गगनयान मिशन

विगत दिवस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केरल के विक्रम साराभाई अन्तरिक्ष केन्द्र के दौरे के दौरान उन चार अंतरिक्ष यात्रियों का परिचय करवाया, जो गगनयान मिशन के लिए उड़ान भरेंगे। यह मानवीय अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगनयान पहला उपग्रह होगा, जिसमें भारत के तीन अंतरिक्ष यात्री तीन दिन के लिए अंतरिक्ष में जाएंगे। इसरो की ओर से इस मिशन को वर्ष 2007 में शुरू किया गया था। उस समय इसका लक्ष्य 2024 निर्धारित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस घोषणा के बाद इसरो ने इसकी तैयारियां निर्धारित समय में पूर्ण करने हेतु यत्न आरम्भ कर दिए हैं। भारत ने अब तक अंतरिक्ष के क्षेत्र में बेहद प्रशंसनीय  बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। इसके चन्द्रयान मिशन की सफलता भारी उत्साह देने वाली थी। विगत वर्ष ही चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 पहुंचा था। विश्व भर ने इसे भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि माना था। इसके बाद सूर्य के बारे में जानकारी लेने के लिए भारत ने अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर का स़फर तय करने वाला उपग्रह आदित्य एल-1 छोड़ा, जो लम्बी अवधि तक सूर्य का हर पक्ष से अध्ययन करेगा।   विगत दशक भर में इसरो ने सैकड़ों ही उपग्रह छोड़े हैं। ये लगातार अंतरिक्ष में नये से नया अनुभव प्राप्त करने के लिए अपने लक्ष्य निर्धारित करता आया है।
वर्ष 2035 में इसका लक्ष्य अंतरिक्ष में अपना अनुसंधान स्टेशन स्थापित करने का है। चार दशक पहले भारतीय मूल के राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गये थे, परन्तु उनकी यह उड़ान रूस की धरती से एवं उसके द्वारा तैयार किये गये उपग्रह द्वारा हुई थी, परन्तु अब चार दशकों बाद गगनयान भारत से छोड़ा जाएगा। इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गर्व से कहा है कि हमारा गगनयान तैयार है, इस बार ‘काऊंट डाऊन’, समय एवं यहां तक उपग्रह भी हमारा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह गर्व एवं खुशी वाली बात है कि गगनयान मानवीय उड़ान मिशन में इस्तेमाल किये गये अधिकतर कलपुज़र्े भारत में ही बने हैं। भारत के अंतरिक्ष अनुसंधानों में एक बेहद महत्त्वपूर्ण बात यह भी कही जा सकती है कि विश्व के अन्य देशों के मुकाबले में इसके तैयार किये गये उपग्रहों पर अनुपात में बेहद कम खर्च आता है। यही कारण है कि आज विश्व के ज्यादातर देश अपने अंतरिक्ष के स़फर में भारत को किसी न किसी रूप में अपना भागीदार बनाने के बड़े इच्छुक बन गये हैं।
गगनयान अंतरिक्ष में 400 किलोमीटर तक की ऊंचाई तय करेगा एवं यह अपने यात्रियों के साथ वहां तीन दिन तक रहेगा। वर्ष 2040 तक इसरो का लक्ष्य चांद पर अपना अंतरिक्ष यात्री भेजने का है। अंतरिक्ष के अनुसंधान में भारत अब अमरीका, रूस एवं चीन के बाद चौथा देश बन जायेगा, जिसके उप-ग्रहों द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बड़े अनुसंधान करने की सम्भावना बन चुकी है। नि:संदेह आज अंतरिक्ष के अनुसंधान से पूरे विश्व में बदलाव आया दिखाई देता है एवं इनके द्वारा वह आश्चर्यजनक अनुसंधान पूर्ण कर लिये गये हैं, जिनसे मानवीय जीवन पूरी तरह बदल गया है। ये अनुसंधान आज हमारे प्रतिदिन के जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुके हैं। बड़ी सन्तोषजनक बात यह है कि इन अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधानों में भारत ने अब तक अपना भारी योगदान डाला है, भविष्य में यह अनुसंधान इस क्षेत्र में और नये से नये अनुसंधान एवं नये से नये मार्ग प्रशस्त करने के लिए अधार बनेंगे, जिनसे हमारी इस पृथ्वी की धड़कन लगातार बढ़ती जाएगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द