रोजगार सृजन की उम्मीदों से भरा है बजट - केन्द्रीय बजट 2024-25 

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात के भलीभांति संकेत दिये कि मोदी सरकार अब देश में बेरोज़गारी की समस्या को बड़ी गंभीरता से लेने वाली है। बजट भाषण के शुरूआती क्रम में ही रोज़गार सृजन के कई प्रोत्साहनों, देश के करोड़ों युवा कामगारों के कौशल विकास की एक अनवरत मुहिम जारी रखने तथा स्वरोज़गार व उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने वाली घोषणाओं की झड़ी लगा दी गई। आर्थिक विकास दर में आशातीत बढ़ोत्तरी से इस बार सरकार की आमदनी व खर्चे के बीच के फासले में आयी कमी से बुनियादी व प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए धन का ज्यादा आवंटन तथा अर्थव्यवस्था के नये क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहन से वित्तमंत्री का यह बजट भाषण भरा था। 
बजट में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों करों में कई रियायतों की घोषणा करते हुए जहां नये इनकम टैक्स रिजीम के मातहत आय सीमा में वृद्धि कर वेतनभोगी वर्ग की अधिमानित छूट सीमा पचास हजार से बढ़ाकर पचहत्तर हजार कर दी गई, वहीं अप्रत्यक्ष करों के तहत कैंसर की दवाइयों, रक्षा परमाणु व अंतरिक्ष उपकरणों में प्रयुक्त मिनरलों को पूरी तरह आयात कर से मुक्त कर दिया गया। बजट का जो तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु दिखायी पड़ा वह एनडीए के दो सहयोगी दलों द्वारा शासित प्रदेश बिहार व आंध्र को संतुष्ट करने वाली तमाम घोषणाएं भी की गईं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपने बजट भाषण की शुरूआत से ही रोज़गार सृजन को लेकर चौतरफा पहल करती दिखीं। इसमें बाज़ार जनित रोज़गार को एक नयी गति देने के लिए बाज़ार अर्थ-व्यवस्था में रोज़गार सृजन को प्रोत्साहित करने वाले उन कदमों की घोषणा की गई जिनके मायने कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ के जरिये मिलने वाले नये सरकारी योगदान से जुड़ी हैं।  वित्तमंत्री ने कहा कि रोज़गार बाजार में प्रवेश करने वाले भारत के तीस लाख युवाओं को सरकार द्वारा एक माह की भविष्यनिधि राशि बतौर प्रोत्साहन दी जाएगी। बजट में कौशल विकास को एक नयी गति देकर श्रम अर्थ-व्यवस्था में रोज़गार की नयी मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन लाने, कम पढ़े लिखे युवाओं के स्वरोज़गार को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा लोन की सीमा दस लाख से बढ़ाकर बीस लाख करने तो दूसरी तरफ  तकनीकी रूप से साक्षर युवाओं के स्टार्टअप व्यवसाय को करों से मुक्त करने की अहम घोषणा शामिल है। इसके अलावा रोज़गार, कौशल विकास व मानव संसाधन विकास से जुड़े कई पक्षों को छूते हुए देश के एक हजार आईटीआई को अपग्रेड करने, देश की शीर्ष 500 कंपनियों में देश के एक करोड युवकों को प्रति माह पांच हजार के स्टाइपेंड पर अगले पांच सालों में इंटर्नशिप कराने, घरेलू शिक्षा संस्थानों के लिए बेहद रियायती दर पर दस लाख का एजुकेशन लोन देने की बात कही गई है। 
गौरतलब है कि कल घोषित आर्थिक सर्वेक्षण में भी देश 80 लाख प्रति वर्ष रोज़गार सृजित करने की सभी पूर्व ज़रूरतों की तरफ इशारा किया गया था। इसी क्रम में स्टार्टअप व्यवसाय में आरोपित एंजेल टैक्स को पूरी तरह से समाप्त करने की बजट में घोषणा की गई। बजट में आयकरदाताओं को नयी सौगात देते हुए जो नये आयकर स्लैब की घोषणा की गई है, उसके तहत तीन लाख तक के आय पर शून्य कर, तीन से सात लाख की आमदनी पर पांच प्रतिशत, सात से दस लाख की आय पर दस प्रतिशत, दस से बारह लाख की आय पर 15 प्रतिशत, बारह से पंद्रह लाख की आमदनी पर बीस प्रतिशत व पंद्रह लाख से ऊपर की आमदनी पर तीस प्रतिशत का कर अब प्रभावी रूप से देय होगा। वेतनभोगी आयकरदाताओं को अब 50 हजार के बजाय अब 75 हजार रुपये की अतिरिक्त आय पर कर छूट प्राप्त होगी। बजट में फैमिली पेंशन की न्यूनतम राशि 15 हजार से बढ़ाकर बीस हजार कर दी गई है। इन दोनों कदमों से कुल मिलाकर चार करोड़ वेतनभोगी व पेंशनधारकों को फायदा होगा।
