हिमाचल की जन्नत है लाहौल-स्पीति

जुलाई माह के शुरू होते ही मैंने हिमाचल प्रदेश में लाहौल और स्पीति जाने का मन बना लिया था, जो पहले लाहौल व स्पीति के रूप में दो अलग-अलग ज़िले थे, लेकिन अब एक ज़िला कर दिए गये हैं। आप सोच रहे होंगे कि मैंने जुलाई माह का ही चयन क्यों किया? जुलाई में इस क्षेत्र में पर्यटकों के आने का सीजन शुरू हो जाता है क्योंकि बर्फ पिघलना आरंभ हो जाती है और सड़कों पर चलना संभव हो जाता है। दरअसल, जुलाई में ही इस क्षेत्र में घूमने का सबसे अच्छा मौसम होता है बल्कि मेरा अनुभव तो यह कहता है कि एडवेंचर के इच्छुकों, प्रकृति प्रेमियों और शहरी जीवन की तेज़ी व शोर-शराबे से बचने वालों के लिए लाहौल-स्पीति जुलाई में जन्नत हो जाता है। इस क्षेत्र में आने का यही सबसे अच्छा समय इसलिए भी है क्योंकि मौसम इतना सुहावना होता है कि ठंड का एहसास तक नहीं होता और गर्मी लगने का तो सवाल ही नहीं उठता है। दिन में तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, जबकि रातें अक्सर काफी ठंडी हो जाती हैं कि तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक भी गिर सकता है और 10 डिग्री सेल्सियस तो अमूमन रहता ही है। बहरहाल, सबसे अच्छी बात यह है कि लाहौल-स्पीति रेन शैडो एरिया है, जिसका अर्थ है कि यहां जुलाई में न के बराबर बारिश पड़ती है, इसलिए जब देश के बाकी हिस्सों में मानसून अपने चरम पर होता है तो उससे बचने के लिए लाहौल-स्पीति में आनंदमय शरण ली जा सकती है। 
लाहौल-स्पीति तक जाने वाली अधिकतर सड़कें जुलाई तक यात्रा के लिए खुल जाती हैं। मनाली-लेह हाईवे, जिसके ज़रिये लाहौल घाटी तक पहुंचा जा सकता है और किन्नौर रूट, जो स्पीति घाटी तक ले जाता है, आमतौर से इस समय तक आने जाने के लिए ठीक ठाक हो जाते हैं। बहरहाल, आप कुछ चुनौतियों के लिए अवश्य तैयार रहें। सड़कें उबड़-खाबड़ और पतली है तथा इनमें भू-स्खलन का भी अंदेशा रहता है, विशेषकर जुलाई माह के शुरुआती हिस्से में। मेरी राय यह है कि आप ध्यानपूर्वक ड्राइव करें और सड़क की स्थिति में अचानक परिवर्तन के लिए तैयार रहें। जन्नत हासिल करने के लिए (जीवन के) सफर में कुछ कष्ट उठाना लाज़मी होता है। 
यात्रा के कष्ट उठाते हुए जब एक बार आप अपनी मंज़िल पर पहुंच जाओगे तो लाहौल-स्पीति की सुंदरता आपको इस हद तक मंत्रमुग्ध कर देगी कि आप इस कष्ट को बार-बार उठाने के लिए तैयार रहोगे। जुलाई में घाटियां हरी भरी हो जाती हैं और पिघलते बर्फ की वजह से नदियों में किनारों तक पानी भरकर चलता है। जुलाई में चंद्रताल व सूरज ताल झीलों तक जाना भी संभव हो जाता है। इन झीलों की नैसर्गिक सुंदरता और आस-पास के लैंडस्केप आपके होश उड़ा देते हैं। बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरी ये झीलें पोस्टकार्ड जैसी खूबसूरती तो उपलब्ध कराती ही हैं और फिर शांत वातावरण जन्नत में होने का एहसास कराता है। आमतौर से इस समय कुंजुम पास व रोहतांग पास भी खुल जाते हैं, जिससे नज़ारा अधिक दिलकश हो जाता है और यात्रा अधिक रोमांचक भी हो जाती है। ये दोनों पास फोटोग्राफी के लिए आदर्श स्पॉट हैं और हाई-एलटीट्यूड माहौल भी उत्पन्न कराते हैं।
अपनी इस बार की लाहौल-स्पीति यात्रा के दौरान मैंने तय किया हुआ था कि कुछ प्राचीन मठों में अवश्य जाऊंगा। इसलिए मैं केय मोनेस्ट्री, धनकर मोनेस्ट्री और ताबो मोनेस्ट्री देखने के लिए गया और इस नतीजे पर पहुंचा कि अगर कोई लाहौल-स्पीति जाये तो इन मठों को अवश्य देखे। इनका रूह को सुकून पहुंचाने वाला वातावरण और ऐतिहासिक महत्व व्यक्ति को एक अलग ही शानदार दुनिया में ले जाते हैं। ये मठ झलक हैं इस क्षेत्र की समृद्ध बौद्ध संस्कृति व विरासत की। स्थानीय संस्कृति व मेहमाननवाजी का अनुभव करने के लिए मैं सुदूर गांवों जैसे किब्बर, काजा व लंगज़ा में भी गया। जुलाई में इन गांवों तक पहुंचना अधिक आसान होता है और ग्रामीण दिल खोलकर पर्यटकों का स्वागत करते हैं। जुलाई ट्रेकिंग, कैम्पिंग व माउंटेन बाइकिंग के लिए भी परफेक्ट है। पिन पार्वती पास और हम्पता पास पॉपुलर ट्रेक्स हैं और जो लोग एडवेंचर के इच्छुक हैं, उनमें जोश भर देते हैं।
दरअसल, जुलाई लाहौल-स्पीति की घाटियों को एक तरह से ज़िंदा कर देता है। इस क्षेत्र की विशिष्ट वनस्पति, जिसमें जंगली फूल व मेडिसिनल प्लांट्स भी शामिल हैं, इस मौसम में अपने शबाब पर होती है। वन्य जीवन के शौकीन हिमालयन आइबेक्स, ब्लू शीप जैसी प्रजातियों को देख सकते हैं और अगर आप किस्मत के धनी हैं तो स्नो लेपर्ड को भी स्पॉट कर सकते हैं। जीवंत लैंडस्केप व विविध वाइल्डलाइफ इस क्षेत्र के आकर्षण को दोहरा कर देते हैं और प्रकृति प्रेमियों व फोटोग्राफरों के लिए स्वर्ग। 
जुलाई में लाहौल-स्पीति के अधिकतर होमस्टे, गेस्टहाउस व कैंपसाइट खुले होते हैं। लेकिन मेरी राय है कि आप एडवांस बुकिंग करा कर जायें क्योंकि पर्यटकों की संख्या ज़्यादा होती है। शहरी स्टैण्डर्ड की तुलना में सुविधाएं बुनियादी हैं, लेकिन स्वच्छ व आरामदायक हैं। होमस्टे में रहने से स्थानीय लोगों से संपर्क करने और उनके जीवन को समझने का अवसर मिलता है।-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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