उत्तर प्रदेश में दलित वोट पर सब की नज़रें

उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के कमज़ोर होने से दलित वोटों में बिखराव आ गया और उन पर दावेदारी तेज़ हो गई है। साफ दिख रहा है कि पिछले कई चुनावों से उनका वोट आधार लगातार कम होता जा रहा है। मायावती से टूट कर दलित वोट चाहे जिस पार्टी में जितनी मात्रा में गया हो, लेकिन यह हकीकत है कि चुनाव दर चुनाव बसपा कमज़ोर हो रही है और उसके वोट को लेकर दूसरी पार्टियों की दावेदारी भी तेज़ हो रही है। एक तरफ मायावती वोट का बिखराव रोकने के प्रयास में लगी हैं तो दूसरी ओर पार्टियां छीनने में जुटी हैं।
 मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को फिर से राष्ट्रीय समन्वयक बना कर उत्तराधिकारी बनाया है। दूसरी ओर लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित कांग्रेस ने दलित मतदाताओं तक पहुंच बनाने के प्रयास में लगी है। वह उत्तर प्रदेश में सदस्यता अभियान चलाने जा रही है, जिसमें खास फोकस दलित मतदाताओं पर होगा। उधर समाजवादी पार्टी को लग रहा है कि दलित समाज के अवधेश प्रसाद ने फैजाबाद (अयोध्या) की सीट जीत कर उसके लिए दलित वोट के दरवाज़े खोज दिए हैं। इस बीच आज़ाद समाज पार्टी का तेज़ी से उदय हुआ है। नगीना सीट से लोकसभा का चुनाव जीते चंद्रशेखर लगातार मायावती की तारीफ कर रहे हैं और उनके बचे हुए कार्यों को पूरा करने का वादा कर रहे हैं। जहां तक भाजपा का सवाल है तो वह पहले से ही गैर जाटव वोट को टारगेट करके अपना अभियान चला रही है।
भाजपा समर्थकों की बेचैनी और सपने
लोकसभा चुनाव में बहुमत से दूर रही भाजपा में बुरी तरह बेचैनी छायी हुई है। उसकी ओर से विपक्षी नेताओं को लेकर सोशल मीडिया में तरह-तरह की अफवाहें फैलाने का काम ज़ोरों पर जारी है। इसकी बड़ी मिसाल हाल ही में देखने को मिली। पिछले हफ्ते आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तरह तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी दिल्ली आए और उन्होंने कई केंद्रीय मंत्रियों से मिल कर अपने राज्य परियोजनाओं के लिए फंड मांगा। उसी समय यह भी तय हुआ कि रेवंत रेड्डी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से मिलेंगे और राज्यों के बंटवारे के बाद दोनों राज्यों के बीच जो लंबित मुद्दे हैं, उनका समाधान करेंगे। लेकिन जैसे ही रेवंत रेड्डी की केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकातें शुरू हुईं और नायडू से उनके मिलने के कार्यक्रम की सूचना आई, सोशल मीडिया में यह अफवाह फैल गई कि तेलंगाना में ‘ऑपरेशन लोटस’ चल रहा है और जल्दी ही वहां कुछ बड़ा होगा। कोई इसका श्रेय अमित शाह को तो कोई शिवराज सिंह चौहान को दे रहा था, क्योंकि रेवंत रेड्डी उनसे भी मिले थे। कोई चंद्रबाबू नायडू को इसका श्रेय दे रहा था। भाजपा का समर्थन करने वालों की ओर से एक्स (ट्विटर) पर दावे के साथ कहा जा रहा था कि जल्दी ही तेलंगाना से अच्छी खबर आने वाली है। करीब 50 विधायकों के साथ रेवंत रेड्डी के भाजपा में शामिल होने के दावे किए जा रहे थे। समझा जा सकता है कि विपक्षी नेताओं की सरकारी कामकाज से संबंधित या शिष्टाचार के तहत होने वाली मुलाकातों के भी अब कैसे मायने निकाले जा रहे हैं?
तमिलनाडु आपराधिक कानूनों में बदलाव करेगा
केंद्र सरकार के बनाए तीन नए आपराधिक कानून देश भर में लागू हो गए है। लेकिन अब भी इन्हें लेकर बहुत दुविधा है। पुलिस और न्यायिक अधिकारियों से लेकर वकील, पत्रकार और आम आदमी तक सब असमंजन में है। इस बीच कई राज्य सरकारों ने इसके अनेक प्रावधानों को लेकर सवाल उठाया है। गौरतलब है कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का मामला है। राज्यों की पुलिस को कानून लागू करने होते हैं, इसलिए उनको इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए और कानून राज्यों की ज़रुरत के हिसाब से होने चाहिए। इसी आधार पर तमिलनाडु की सरकार ने इन कानूनों के कई प्रावधानों का विरोध किया है। तमिलनाडु सरकार एक जुलाई से लागू हुए तीन कानूनों—भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता में बदलाव की तैयारी में है। राज्य सरकार ने इसके लिए एक कमेटी का गठन किया है जिसकी सिफारिशों के आधार पर इन कानूनों में बदलाव किया जाएगा। तमिलनाडु के बाद कई गैर-भाजपा शासित राज्यों की सरकारें इस तरह की पहल कर सकती है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने लेख लिख कर बताया है कि इसे पार्ट टाइम लोगों ने तैयार किया है और संबंधित पक्षों से राय मशविरा नहीं किया गया है। यह कानून विपक्ष की गैर-हाज़िरी मे पास हुआ था। अत: आने वाले दिनों में इसका विरोध बढ़ सकता है।
राहुल की पत्र राजनीति
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद से राहुल गांधी नए अवतार में हैं, वह लगातार यात्राएं कर रहे हैं और ऐसे इलाकों में जा रहे हैं, जहां हादसे या दंगे हुए हैं। हाथरस से लेकर गुजरात और मणिपुर तक की यात्राओं में राहुल गांधी ने एक नया पहलू जोड़ा है—पत्र लिखने का। हाल ही में राहुल ने कम से कम तीन पत्र लिखे हैं और पत्र के रूप में ज्ञापन भी सौंपा है। वह गत सोमवार को मणिपुर गए थे और जातीय हिंसा से पीड़ित लोगों से मिलने के बाद राज्यपाल अनुसूइया उइके से मिले और पत्र के रूप में एक ज्ञापन दिया, जिसमें उन्होंने मणिपुर में स्थायी शांति बहाली व पीड़ितों की मदद की अपील की। इससे पहले राहुल ने सबसे पहली पत्र लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को लिखा था। 
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल ने सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए थे और कुछ वैचारिक बातें भी कही थीं। स्पीकर ने उनके भाषण का बड़ा अंश कार्यवाही से हटा दिया था। राहुल ने पत्र लिख कर स्पीकर से अपने भाषण के हटाए गए अंशों को फिर से जोड़ने की अपील की। राहुल ने दूसरा पत्र  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीट पेपर लीक को लेकर लिखा था। उन्होंने तीसरा पत्र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ को लेकर लिखा। राहुल ने भगदड़ में मारे गए और घायल हुए लोगों के परिजनों से मिलने के बाद योगी को लिखा कि पीड़ितों को जो मुआवज़ा मिला है, वह बहुत कम है। ऐसे समय में जब ट्विटर पर ही सारे संवाद हो रहे हैं, राहुल ने पत्र लिखना शुरू किया है। ये पत्र दस्तावेज बनेंगे।