खट्टर की अचानक विदाई ने सभी को हैरान कर दिया

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मुख्यमंत्री पद से अचानक हुई विदाई से उनके समर्थकों में मायूसी छा गई है। खट्टर समर्थक यही दावा किया करते थे कि मनोहर लाल अगले विधानसभा चुनाव के बाद तीसरी बार भी प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे और सबसे लम्बे समय तक हरियाणा का मुख्यमंत्री बने रहने का रिकार्ड भी कायम करेंगे। लेकिन जिस नाटकीय घटनाक्रम से मनोहर लाल की हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से विदाई हुई है, वह अपने आप में सबको हैरान करने वाली है।
 सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुरुग्राम में कार्यक्रम था और मोदी ने उस कार्यक्रम के माध्यम से देश के अनेक राज्यों के राष्ट्रीय राजमार्गों का शिलान्यास और उद्घाटन किया था। उस कार्यक्रम में मनोहर लाल भी बतौर मुख्यमंत्री मौजूद थे। उस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को अपने संघर्ष के दिनों का साथी बताते हुए न सिर्फ उनकी खूब तारीफ की थी, बल्कि मनोहर लाल के साथ जुड़े अपने जीवन के कई रोचक किस्से भी सुनाए थे और यह भी बताया था कि किस तरह वह मनोहर लाल खट्टर के मोटरसाइकिल पर उनके पीछे बैठ कर रोहतक से गुरुग्राम आया करते थे। मनोहर लाल की तारीफ नरेंद्र मोदी के मुंह से सुन कर खट्टर समर्थक खूब गद्गद् थे और उन्हें लगता था कि मनोहर लाल बतौर हरियाणा के मुख्यमंत्री सबसे लम्बी पारी खेलेंगे लेकिन अचानक अगले ही दिन उन्हें मुख्यमंत्री पद से विदा कर दिया गया। इससे खट्टर के समर्थक व विरोधी सभी बेहद हैरान हैं। 
किस्मत के धनी हैं नायब सिंह सैनी
हरियाणा के नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी किस्मत के धनी माने जाते हैं। आम साधारण परिवार से संबंध रखने वाले नायब सिंह सैनी की छवि एक मिलनसार और मृदुभाषी राजनेता के तौर पर होती है। वह भाजपा संगठन में चाहे लम्बे समय से कार्यरत थे लेकिन उन्हें पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने और विधायक बनने का मौका 2014 के विधानसभा चुनावों में मिला। वह 2014 में विधायक बने और थोड़े समय बाद ही मंत्री बन गए। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र से सांसद चुने गए और पिछले साल भाजपा के दिग्गज नेता ओम प्रकाश धनखड़ के स्थान पर हरियाणा भाजपा अध्यक्ष बन गए। अब उन्हें मनोहर लाल खट्टर के स्थान पर हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया है। वैसे उन्होंने भाजपा संगठन में युवा मोर्चा जिला महासचिव, युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष, किसान मोर्चा के प्रदेश महासचिव और भाजपा के जिलाध्यक्ष सहित कई पदों पर काम किया था। हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सबसे ज्यादा भरोसे योग्य साथियों के तौर पर उनकी गिनती होती रही है। भाजपा में दर्जनों ऐसे नेता हैं जो नायब सिंह सैनी के मुकाबले कहीं ज्यादा वरिष्ठ हैं लेकिन खट्टर के आशीर्वाद से सैनी हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए हैं। उन्हें उनके समर्थक व विरोधी भी किस्मत के धनी राजनेता के तौर पर मानते हैं। 
अनिल विज की नाराजगी
हरियाणा के पूर्व गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज मंगलवार को भाजपा विधायक दल की उस बैठक को बीच में छोड़कर चले गए जिसमें नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री चुना जा रहा था। इतना ही नहीं, विज न तो मंत्री पद की शपथ लेने के लिए आए और न ही राजभवन के कार्यक्रम में शामिल हुए। अनिल विज की गिनती हरियाणा के वरिष्ठतम, दमदार, दबंग विधायकों व राजनेताओं में होती है। बताया जाता है कि जैसे ही भाजपा विधायक दल की बैठक में नायब सिंह सैनी का नाम भावी मुख्यमंत्री के तौर पर सामने आया तो अनिल विज अपनी वरिष्ठता की अनदेखी किए जाने से नाराज होकर मीटिंग बीच में ही छोड़कर अम्बाला