नशीले पदार्थों की सबसे बड़ी बरामदगी

गुजरात में नशीले पदार्थों की अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी ने जहां एक ओर देश में विदेशी शह पर हो रही तस्करी का भंडाफोड़ किया है, वहीं देश के विभिन्न राज्यों में नशे के कारोबार बड़े स्तर पर जारी रहने का भी खुलासा किया है। भिन्न-भिन्न प्रकार के नशीले पदार्थों पर आधारित लगभग 3300 किलो की यह खेप गुजरात के समुद्री तट पर पहुंची एक नाव से बरामद की गई है। देश में यह पहली बार है कि इतनी बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थ एक ही प्रयास में पकड़े गये हैं। इससे पूर्व पिछले वर्ष नौसेना की मदद से एन.सी.बी. ने 2500 किलो की खेप बरामद की थी। इस नाव को पकड़ने के लिए भी एन.सी.बी. और नौसेना की नावों और हैलीकाप्टरों की मदद ली गई है। इन सभी पदार्थों की थोक भाव कीमत 1300 करोड़ रुपये से लगभग 2000 करोड़ रुपये तक बनती है। इस दौरान नाव पर सवार जिन पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है, वे विदेशी मूल के पाकिस्तानी अथवा ईरानी नागरिक मालूम होते हैं जिनकी नागरिकता को लेकर व्यापक रूप से जांच-पड़ताल की जा रही है। बेशक केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बरामदगी को देश  को नशा-मुक्त करने संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोशिशों और उनके संकल्प का एक हिस्सा बताया है, किन्तु इससे यह भी सिद्ध होता है कि नशे के प्रसार और नशीले पदार्थों के कारोबार से सम्बद्ध एक बहुत व्यापक संजाल देश भर में फैला हुआ है, और इसका नैटवर्क विदेशी धरती से जुड़ा हुआ है। इस कारण सम्पूर्ण कार्य-व्यापार की आड़ में देश की सुरक्षा को भी ़खतरा पैदा किये जाने की बड़ी आशंका है।
गुजरात अपनी समुद्री तटवर्ती सीमाओं के कारण नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए बहुत पहले से नाज़ुक करार दिया जाता रहा है। गुजरात और महाराष्ट्र की समुद्री सीमाएं पाकिस्तान और ईरान सहित कई अन्य देशों से भी वाबस्ता होती हैं। इन समुद्री सीमाओं के ज़रिये देश में अतीत में आतंकवादी हमले भी होते रहे हैं। मौजूदा बरामदगी से पूर्व भी, गुजरात की कच्छ सीमा से कई  बार नशीले पदार्थों की बड़ी-बड़ी खेप बरामद की जाती रही हैं। यह भी एक अजीब इत्तेफाक है कि इस बरामदगी में 24 किलो से अधिक हेरोइन सहित चरस, हशीश, मैथामफोटामाईन जैसे घातक  पदार्थ भी काबू किये गये हैं। इससे यह भी अभिप्राय लिया जा सकता है कि इस तस्करी से जुड़े नेटवर्क का संबंध देश के किसी बहुत बड़े माफिया गिरोह से भी हो सकता है। बरामद नशीले पदार्थों पर पाकिस्तान के उत्पाद की मुहर लगे होने से इसकी पृष्ठभूमि में मौजूद विदेशी शत्रु ताकतों का हाथ होने का भी स्पष्ट सबूत मिल जाता है।
नि:संदेह देश में नशीले पदार्थों की तस्करी से जुड़ा आपराधिक तंत्र बड़े व्यापक रूप से सक्रिय है। इस तंत्र के तार देश की कुछ विदेशी ताकतों से भी जुड़े हैं, और कि यह सम्पूर्ण कारोबार पाकिस्तान और ईरान की सीमाओं के ज़रिये होता है। गुजरात और मुम्बई के तटों से समुद्री मार्ग द्वारा पहुंची यह खेप कट-बट कर देश के अनेक राज्यों में पहुंचती है। इनमें पंजाब भी एक बड़ा खपतकारी राज्य है। पंजाब के अमृतसर, बटाला और फतेहगढ़ साहिब में एक ही दिन में अनेक छापेमारियों के दौरान बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थों की बरामदगी ऐसा ही दर्शाती है। नि:संदेह नशीले पदार्थों की यह तस्करी देश की सीमाओं के लिए और युवा पीढ़ी के भविष्य के लिए बड़ा ़खतरा है। इसकी रोकथाम हेतु जहां भारत सरकार को पूरी सक्रियता के साथ सन्नद होना होगा, वहीं देश के तट-रक्षक बलों और नौसेना को भी अपनी सतर्कता बढ़ानी होगी। जैसे-कैसे भी हो, नशे और नशीले पदार्थों की इस तस्करी को नकेल डालनी ही होगी।