बजट में नये कर छूटों से जहां प्रत्यक्ष कर के मद में सरकार को 29 हजार करोड़ का तो अप्रत्यक्ष कर के मद में 8 हजार करोड़ का राजस्व नुकसान होगा जबकि नये कर प्रस्तावों से तीस हजार करोड़ की नयी राजस्व प्राप्ति होगी। प्रभावी घाटा कुल 7 हजार करोड़ रुपये का होगा। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में चूंकि देश का आर्थिक परिदृश्य कई मायनों में खुशगवार है जैसा कि बताया गया कि आर्थिक विकास दर वास्तविक मायनों में आठ प्रतिशत से ज्यादा तथा कुल विकास दर नौ प्रतिशत को पार कर रही है। इस वजह से इस बार का कुल बजट आकार 48 लाख करोड़ का हो गया। इसमें करों से प्राप्ति 25 लाख करोड़ तथा शेष राशि बाज़ार उधार तथा बजट घाटे से पूरित की जा रही है। गौरतलब है कि पिछली बार के बजट में सरकार के पूंजीगत व्यय की राशि जो दस लाख करोड़ आवंटित हुई थी, उसे इस बार बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ कर दिया गया है। पिछले वित्त वर्ष का निर्धारित वित्तीय घाटा 5.6 प्रतिशत से घटकर अब वास्तविक 5.1 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2024-25 के लिए वित्तीय घाटे का लक्ष्य भी घटाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया गया है। 
बजट में अप्रत्यक्ष कर जीएसटी को और ज्यादा सरलीकृत करने तथा आयकर व निगम कर की नयी रिजीम के दायरे को और विस्तृत करने की बात कही गई है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आयकर का अब दो तिहाई तथा निगम कर का करीब 58 प्रतिशत हिस्सा नये टैक्स रिजीम से प्राप्त हो रहा है। मतलब ये है कि नयी आयकर प्रणाली का विकल्प जो पिछले बजट में शुरू किया गया था उनसे करदाताओं को ज्यादा बचत हासिल हो रही है। गौरतलब है कि करों की मात्रा कम कर ज्यादा राजस्व हासिल करने की सरकार की नीति के तहत इस बार बजट में भारत स्थित विदेशी कंपनियों के निगम कर को चालीस प्रतिशत से घटाकर पैतीस प्रतिशत कर दिया गया है। बजट में अर्थव्यवस्था के नये क्षेत्रों मसलन सोलर एनर्जी की रूफटाप योजना के तहत एक करोड़ घरों में तीन सौ यूनिट तक बिजली पैदा करने की योजना को पुनर्घोषित किया गया, जो भारत में भावी उर्जा सुरक्षा के प्रति सरकार के विजन को दर्शाता है। बजट का एक बड़ा ही महत्वपूर्ण बिंदु जो दिखायी पड़ा है, वह है धार्मिक पर्यटन को एक नयी दिशा देने का। इसके तहत वाराणसी विश्वनाथ कोरीडोर की तरह गया स्थित विष्णुपद मंदिर व महाबोधी मंदिर के बीच एक लाख करोड़ की लागत से एक नया टूरिस्ट कोरीडोर तथा नालंदा राजगीर को विश्वव्यापी टूरिस्ट केन्द्र बनाने की एक महत्वपूर्ण घोषणा शामिल है।
बजट में पूर्वोत्तर भारत के बिहार, झारखंड, बंगाल, ओड़िसा व आंध्र के लिए एक समग्र औद्योगिक व बुनियादी विकास का एक नया नीतिगत वक्तव्य लाकर इसे 2047 के विकसित भारत के संकल्प से जोड़ा गया  है। इसी क्रम में बिहार में चार एक्सप्रेस वे, बक्सर सहित दो गंगा ब्रिज तथा कोशी के बाढ़ नियंत्रण का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम वित्तमंत्री ने घोषित कर बिहार को एक बड़ा राजनीतिक सौगात दिया है। वहीं दूसरे सहयोगी आंध्र प्रदेश की नयी राजधानी के विकास के लिए बहुपक्षीय ऋण एजेंसियों के मार्फत 15 हजार करोड़ रुपये के अलावा प्रदेश की कृषि मत्स्य जल विकास के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता तथा विशाखापटनम चेन्नई में नया इंडस्ट्रियल कोरीडोर बनाने की घोषणा राजनीतिक रूप से अहम है। केन्द्र ने बजट में राज्यों को आधारभूत संरचना पर निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए पचास साल तक ब्याज मुक्त लोन देने तथा करीब डेढ़ लाख करोड़ की अतिरिक्ति राशि देने की घोषणा महत्वपूर्ण है। इस बजट से जिन्होंने किसान सम्मान राशि में बढ़ोत्तरी होने और 70 साल से उपर के लोगों का मुफ्त इलाज की आस लगाई थी, वह पूरी नहीं हो पायी।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर