियाणा के कर्मचारी इस बार अपने हक के लिए वोट से चोट के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
विधायक का अजीब चोला
हरियाणा में फरीदाबाद एनआईटी क्षेत्र के कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा कई दिनों से अजीब चोला पहन कर घूमते रहे हैं। उनके सफ़ेद चोले पर भगवान श्री राम के नारे लिखे हुए हैं। इसी सफेद कपड़े को पहनकर वह विधानसभा के बजट सत्र में जाने की ज़िद पर भी अड़े रहे थे, जबकि विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने पहले ही कह दिया था कि ऐसे कपड़े में वह विधायक शर्मा को सदन में प्रवेश की इजाज़त नहीं देंगे। बजट सत्र के पहले दिन जब उन्हें सदन में दाखिल नहीं होने दिया गया तो कांग्रेस विधायक ने बिना कोई नारा लिखे सफेद चोला पहन लिया। इस दौरान विधायक शर्मा ने स्पीकर गुप्ता से मुलाकात भी की। मुलाकात के दौरान उन्हें विधानसभा की नियमावली दिखा कर कहा गया कि वह सामान्य वेशभूषा के अलावा किसी दूसरी वेशभूषा में सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकते। इस संबंध में शर्मा को विधानसभा की तरफ से लिखित में भी अवगत कराया गया था। कांग्रेस विधायक शर्मा का आरोप है कि उनके चुनाव क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 28 करोड़ की राशि मंजूर की गई थी, लेकिन आज तक यह राशि जारी नहीं की गई है।
          
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