के लिए निकल गए। अनिल विज और नायब सिंह सैनी दोनों ही अम्बाला जिला से संबंध रखते हैं। अनिल विज वरिष्ठता के अनुसार नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से बहुत ज्यादा वरिष्ठ हैं। अनिल विज को नायब सैनी के अधीन मंत्री बनकर काम करना काफी ज्यादा पीड़ादायक लग रहा है। इसी के चलते वह राजभवन में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह से भी दूर रहे और अम्बाला में दोस्तों के साथ मार्केट में गोल-गप्पे खाते हुए और घर-परिवार में बच्चों के साथ खेलते हुए देखे गए। अनिल विज अपनी बात बेबाकी से कहने और अपने असूलों के साथ समझौता न करने वाले दमदार राजनेता के तौर पर जाने जाते हैं। भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने अनिल विज को समझाने-बुझाने और शांत करने का प्रयास किया है। भाजपा नेता इसमें कितना सफल हो पाएंगे, यह कुछ दिन बाद ही साफ हो पाएगा।
टूट गया भाजपा-जजपा गठबंधन
2019 में हरियाणा में सरकार चलाने के लिए बना भाजपा और जजपा का गठबंधन आखिर साढ़े चार साल बाद टूट ही गया है। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 90 सदस्यीय विधानसभा में मात्र 40 सीटें हासिल हुई थीं। इसके अलावा दुष्यन्त चौटाला की पार्टी जजपा को 10, कांग्रेस को 31, इनेलो व कांडा की पार्टी को 1-1 सीट और निर्दलीय विधायकों को 7 सीटें हासिल हुई थीं। भाजपा ने जजपा के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई और भाजपा की ओर से मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बने व दुष्यन्त चौटाला उप-मुख्यमंत्री बने थे। 
दुष्यन्त के अलावा जजपा कोटे से देवेंद्र बबली व अनूप धानक मंत्री बनाए गए थे। इसके अलावा जजपा के कईं नेता गठबंधन सरकार में राज्य-स्तरीय बोर्डों निगमों के चेयरमैन भी बनाए गए थे। साढ़े 4 साल तक दोनों दलों के बीच गठबंधन चलता रहा। अब मनोहर लाल खट्टर द्वारा राज्यपाल को अपनी सरकार का त्यागपत्र दिए जाने के साथ ही यह गठबंधन भी टूट गया है। गठबंधन टूटने की वजह लोकसभा चुनावों में भाजपा द्वारा जजपा को कोई भी सीट न दिया जाना बनी है। जजपा को उम्मीद थी कि भाजपा उन्हें कम से कम दो सीटें जरूर देगी। आखिरी समय तक जजपा ने गठबंधन के तहत भाजपा को जजपा के लिए सीटें छोड़ने के लिए मनाने के प्रयास किए, लेकिन भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा साफ तौर पर यह कहे जाने के बाद कि प्रदेश की सभी 10 सीटों पर भाजपा उम्मीदवार कमल के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे, इसके बाद प्रदेश में गठबंधन खत्म हो गया। 
पुराने मंत्रियों को फिर मिला मौका
हरियाणा के नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ जिन 5 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की है, वे सभी मनोहर लाल खट्टर सरकार में भी मंत्री थे। मुख्यमंत्री के बाद कंवरपाल गुर्जर को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह खट्टर सरकार की पहली पारी में विधानसभा स्पीकर हुआ करते थे और भाजपा की दूसरी पारी की सरकार में वह स्कूल शिक्षा, वन, पर्यटन एवं संसदीय कार्यमंत्री थे। कैबिनेट में तीसरे नंबर पर मूलचंद शर्मा को मंत्री बनाया गया है। वह खट्टर सरकार में परिवहन एवं उच्च शिक्षा मंत्री थे। इसके अलावा नायब सिंह सैनी सरकार में एकमात्र जिस निर्दलीय विधायक को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, वह ओम प्रकाश चौटाला के छोटे भाई रणजीत सिंह चौटाला हैं, जो खट्टर सरकार में जेल एवं बिजली मंत्री हुआ करते थे।  खट्टर सरकार में कृषि एवं पशुपालन मंत्री रहे जेपी दलाल और सहकारिता एवं जन स्वास्थ्य मंत्री रहे डॉ. बनवारी लाल को भी नायब सिंह सैनी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द ही होने की उम्मीद जताई जा रही है, जिसमें कुछ नए चेहरों को भी शामिल किए जाने के आसार हैं। 

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