शानदार है भारत की परिवार नियोजन यात्रा
इस विश्व जनसंख्या दिवस हमें अपनी परिवार नियोजन संबंधी शानदार यात्रा पर गौर करने का अवसर देता है। हम अपनी सफलताओं का उत्सव मनाते हैं, आशाओं से भरे भविष्य की कामना करते हैं और आगे आने वाली चुनौतियों से निपटने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।
जैसा कि मई 2024 में जनसंख्या विकास पर संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीपीडी) के 30वें सम्मेलन में संकल्प व्यक्त किया गया है, भारत ने न केवल आईसीपीडी के एजेंडे को मजबूत नेतृत्व प्रदान किया है बल्कि बेहतर परिवार नियोजन सेवाओं और नाटकीय रूप से बेहतर स्वास्थ्य संबंधी नतीजों विशेष रूप से मातृ स्वास्थ्य और बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के जरिए ज़मीनी स्तर पर ज़बरदस्त प्रगति का प्रदर्शन किया है।
भारत में मिलेनियल महिलाएं छोटे परिवारों को चुन रही हैं। ऐसे प्रत्येक परिवार में औसतन केवल दो बच्चे होते हैं। यह प्रवृत्ति पिछले दशक में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती हैए जिसके दौरान प्रजनन आयु (15 से 49 वर्ष) की आधी से अधिक महिलाओं (57 प्रतिशत) ने आधुनिक गर्भनिरोधकों का सक्त्रिय रूप से उपयोग किया है। गर्भनिरोधकों का यह व्यापक उपयोग भारत के परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता को दर्शाता है।
राष्ट्रीय जनसंख्या और स्वास्थ्य संबंधी नीतियां परिवार नियोजन की अधूरी रह गई उस ज़रूरत को पूरा करने की आवश्यकता पर बल देती हैं जिसे वैसी महिलाओं के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है जो बच्चा नहीं चाहती हैं या बच्चे को जन्म देने में देरी करना चाहती हैं लेकिन गर्भनिरोधक का कोई भी तरीका नहीं अपना रही हैं। इस कार्यक्त्रम ने 2012 में प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य (आरएमएनसीएच+ए) दृष्टिकोण के संस्थागतकरण के साथ एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कीए साथ ही परिवार नियोजन 2020 और अब परिवार नियोजन 2030 के माध्यम से परिवार नियोजन पर वैश्विक स्तर पर जोर दिया गया। इसने निरंतर जागरूकता बढ़ाने, सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देनेए सूचना और सेवाओं की सुलभता में सुधार करने, गर्भनिरोधक विकल्पों की सीमा का विस्तार करनेए अंतिम छोर तक दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता संबंधी आश्वासन सुनिश्चित करने और उच्च प्रजनन क्षमता वाले क्षेत्रों में नई रणनीतियों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
इसके साथ-साथ परिवार नियोजन को मातृ एवं शिशु रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने के लिए भी वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है और इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण घटक मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना है जिसने समग्र नीतिगत उद्देश्यों को व्यापक तरीके से विस्तारित किया है।
भारतीय राज्यों की जनसांख्यिकीय विविधता दुनिया में अनूठी है और परिवार नियोजन की रणनीतियों को इसके अनुरूप ही ढाला गया गया है। सुलभ गर्भनिरोधक विकल्पों की सीमा को व्यापक बनाने के साथ.साथए यह रणनीति विवाह की आयु, पहले जन्म की आयु और लड़कियों की शैक्षिक प्राप्ति जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण रूप से विचार करती है। ये कारक परिवार नियोजन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण बनाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं जो राष्ट्र की विविध आवश्यकताओं को पूरा करता है।
भारत सरकार के प्रमुख परिवार नियोजन कार्यक्रमों में से एक मिशन परिवार विकास को 2016 में सात राज्यों (बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और असम) के उच्च प्रजनन दर वाले 146 जिलों में गर्भनिरोधक और परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था।
आधुनिक गर्भनिरोधकों के उपयोग में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ और कार्यक्रम में शामिल जिलों में इनके उपयोग में तेजी देखी गयी जो एमपीवी कार्यक्रमों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है। एमपीवी जिलों में आधुनिक गर्भनिरोधकों के उपयोग में इन बेहतर परिणामों के कारण सरकार ने 2021 में इस कार्यक्रम को सात राज्यों के सभी जिलों और छह पूर्वोत्तर राज्यों में विस्तार करने का निर्णय लिया।
हम विश्व जनसंख्या दिवस 2024 मना रहे हैं जिसका विषय है ‘मां और बच्चे के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए गर्भावस्था का स्वस्थ समय और अंतराल।’ हम अपने राज्य समकक्षों के प्रयासों और हमारे स्वास्थ्य कार्यबल जिसमें एएनएम, आशा और अन्य जमीनी स्तर के कार्यकर्ता शामिल हैं, के अथक समर्पण को स्वीकार करते हैं जो महत्वपूर्ण जानकारी और सेवाएं देने में सबसे आगे हैं। दुनिया के युवाओं, किशोरों, महिलाओं और बच्चों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हमारे देश में रहता है जो हमें जनसांख्यिकीय लाभांश का अनूठा उपहार देता है। साथ ही हमारे लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण में निवेश करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करता है।
गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं और गर्भनिरोधकों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच महत्वपूर्ण है। सरकार पहुंच से संबंधित बाधाओं, गर्भनिरोधक विधियों के बारे में गलत धारणाओं, ज़रूरतमंदों के बीच जागरूकता की कमी, भौगोलिक और आर्थिक चुनौतियों और प्रतिबंधात्मक सामाजिक व सांस्कृतिक मानदंडों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। परिवार नियोजन सेवा अदायगी में सुधार के लिए पर्याप्त निवेश किया जा रहा है जिसमें अस्थायी और दीर्घकालिक गर्भनिरोधक विधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करना पर्याप्त बजटीय आवंटन और स्वास्थ्य सुविधाओं और सामुदायिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से निर्बाध आपूर्ति बनाए रखना शामिल हैं।
-केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन और उर्वरक मंत्री, भारत सरकार