डोनाल्ड ट्रम्प पर हमला

अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जोकि अमरीकी राष्ट्रपति पद का पुन: चुनाव लड़ने के लिए रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए राजनीतिक सक्रियता में जुटे हुए थे, पर हुए जानलेवा हमले ने पूरे विश्व के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। डोनाल्ड ट्रम्प गत शनिवार की शाम को पेनस्लिवेनिया के बटलर इलाके में एक रैली को संबोधित कर रहे थे तो उसी समय 150 मीटर की दूरी से 20 साल के एक युवक थामस मैथ्यू क्रुक्स ने एक शैड से उन पर गोली चला दी। गोली डोनाल्ड ट्रम्प के दाएं कान को चीरती हुए आगे निकल गई, तथा वह इस जानलेवा हमले में बाल-बाल बच गये। डोनाल्ड ट्रम्प की रैली में गोली चलने से अ़फरा-तफरी मच गई और वहां से लोगों ने बाहर की ओर भागना शुरू कर दिया। इसी दौरान अमरीकी सीक्रेट सर्विस के सुरक्षा एजैंटों ने जल्द ही कार्रवाई करते हुए उक्त हमलावर युवक को भी मौके पर ही मार दिया। गोलीबारी की इस घटना में एक और व्यक्ति भी मारा गया और कुछ लोग घायल भी हुए। बाद में यह जानकारी सामने आई है कि उक्त हमलावर युवक रैली वाले स्थान से 56 किलोमीटर दूर एक अन्य अमरीकी शहर में रहता था और उसने 5 नवम्बर को होने वाले अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव में पहली बार वोट डालना था। उसको मतदाता के तौर पर ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी द्वारा ही रजिस्टर्ड किया गया था।
ट्रम्प पर हुए इस हमले की अमरीका सहित विश्वभर के अन्य अहम राजनीतिक नेताओं एवं राष्ट्र-प्रमुखों द्वारा तीव्र आलोचना की गई है। अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और बराक ओबामा ने हमले की सख्त निंदा की है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा में विपक्ष के नेता श्री राहुल गांधी और कांग्रेस के प्रधान मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा भी डोनाल्ड ट्रम्प पर हुए हमले की निंदा की गई है। नि:संदेह किसी भी लोकतांत्रिक देश में इस तरह की हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। राजनीति में विचरण करने वाले लोगों को अपने विरोधियों को भी दुश्मन नहीं समझना चाहिए, बल्कि विरोधियों को सैद्धांतिक मतभेदों के तौर पर ही देखा और समझा जाना चाहिए।
वैसे यदि अमरीका के इतिहास को देखें तो पहले भी अमरीका के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों पर ऐसे हमले होते रहे हैं। ऐसे हमलों का सबसे पहले अमरीका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन शिकार बने थे, जिनकी 14 अप्रैल, 1868 को वाशिंगटन के फोर्ड क्षेत्र में एक नाटक देखते हुए गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। अमरीका के 20वें राष्ट्रपति जेम्स गारफील्ड को 2 जुलाई, 1981 को वाशिंगटन में एक रेलवे स्टेशन की ओर जाते हुए गोली मार दी गई थी। अमरीका के 25वें राष्ट्रपति विलियम मैककिनले 6 सितम्बर, 1901 को न्यूयार्क के बफेलो में गोली मारी गई थी। अमरीका के 32वें राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूज़वेल्ट को फरवरी 1933 में गोली मारी गई थी, परन्तु रूज़वेल्ट इस हमले में बच गए थे। 33वें राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन पर नवम्बर 1950 में वाशिंगटन के बलेर हाऊस में दो बंदूकधारियों ने गोली चलाई थी। इस हमले में ट्रूमैन बच गए थे। इसी प्रकार अमरीका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी पर नवम्बर 1963 को डल्लास के दौरे के समय एक बंदूकधारी ने हमला किया था। कैनेडी इस हमले में घायल हो गए थे। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, परन्तु वहां उनकी मौत हो गई। इसी प्रकार अमरीकी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार थियोडोर रूज़वेल्ट को 1912 में मिलवाकी में चुनाव प्रचार के दौरान गोली मार दी गई थी। राष्ट्रपति पद के एक अन्य उम्मीदवार रॉबर्ट एफ. कैनेडी जो डैमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार थे, को 1968 में लॉस एंजल्स में गोली मार कर मार दिया गया था। इसी प्रकार डैमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन हासिल करने की दौड़ में शामिल जार्ज सी. वैलेस को भी 1972 में मैरीलैंड में एक प्रचार के दौरान गोली मार दी गई थी, जिस कारण उन्हें अधरंग हो गया था। 
चाहे अमरीका आज विश्व का एक बड़ा शक्तिशाली लोकतांत्रिक देश है और अमरीकियों द्वारा अपने लोकतंत्र पर गर्व भी बहुत किया जाता है, अमरीकी सरकार द्वारा विश्व के अन्य देशों में धार्मिक तथा मानवाधिकारों के हो रहे उल्लंघन बारे वार्षिक रिपोर्टें भी जारी की जाती हैं, परन्तु इसके बावजूद यदि अमरीका के पिछले इतिहास को देखा जाए तो इस देश की राजनीति तथा सामाजिक जीवन में विगत लम्बे समय से हिंसा का रुझान चलता आ रहा है और यह रुझान आज भी मौजूद है। राजनीतिक तथा सामाजिक असहनशीलता के कारण तथा रंग-नस्ल के भेदों के कारण अक्सर ही वहां हिंसा होती रहती है। ऐसे टकरावों में समय-समय पर अनेक लोग मारे जाते रहे हैं। अमरीका अपने ‘गन कल्चर’ के कारण भी बदनाम है। वहां हथियार रखने संबंधी कानून बेहद लचकदार हैं। बड़ी आसानी से लोग कानूनी तौर पर हथियार प्राप्त करके अपने पास रख सकते हैं, परन्तु इन हथियारों का असामाजिक तत्वों तथा अनाड़ी नौजवानों द्वारा अक्सर बार-बार दुरुपयोग किया जाता है, जिससे कई बार स्कूलों, क्लबों तथा अन्य स्थानों पर बड़े-बड़े रक्त-रंजित दुखांत घटित हो जाते हैं। ऐसे गन कल्चर संबंधी समय-समय पर आवाज़ तो उठती रहती है, परन्तु कोई भी सरकार इस संबंध में अब तक नियमों में कोई ठोस बदलाव लाने में सफल नहीं हो सकी।
अमरीका की सरकार को तथा अमरीकी समाज को इस प्रकार की हिंसा से मुक्ति पाने के लिए आत्म-निरीक्षण करने की ज़रूरत है। हिंसा तथा हथियारों के दुरुपयोग को रोकने के लिए समाज में जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ सरकार को कड़े कानून भी बनाने चाहिएं। देश की राजनीतिक पार्टियों को संयुक्त रूप में इस बुराई के खिलाफ खड़े होना चाहिए। ऐसे यत्नों से ही अमरीका हिंसा से मुक्ति पाने वाले मार्ग पर आगे बढ़ सकता है।