स्वास्थ्य सेवाओं की मज़बूती

विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से गुजरात के राजकोट में ‘आल इंडिया इंस्टीच्यूट आफ मैडिकल साईंसिज़’ (एम्स) के अति आधुनिक अस्पताल के उद्घाटन के साथ-साथ पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा आंध्र प्रदेश में भी इसी स्तर के अस्पतालों का आन-लाइन उद्घाटन किया गया। उन्होंने यह दावा भी किया कि उनकी सरकार ने विगत 10 वर्षों में इतनी बड़ी संख्या में ऐसे उच्च स्तर के स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किये हैं, जितने कुल मिला कर भी पहली सरकारों ने नहीं किये थे। इस संबंध में उन्होंने बताया कि अब 200 से अधिक ऐसे स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किये गये हैं, जिन पर 11500 करोड़ की राशि खर्च की गई है। उन्होंने पंजाब के बठिंडा में स्थापित ‘एम्स’ को भी लोगों को समर्पित किया, जिस पर अब तक 925 करोड़ की लागत आई है। चाहे अब यह स्वास्थ्य केन्द्र मुकम्मल हो गया है और इसमें बहुपक्षीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध की जाने लगी हैं, परन्तु इस अस्पताल की स्थापना के लिए पंजाब की पहली सरकारें भी यत्नशील रही हैं। स. प्रकाश सिंह बादल के मुख्यमंत्री होते वह लगातार इस केन्द्र को खुलवाने के लिए कार्य करते रहे हैं। बीबा हरसिमरत कौर बादल का भी इसमें बड़ा योगदान रहा है। इसके साथ ही दशकों से स्थापित चंडीगढ़ के बड़े अस्पताल पी.जी.आई. की तर्ज पर संगरूर में तथा फिरोज़पुर में भी ऐसे अच्छे स्वास्थ्य केन्द्रों की शुरुआत की गई है। 
संयुक्त पंजाब में भी शुरू से ही प्रांतीय सरकारों ने लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रदेश भर में डिस्पैंसरियां तथा अस्पताल खोलने के लिए बहुत यत्न किये थे, जो लगातार जारी भी रहे थे। इन डिस्पैंसरियों और अस्पतालों द्वरा स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाती रही हैं, लेकिन इनकी गिनती सीमित होने के कारण और बाद में सरकारों की अवहेलना के कारण अक्सर इनमें दवाएं और स्टाफ की कमी बनी रहने के कारण लोग इनसे पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे। यही एक कारण था कि प्रदेश भर में निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ती गई। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ अनेक धार्मिक और सामाजिक संगठनों द्वारा भी अपने स्तर पर इस क्षेत्र में लगातार यत्न किए जाते रहे हैं लेकिन ये सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं हर पक्ष से उस स्तर पर ना पहुंच सकीं, जिनकी आम लोग अपेक्षा करते थे। आज भी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में सुविधाओं की बड़ी कमी खलती रहती है।
केन्द्र द्वारा इस क्षेत्र में ़गैर-सरकारी अस्पतालों से लोगों को इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आयुष्मान योजना की शुरुआत करके भी एक बड़ा कदम उठाया गया था। चंडीगढ़ में पी.जी.आई. ने जिस कदर लगातार इस क्षेत्र में काम किया है, अब उसी प्रकार की सेवाओं की आशा नए बने इन स्वास्थ्य केन्द्रों से भी की जाएगी। इसके साथ ही आज प्राथमिक रूप में गांवों और शहरों में सरकारी डिस्पैंसरियों को जहां और भी सुविधाओं वाली बनाने की ज़रूरत होगी, वहीं सरकारों को इस बात के लिए यत्नशील होना पड़ेगा कि इनमें डाक्टरों और दवाइयों की कमी न रहे। इस बात की भी अधिक ज़रूरत है कि स्वास्थ्य केन्द्रों संबंधी समूचा प्रबंध पूरी तरह पारदर्शी बनाया जाए। ऐसी भावना और प्रबंधों के साथ ही सही अर्थों में ज़रूरतमंद लोगों की सेवा की जा सकेगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द