हरियाणा में ‘आप’ का कोई जनाधार नहीं

आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने के बड़े-बड़े हवाई दावे करने शुरू कर दिए हैं। ये दावे जमीनी स्तर पर कहीं दिखाई नहीं देते। हरियाणा में आम आदमी पार्टी के पास ऐसा संगठन नहीं है जो पूरे प्रदेश में पार्टी को चुनाव लड़वाने में सक्षम हो। आम आदमी पार्टी का गठन 2012 में हुआ था और 2013 में पार्टी की दिल्ली में सरकार बन गई थी। दिल्ली में सरकार बनते ही आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की तरफ रुख किया और 2014  में प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, लेकिन सभी उम्मीदवार बुरी तरह से न सिर्फ चुनाव हार गए बल्कि सभी उम्मीदवारों की जमानतें भी जब्त हो गई थीं। लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार के बाद आम आदमी पार्टी हरियाणा में 2014 का विधानसभा चुनाव लड़ने का साहस नहीं जुटा पाई। उस समय डॉ. योगेंद्र यादव और राजीव गोदारा जैसे हरियाणा से संबध रखने वाले बड़े चेहरे भी ‘आप’ के साथ हुआ करते थे, लेकिन योगेंद्र यादव और गोदारा केजरीवाल से मतभेदों के चलते आम आदमी पार्टी से किनारा कर गए थे।
2019 में भी जमानतें जब्त
2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जननायक जनता पार्टी के साथ गठबधन करके चुनाव लड़ा था। उस समय आम आदमी पार्टी ने 3 सीटों पर और जननायक जनता पार्टी ने 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। जजपा के समर्थन के बावजूद आम आदमी पार्टी के तीनों उम्मीदवार फरीदाबाद, करनाल और अम्बाला से चुनाव हार कर जमानतें गंवा बैठे थे। ‘आप’ उम्मीदवार न सिर्फ चुनाव हारे बल्कि कुल मिलाकर एक प्रतिशत वोट भी हासिल नहीं कर पाए। इससे पहले आम आदमी पार्टी ने जींद उपचुनाव में भी जननायक जनता पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन दिया था और अरविंद केजरीवाल उनके लिए वोट भी मांगने आए थे। इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबधन करके चुनाव लड़ा और 9 सीटों पर कांग्रेस ने और कुरुक्षेत्र की सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा। कुरुक्षेत्र से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुशील गुप्ता चुनाव हार गए जबकि कांग्रेस ने 9 में से 5 सीटों पर जीत हासिल की। 
कुरुक्षेत्र भी हारी ‘आप’
‘आप’ उम्मीदवार सुशील गुप्ता आम आदमी पार्टी  हरियाणा के अध्यक्ष हैं और वह जींद जिले से संबध रखने के अलावा दिल्ली के बड़े कारोबारी भी माने जाते हैं। वह आम आदमी पार्टी दिल्ली की ओर से राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अपने प्रत्याशी मैदान में उतारने का हौसला नहीं कर पाई थी। अब तक आम आदमी पार्टी ने हरियाणा से विधानसभा का 2022 में आदमपुर उपचुनाव लड़ा था और आदमपुर उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी सतेंद्र सिंह के समर्थन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी न सिर्फ वोट मांगने गए थे बल्कि रोड शो भी किया था। इसके बावजूद आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार जीतना तो दूर, जमानत बचाने लायक जितने वोट चाहिए थे, उसका एक चौथाई हिस्सा भी नहीं हासिल कर पाया। 
हरियाणा ने केजरीवाल को नहीं अपनाया
अरविंद केजरीवाल वैसे तो हरियाणा के सिवानी कस्बे से संबंध रखते हैं, जो पहले हिसार में था और अब भिवानी जिले का हिस्सा है और उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई भी हरियाणा से ही हासिल की थी। वह हरियाणा के लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए अपने आपको अकसर हरियाणा का बेटा भी बताते रहे हैं, लेकिन हरियाणा के लोगों ने आज तक न तो केजरीवाल को अपनाया है और न ही उनकी पार्टी को कभी तवज्जो दी है। 