भारत-बंगलादेश रिश्ते और बढ़े

हाल ही में सम्पन्न हुए 18वीं लोकसभा के चुनावों में जीत प्राप्त करने बाद श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की एक बार फिर से सरकार बनी है। इसी मास 9 जून को श्री नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के पद की शपथ ग्रहण की थी। इस शपथ ग्रहण समारोह में भारत ने पाकिस्तान को छोड़ कर अपने सात पड़ोसी देशों के राष्ट्र-प्रमुखों को बुलाया था, जिनमें बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भी शामिल थीं। मात्र दो सप्ताह बाद बंगलादेश की प्रधानमंत्री पुन: भारत के दो दिवसीय सरकारी दौरे पर शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंचीं। शेख हसीना की भारत की दो दिवसीय यात्रा इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि वह नई सरकार बनने के उपरांत विदेश से आने वाली पहली मेहमान हैं।
शेख हसीना बंगलादेश के संस्थापक शेख मुजीब-उर-रहमान की बेटी हैं। कभी पूर्वी पाकिस्तान कहे जाते बंगलादेश की आज़ादी के लिए भारत ने भी अपना बनता योगदान डाला था। श़ेख मुजीब-उर-रहमान, जिन्हें ‘बंग बंधु’ भी कहा जाता था, इसके लिए वह भारत के हमेशा धन्यवादी रहे हैं, परन्तु दुर्भाग्य से बंगलादेश के प्रधानमंत्री होते हुए उनकी तथा उनके अधिकतर पारिवारिक सदस्यों की कुछ ब़ागी सैनिक अधिकारियों द्वारा वर्ष 1975 में हत्या कर दी गई थी। शेख हसीना उस समय विदेश में होने के कारण बच गई थीं। उस हत्या के बाद बंगलादेश में लम्बी अवधि तक गड़बड़ का दौर रहा। भारत-विरोधी शक्तियों का वहां बोलबाला रहा परन्तु श़ेख हसीना के नेतृत्व में बंगलादेश अवामी लीग पार्टी का वहां बड़ा प्रभाव भी बना रहा है। श़ेख हसीना पांचवीं बार देश की प्रधानमंत्री बनी हुई हैं। सबसे पहले उन्होंने 1996 से 2001 में सरकार बनाई, फिर 2009 में शेख हसीना दूसरी बार देश की प्रधानमंत्री बनीं तथा तब से लेकर अब तक वह लगातार जीत हासिल करती आ रही हैं।
शेख हसीना हमेशा भारत के साथ अच्छे संबंधों की समर्थक रही हैं। वह अपने देश की आज़ादी में भारत की सहायता के लिए भी हमेशा धन्यवादी रही हैं। इसी कारण आज दोनों देशों के प्रगाढ़ संबंध बने हुए हैं। शेख हसीना के नेतृत्व में एक ़गरीब तथा तंग-दस्त देश बंगलादेश ने विकास के बड़े कदम उठाए हैं तथा अपनी आर्थिकता को मज़बूत किया है। आज जहां पाकिस्तान की आर्थिकता बेहद डावांडोल है, वहीं बंगलादेश इस पक्ष से स्थिरता की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। श़ेख हसीना को यह अहसास है कि भारत के साथ अपना हर तरह का सहयोग बढ़ा कर वह अपने देश के भविष्य को और भी सवार सकती हैं।
अपने इस दौरे के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर सहित अन्य नेताओं के साथ भेंट की तथा दोनों देशों ने भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने के लिए अहम विचार-विमर्श भी किए हैं। इसके अतिरिक्त दोनों देशों के मध्य 10 समझौते हुए हैं, जिनमें डिज़िटल साझेदारी, हरित साझेदारी, समुद्र में सहयोग, समुद्र आधारित अर्थ-व्यवस्था, अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग, रेलवे सम्पर्क बढ़ाने, समुद्री अनुसंधान, सुरक्षा तथा रणनीति मामलों में सहयोग, स्वास्थ्य एवं प्राकृतिक आपदाओं संबंधी सहयोग तथा मछली पालन संबंधी सहयोग के समझौते शामिल हैं। तीस्ता नदी के जल विभाजन के संबंध में समझौते के लिए भी तकनीकी टीम का गठन करने का फैसला किया गया है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यू.पी.ए.) सरकार के समय डा. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भी इस समझौते को सफल बनाने का बड़ा यत्न किया गया था, परन्तु उस समय पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी की ओर इसे सफल नहीं होने दिया गया। इस मामले पर अब बड़ी सीमा तक हल हो जाने की उम्मीद है। भारत बंगलादेश के मरीज़ों के लिए ई-वीज़ा सुविधा भी देगा। इसके लिए बंगलादेश के शहर रंगपुर में भारत का उप-दूतावास भी खोला जाएगा।
बंगलादेश दक्षिणी एशिया के देशों में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा है तथा एशिया में इसका व्यापार भारत के साथ दूसरे स्थान पर आता है। भारत से बंगलादेश को भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तुओं का भारी निर्यात किया जाता है, जिसकी 2023 में अनुमानित कीमत 11.25 बिलियन डॉलर थी, जबकि बंगलादेश की ओर से भारत को 2 बिलियन डॉलर की वस्तुएं भेजी जाती हैं। भारत से बंगलादेश की लगभग 4100 किलोमीटर के सीमा लगती है, जो किसी भी अन्य पड़ोसी देश से अधिक है। दोनों देशों के आपसी सहयोग से बहुत-से मामले सुलझाये जा सकते हैं, जिनमें नशा तस्करी, जाली करंसी तथा मानवीय घुसपैठ को रोका जाना भी शामिल है। दोनों देशों में एक और बड़ी साझ इनका आपस में सड़क तथा रेलवे द्वारा जुड़े होना भी है। पिछले वर्ष नवम्बर, 2023 में मोदी तथा हसीना ने अगरतला-अखोरा रेल सम्पर्क जोकि आगे ढाका-चिट्टागोंग रेलवे स्टेशनों को जोड़ता है, का उद्घाटन भी किया गया था। दोनों देशों के सहयोग संबंधी योजनाओं में सड़क, रेलवे तथा समुद्र द्वारा और सहयोग बढ़ाना भी शामिल है। नि:संदेह इन दोनों देशों का आपसी सहयोग, जो आपसी विकास के मार्ग प्रशस्त करता है, दक्षिणी एशिया के अन्य देशों के लिए एक उदाहरण सिद्ध हो सकता है, जिसके चलते इस क्षेत्र के विकास को और भी तेज़ी एवं ऊर्जा प्रदान की जा सकती है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द