सीट विभाजन को लेकर आगे बढ़ रहा ‘इंडिया’

भविष्यवाणी करने वालों ने कहा था कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सहयोगियों के बीच सीटों का बंटवारा विफल हो जायेगा, लेकिन उसके घटक दल धीरे-धीरे आगे बढ़े। अब उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में गठबंधन धीरे-धीरे आकार ले रहा है। गठबंधन आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ संयुक्त  उम्मीदवार खड़ा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।
पिछले साल वैचारिक मतभेदों और व्यक्तित्व के टकराव का सामना कर रहे विपक्षी दल अन्तत: केन्द्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए एक साथ आये और ‘इंडिया’ ब्लॉक ने आकार लिया। कांग्रेस शुरू में 2009 के फॉर्मूले के आधार पर सीटें चुनने पर अड़ी थी, उत्तर प्रदेश में जो अंतिम सूची आयी वह इससे परे तात्कालिक ज़रूरतों के आधार पर बनायी गयी प्रतीत हो रही है। एक साथ आकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने पहले ही 20 प्रतिशत मुस्लिम वोट को मज़बूत कर लिया है, जो कई सीटों पर निर्णायक है। गांधी परिवार की दो पारिवारिक सीटों अमेठी और रायबरेली से कौन चुनाव लड़ेगा, इसे लेकर स्थिति काफी दिलचस्प बनी हुई है।
आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, चंडीगढ़ और गोवा में गठबंधन के तरह लोकसभा चुनाव 2024 लड़ेंगी। कांग्रेस गुजरात में 24 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि आप दो सीटों पर।
हरियाणा में कांग्रेस 9 सीटों पर लड़ेगी और ‘आप’ एक पर। गोवा में कांग्रेस दोनों सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि ‘आप’ पंजाब में अकेले चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस गठबंधन के तहत चंडीगढ़ की सीट लड़ेगी। उत्तर प्रदेश में सभी 80 लोकसभा सीटों के लिए सीट बंटवारे पर आखिरकार कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सहमति बन गयी। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि बाकी 63 सीटें सपा के खाते में हैं। मध्य प्रदेश में सपा एक सीट पर लड़ेगी जबकि कांग्रेस 28 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस को दो सीटों की पेशकश की लेकिन कांग्रेस अधिक सीटें चाहती है, कम से कम पांच। ममता बनर्जी का कहना है कि टीएमसी सभी 42 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। देखने वाली बात यह होगी कि क्या कांग्रेस और टीएमसी के बीच आखिरी वक्त में कोई समझौता होता है या नहीं। महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी को 18 से 20 सीटें मिलनी तय हैं जबकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को भी 18 से 20 सीटें मिलेंगी। शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी आठ सीटों पर चुनाव लड़ेगी। प्रकाश अम्बेडकर की वंचित बहुजन अगाड़ी को भी दो से तीन सीटें मिलने का अनुमान है। महाराष्ट्र में कुल 48 सीटें हैं। भाजपा ने भारत के उत्तरी क्षेत्रों में अपना दबदबा बनाये रखा है जबकि दक्षिणी राज्य अभी भी बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय दलों के नियंत्रण में हैं। हालाकि कांग्रेस और दो वाम दलों का तमिलनाडु में द्रमुक के साथ मजबूत गठबंधन है, लेकिन भाजपा की कर्नाटक को छोड़कर दक्षिणी राज्यों में कोई महत्वपूर्ण उपस्थिति नहीं है। 2019 के चुनाव में द्रमुक गठबंधन सहयोगी सी.पी.एम., सी.पी.आई. और वी.सी.के. दो-दो लोक सभा सीटे पर चुनाव लड़ी थीं, जबकि एम.डी.एम.के. के.एम.डी.के., आई.यू.एम.एल. और आई.जे.के . एक-एक सीट से चुनाव लड़ी थीं। पिछले सप्ताह द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) ने तमिलनाडु में 2024 चुनावों के लिए सीट बंटवारे की व्यवस्था को अंतिम रूप दिया। पार्टी ने एक सीट अपने गठबंधन सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) को दी। नमक्कल संसदीय क्षेत्र उसके गठबंधन सहयोगी कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके) को आवंटित किया गया है। उम्मीद है कि द्रमुक जल्द ही कांग्रेस, वी.सी.के. और वामपंथी दलों सहित अन्य सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे की व्यवस्था को अंतिम रूप देगी। इस बीच द्रमुक गठबंधन ठोस और अक्षुण्ण है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उसने 39 में से 38 सीटें जीती थीं।
2019 में कांग्रेस ने तमिलनाडु की कुल 39 सीटों में से नौ पर चुनाव लड़ा और आठ पर जीत हासिल की थी जबकि थेनी लोकसभा सीट अन्नाद्रमुक से हार गयी थी। इस बीच द्रमुक नेतृत्व इस बात पर जोर दे रहा है कि कांग्रेस केवल सात सीटों पर चुनाव लड़े जिस पर कांग्रेस नेतृत्व को अभी तक सहमत होना बाकी है। द्रमुक का मानना है कि कांग्रेस के पास नौ सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए ज़मीनी स्तर पर ताकत नहीं है।
द्रमुक संभवत: विदुथलाई चिरुथिगल काची (वी.सी.के.) और वामपंथी दलों—सी.पी.आई. तथा सी.पी.आई.एम. के साथ अपनी सीट बंटवारे की औपचारिकताएं इसी सप्ताह पूरी करेगी। ए.आई.ए.डी.एम.के. ने भाजपा से अपना गठबंधन तोड़ लिया है और संभवत: उसके नेता एक नया गठबंधन बनायेंगे। भाजपा भी छोटे दलों के साथ साझेदारी की तलाश में है। भाजपा तमिलनाडु से कम से कम पांच सीटें जीतने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय मंत्रियों सहित अन्य नेताओं ने तमिलनाडु के मतदाताओं को लुभाने के लिए अक्सर राज्य का दौरा किया है। हालांकि राज्य हिंदुत्व विचारधारा से आकर्षित नहीं है।
कर्नाटक में हाल के विधानसभा चुनावों में हार के बाद भाजपा के लिए अधिक सीटें जीतने की उम्मीद कम है। तेलंगाना में कांग्रेस की मजबूत उपस्थिति है और आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाई.एस.आर.सी.पी. वापसी करेगी। भाजपा को दक्षिण से अधिक सीटें मिलने की संभावना नहीं है, जहां 130 सीटें हैं। क्षेत्रीय सहयोगियों और कांग्रेस के पास दक्षिण में जो कुछ भी है, उसे उन्हें बरकरार रखना चाहिए तथा उत्तर भारत से भी और अधिक सीटें प्राप्त करनी चाहिए। (संवाद)