तेज़ होती चुनावी हलचल

लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत अब कांग्रेस ने भी भिन्न-भिन्न राज्यों से संबंधित 39 नामों वाली पहली सूची जारी कर दी है। इसे देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस भारी संख्या में अपने वरिष्ठ नेताओं को इन चुनावों में उतारेगी। पहली सूची में ही राहुल गांधी, पार्टी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, शशि थरूर एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम शामिल है। राहुल केरल की अपनी पहले वाली सीट वायनाड से ही चुनाव लड़ेंगे। केरल में वामपंथी पार्टी सत्तारूढ़ है। यह पार्टी ‘इंडिया’ गठबंधन की भी भागीदार है, परन्तु जिस राज्य में इसका अधिक ज़ोर है, वहां इसने कांग्रेस के साथ समझौता करने से इन्कार कर दिया है। इसी तरह पश्चिम बंगाल में ममता बैनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के प्रभावी होने के कारण ममता इस गठबंधन से हिचकिचा रही हैं। दोनों पार्टियों में आपसी समझौते की सम्भावना दिखाई नहीं देती। बिहार में मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने पहले ही पाला बदल कर भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया है।
विगत अवधि से देश भर में कई बड़े-छोटे नेता कांग्रेस से दामन छुड़ा रहे हैं। चाहे अभी भी यह पार्टी इस यत्न में ज़रूर है कि वह किसी न किसी तरह कुछ पार्टियों के साथ गठबंधन करके ही चुनाव मैदान में उतरे, परन्तु कुछ मास पहले लगभग अढ़ाई दर्जन पार्टियों की ओर से एकजुट होकर भाजपा के विरुद्ध मज़बूत मोर्चा बनाने हेतु शुरू की गई कवायद ज्यादा ज़ोर पकड़ते दिखाई नहीं देती, अपितु इसमें बिखराव ही पड़ता दिखाई दे रहा है। दूसरी तरफ भाजपा ने इससे पहले दो मार्च को देश भर से 195 नामों की सूची की घोषणा कर दी थी। अब वह शीघ्र ही दूसरी सूची जारी करने जा रही है। इसमें शेष रहते राज्यों की सीटों की भी घोषणा की जा रही है। 
भाजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का नेतृत्व कर रही है। विगत वर्षों में इस गठबंधन की कई पार्टियां इसे छोड़ गई थीं, परन्तु अब भाजपा की ओर से लगातार यत्न किये जाने के बाद इन पुरानी पार्टियों के पुन: इस गठबंधन के साथ जुड़ने की सम्भावना बन गई है। भाजपा इस आधार पर भी सीटों के विभाजन संबंधी फैसले को अंतिम रूप देने की तैयारी में है। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र एवं त्रिपुरा भी शामिल हैं। महाराष्ट्र में हुई राजनीतिक जोड़-तोड़ के बाद बनाई गई सरकार में अब भाजपा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिव सेना एवं अजीत पवार की नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ेगी। ओडिशा में इसने पुन: बीजू जनता दल के साथ मिल कर चुनाव लड़ने का निश्चय किया है। बीजू जनता दल वर्ष 1998 से वर्ष 2009 तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का ही भाग रहा था। त्रिपुरा में भी वह वहां की विपक्षी पार्टी त्रिपुरा मोथा के साथ मिल कर चुनाव लड़ने जा रही है। आंध्र प्रदेश में यह पूर्व मुख्यमंत्री चन्द्र बाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ेगी। इस राजनीतिक हलचल में जहां कांग्रेस के नेतृत्व वाले ‘इंडिया गठबंधन’ में समरसता की कमी दिखाई देती है, वहीं भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अधिक मज़बूती पकड़ता दिखाई दे रहा है। अभी सम्भलने के लिए समय शेष है, परन्तु इसके लिए मज़बूत इच्छा-शक्ति का होना भी बेहद ज़रूरी है। उसके आधार पर ही निर्णायक चुनाव लड़े जा सकते हैं। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द