2022 में जब पंजाब में भारी बहुमत के साथ आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी, तो कुछ दिनों तक हरियाणा में भी कुछ लोग आम आदमी पार्टी से जुड़ गए थे। जिन राजनेताओं को कांग्रेस, भाजपा, इनेलो व जजपा से टिकट मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी, वे आम आदमी पार्टी की तरफ आने लगे थे। कुछ राजनेताओं को लगता था कि दिल्ली और पंजाब दोनों के बीच हरियाणा बसा हुआ है और दोनों तरफ आम आदमी पार्टी की सरकार होने से हरियाणा में भी यह पार्टी शायद कुछ प्रभाव छोड़ जाए, लेकिन पंजाब में सरकार की निरन्तर विफलता और चुनावी वादों से पीछे हटने के चलते हरियाणा के ज्यादातर राजनेता आम आदमी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस, भाजपा व अन्य दलों में चले गए, जिससे आम आदमी पार्टी की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। नेताओं के साथ-साथ ज्यादातर कार्यकर्ता भी आम आदमी पार्टी से पलायन करके जा चुके हैं। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इस बार लोकसभा चुनाव में अगर कुरुक्षेत्र सीट आप को देने की बजाय कांगे्रस खुद चुनाव लड़ती तो निश्चित तौर पर कांग्रेस यह सीट जीत सकती थी।
प्रमुख नेताओं ने छोड़ी आप
आम आदमी पार्टी को छोड़कर जाने वालों में हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर, हरियाणा के पूर्व राजस्व मंत्री व 4 बार विधायक रह चुके चौ. निर्मल सिंह, पिछली बार अम्बाला से निर्दलीय चुनाव लड़कर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाने वाली उनकी बेटी चित्रा सरवारा, पूर्व खेलमंत्री व पूर्व डिप्टी स्पीकर डॉ. वासुदेव शर्मा, पूर्व मंत्री बिजेंद्र उर्फ बिल्लू कादियान, पूर्व संसदीय सचिव राजकुमार बाल्मीकि व पूर्व विधायक रमेश गुप्ता आदि नेताओं की एक बहुत लम्बी सूची है। हरियाणा की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले विश्लेषकों का मानना है कि आम आदमी पार्टी की हैसियत 90 सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ने की बिल्कुल नहीं है। उनका यह भी मानना है कि ऐसी घोषणा करके आम आदमी पार्टी कांग्रेस से गठबधन करने की जमीन तैयार कर रही है और केजरीवाल की पार्टी का यह प्रयास है कि कांग्रेस से गठबधन करके कुछ सीटें हासिल कर ली जाएं और पहली बार हरियाणा में पार्टी का खाता खोलने का प्रयास किया जाए। लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद कांग्रेस यह बात पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि कांग्रेस हरियाणा में अकेले अपने दम पर सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और किसी से गठबंधन किए बगैर भारी बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। 
चुनावों की घोषणा में 50 दिन शेष
आम आदमी पार्टी का अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होता तो वह जजपा और प्रमुख दलित नेता चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण की आजाद समाज पार्टी जिसे भीम आर्मी के तौर पर जाना जाता है, के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का प्रयास कर सकती है। आप, जजपा व रावण की आसपा तीनों पार्टियों के बीच गठबंधन होने की संभावना को लेकर लगातार चर्चाएं भी चल रही हैं। दूसरी तरफ हरियाणा में अभी कुछ दिन पहले ही इनेलो व बसपा के बीच गठबंधन हुआ है। प्रदेश में कोई दूसरा गठबंधन हो पाता है या नहीं, यह कुछ दिन बाद ही साफ हो पाएगा। हरियाणा विधानसभा चुनावों की घोषणा में करीब 50 दिनों का समय ही शेष रह गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां 2024 का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अभी से पूरी ताकत झोंके हुए हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व भाजपा को 5-5 सीटें हासिल हुई हैं। पिछली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी और 79 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को लीड मिली थी। लेकिन 4 महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा मात्र 40 सीटों पर सिमट कर रह गई थी और कांग्रेस को 31 सीटें हासिल हुई थीं। 10 सीटें जजपा को, 1-1 सीट इनेलो व हलोपा को मिली थी। बाकी 7 सीटें निर्दलीयों के हिस्से आई थीं। इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में मामला बेहद रोचक रहने की उम्मीद है। 
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