उप-चुनाव की उपलब्धि
जालन्धर में विधानसभा के हुए उप-चुनाव के दौरान जो कुछ घटित हुआ है, उसने व्यापक स्तर पर निराशा पैदा की है। यह दुखद बात है कि इस बार सरकारी पक्ष की ओर से सरेआम पुलिस एवं प्रशासन का दुरुपयोग करके लोकतांत्रिक प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाई गई हैं। इस विधानसभा क्षेत्र के उप-चुनाव के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से अपना बोरी-बिस्तरा उठा कर जालन्धर में डेरा लगाने की घोषणा करना तथा फिर चुनाव प्रचार के दिनों में इसी क्षेत्र में ज्यादातर समय देकर उप-चुनाव जीतने के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाना, एक तरह से इसे निम्न- स्तरीय कार्रवाई ही कहा जा सकता है। उस समय जब प्रदेश के प्रमुख को अपना अधिक से अधिक ध्यान प्रदेश की बेहद गम्भीर समस्याओं की ओर देना चाहिए था, एक उप-चुनाव पर अपना पूरा समय लगाना प्रदेश के साथ अन्याय ही कहा जाएगा।
आज जिस तरह के अवसान में से पंजाब गुज़र रहा है, उससे लोगों के मन में बड़ी बेचैनी पैदा हुई है। सरकार की गलत नीतियों के कारण इसकी आर्थिकता पूरी तरह डावांडोल होती दिखाई दे रही है। अक्सर मुख्यमंत्री तथा उनके साथियों की ओर से ये शिकायतें की जाती रही हैं कि केन्द्र सरकार ने भिन्न-भिन्न योजनाओं के तहत प्रदेश को मिलने वाली बड़ी राशि रोक ली है। इसमें हम प्रदेश सरकार की अनियमितताओं तथा अपनी ओर से स्रोत जुटाए बिना शुरू की गई योजनाओं को भी ज़िम्मेदार मानते हैं, क्योंकि इनके लिए केन्द्र सरकार की ओर से अन्य योजनाओं के लिए भेजे गए फंडों का उपयोग किया गया है। केन्द्र सरकार की ओर से सभी प्रदेशों के भिन्न-भिन्न योजनाओं के तहत आवश्यक राशि की जाती है। ज्यादातर प्रदेश इन योजनाओं को लागू करके अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने का यत्न करते हैं। इस आधार पर उन राज्यों ने अपने प्रदेशों का विकास करने या अपनी आर्थिकता को स्थिर बनाने का यत्न किया है तथा अपने लोगों की बेहतरी के लिए नये द्वार खोलने में भी वे सफल रहे हैं। यही कारण है कि आज पंजाब देश के ज्यादातर प्रदेशों के दृष्टिगत बुरी तरह पिछड़ गया है। प्रदेश की बेहतरी के लिए दिन-रात काम करके श्रेष्ठ योजनाएं बना कर तथा उनके क्रियान्वयन पर पहरा देकर ही उन्हें सफल बनाया जा सकता है। मात्र बयानबाज़ी से कोई भी उपलब्धि प्राप्त नहीं होती। यदि किसी सरकार की प्रथामिकता ही अपने विरोधियों से बदला लेने की बन जाए तो ऐसा दृष्टिकोण कभी सार्थक परिणामों का धारणी नहीं हो सकता। जहां तक जालन्धर के पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र के चुनाव का संबंध है, वहां वर्ष 2022 में हुये चुनावों में आम आदमी पार्टी की ओर से शीतल अंगुराल ने जीत प्राप्त की थी, परन्तु शीघ्र ही वह आम आदमी पार्टी की सरकार से नाराज़ तथा निराश हो गए थे। उन्होंने ऐसे बयान भी दिये थे। बाद में उन्होंने ऐसे कारणों के दृष्टिगत विधायक पद से त्याग-पत्र दे दिया था तथा वह भाजपा में शामिल हो गए थे।
अब इस क्षेत्र के चुनावों को इसी कारण मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था तथा प्रदेश की अन्य सभी समस्याओं को दर-किनार करते हुए उन्होंने जालन्धर में ही अपना ज्यादातर समय व्यतीत किया था। इसका एक यह भी कारण हो सकता है कि मास भर पूर्व हुए लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को भारी हार का मुंह देखना पड़ा था। मुख्यमंत्री प्रदेश के 13 में से 13 हलकों में शानदार जीत प्राप्त करने के दावे करते रहे थे, परन्तु उनके हिस्से सिर्फ 3 सीटें ही आई थीं। एक तरफ शायद उनके विधायक की ओर से दिया गया त्याग-पत्र तथा दूसरी तरफ लोकसभा के चुनावों में हुई हार, उन्हें परेशान कर रही थी। शायद वह इस उप-चुनाव को जीत कर उस नमोशी का बोझ उतारना चाहते थे। उप-चुनाव का परिणाम तो 13 जुलाई दिन शनिवार को सामने आ जाएगा परन्तु सत्तारूढ़ पार्टी ने जिस प्रकार यह चुनाव लड़ा है, उससे लोकतांत्रिक एवं नैतिक मूल्यों का जो क्षरण हुआ है, उस नुक्सान की पूर्ति कौन करेगा? नि:संदेह आगामी समय में इसके लिए संबंधित व्यक्तियों तथा पक्षों को ही जवाबदेह होना पड़ेगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द