पाकिस्तान सरकार की चुनौतियां

अंतत: पाकिस्तान में नई सरकार के बनने की बात पूर्ण हो गई है। लगभग पिछले दो वर्ष से पाकिस्तान में बड़ी उथल-पुथल देखने को मिलती रही है। इस में राजनीतिक स्थिरता की कमी रही है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान को कुछ अन्य पार्टियों ने कौमी असैम्बली में मात दे दी थी। इस तख्ता पलट में इमरान खान के ज्यादातर साथी भी शामिल थे। इमरान अपने स्वभाव के अनुसार इस बात को हज़्म नहीं कर सके थे। वैसे वह अभी तक भी पाकिस्तानी लोगों में आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। इसलिए उन्होंने हर हाल में इस हार का बदला लेने के लिए सक्रियता दिखानी शुरू कर दी थी। लोगों ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्स़ाफ पार्टी की शह पर उत्तेजक होकर देश की गलियों-बाज़ारों में हर ढंग-तरीके से अपना रोष व्यक्त करना शुरू कर दिया था, जिसके चलते उन्होंने सरकारी इमारतों, सैनिक ठिकानों एवं अन्य सम्पत्तियों पर भी हमले किये थे।
पाकिस्तान में सेना हमेशा शक्तिशाली बनी रही है, जिसे चुनौती देना कभी भी आसान नहीं रहा। यह भी एक बड़ा कारण था कि आज इमरान खान पर अनेक मुकद्दमे चल रहे हैं तथा वह जेल की सलाखों के पीछे हैं। उनकी नज़रबंदी के दौरान ही आम चुनाव करवाये गये, जिनमें व्यापक स्तर पर धांधलियां होने की भी चर्चा है। समय के रंग देखने वाले होते हैं। कभी सेना इमरान की सहायता करती थी तथा तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज़ शऱीफ को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया था। आज इमरान खान सलाखों के पीछे हैं तथा नवाज़ शऱीफ की पार्टी सत्ता सम्भाल रही है। 8 फरवरी को पाकिस्तान में आम चुनाव करवाये गये थे परन्तु इमरान की  पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ पार्टी को चुनाव चिन्ह नहीं दिया गया था। चुनाव आयोग ने बहाना यह बनाया था कि इस पार्टी के संगठनात्मक चुनाव समय पर नहीं करवाये गए थे। इस कारण इस पार्टी के उम्मीदवारों ने आज़ाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े।
विगत 16 मास में इमरान खान का तख्ता पलटने के बाद बनी सरकार में शहबाज़ शऱीफ प्रधानमंत्री बने थे तथा बिलावल भुट्टो को विदेश मंत्री बनाया गया था। नये हुए चुनावों में व्यापक स्तर पर धांधलियों होने के बावजूद इमरान खान की पार्टी की ओर से खड़े आज़ाद उम्मीदवारों को 93 सीटें प्राप्त हुई थीं, जबकि नवाज़ शऱीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) पार्टी को 75 सीटें मिली थीं तथा पाकिस्तान पीप्लज़ पार्टी तीसरे स्थान पर आई थी, तथा उसे 54 सीटें मिली थीं। मुताहिदा कौमी मुहाज़ चौथी पार्टी के रूप में उभरा था, जिसे 17 सीटें मिली थीं। कौमी असैम्बली के लिए कुल 266 में 265 सीटों पर चुनाव हुये थे। इसलिए सरकार बनाने के लिए 133 का आंकड़ा हासिल करना ज़रूरी था। नवाज़ शऱीफ ने स्थिति के दृष्टिगत प्रधानमंत्री के पद हेतु अपने भाई शाहबाज़ शऱीफ जोकि पहले ही प्रधानमंत्री थे, का नाम पेश किया। लगभग दो सप्ताह की बातचीत के बाद सरकार बनने संबंधी अब स्थिति स्पष्ट हुई है।
नये प्रबन्धों में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के पति एवं बिलावल भुट्टो के पिता आस़िफ अली ज़रदारी को राष्ट्रपति बनाने के साथ-साथ ऊपरी सदन सैनेट का चेयरमैन भी बनाया जायेगा, तथा इसके साथ ही पंजाब एवं ़खैबर पख़्तूनखवा में इस पार्टी के गवर्नर भी बनेंगे तथा बलोचिस्तान में भी पीपल्ज़ पार्टी का ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। बनने वाली नई सरकार के सामने अनेक गम्भीर चुनौतियां भी खड़ी दिखाई दे रही हैं। इनमें सबसे बड़ी चुनौती देश की लड़खड़ाती आर्थिकता को सम्भालना तथा पाकिस्तान के लिए ़खतरा बने आतंकवादी संगठनों से निपटना है। अभी भी वहां सेना की तूती बोलती है जो सरकार की नीतियों में अक्सर प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप देती रही है। नई सरकार भारी जन-समर्थन से अस्तित्व में नहीं आ रही। यह कई पार्टियों के गठबंधन से बनेगी, जोकि इसकी कमज़ोरी की निशानी है। इसी कारण समूचे नाज़ुक हालात से निपटने के लिए नई सरकार को बड़ी मुश्किलों में से गुज़रना पड़ सकता है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द