पंजाब के ज्वलंत मामलों की ओर तुरंत ध्यान दे सरकार-2
(कल से आगे)
इसी प्रकार सरकार स्वास्थ्य क्रांति के नाम पर अपने कुछ सैकड़ों खोले गए मोहल्ला क्लीनिकों संबंधी दिन-रात प्रचार कर रही है। इनमें प्रति मरीज़ कमीशन के हिसाब से डाक्टर तथा अन्य स्टाफ रखा गया है और इनमें मरीज़ों की अलग-अलग बीमारियों के टैस्ट करने का काम निजी लैबारेटरियों को दिया गया है। राज्य में डाक्टरों, नर्सों तथा फार्मासिस्टों की पक्की भर्ती करने की बजाय एक प्रकार से स्वास्थ्य सेवाओं का सरकार ने निजीकरण ही कर दिया है। राज्य के ज़िला, तहसील तथा ब्लाक स्तर के अस्पतालों तथा अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की हालत बेहद दयनीय है। लुधियाना शहर के बड़े सिविल अस्पताल में भी अनेक त्रुटियां पाई जा रही हैं। लुधियाना के अस्पताल में तो व्यापक स्तर पर चूहे होने के अनेक वीडियो वायरल हुए हैं। फरीदकोट में बाबा फरीद मैडिकल यूनिवर्सिटी से संबंधित अस्पताल में कैंसर का उपचार करवा रहे मरीज़ों को ए.सी. की सुविधा प्राप्त करने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ी है।
बड़े सरकारी अस्पतालों में मरीज़ों को पीने वाले स्वच्छ पानी, साफ बिस्तरों तथा आवश्यक दवाइयां प्राप्त करने में मुश्किलें आ रही हैं और ज़्यादातर मरीज़ों को बाहर से दवाइयां लाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
राज्य की सत्ता सम्भालने से पहले आम आदमी पार्टी ने व्यापक स्तर पर नशों पर काबू पाने का ज़ोर-शोर से प्रचार किया था। अब तक चाहे सरकार ने अपना लगभग अढ़ाई वर्ष का कार्यकाल पूर्ण कर लिया है, परन्तु नशे के रुझान पर इसकी ओर से काबू नहीं पाया जा सका। प्रतिदिन युवाओं के अधिक नशा लेने के कारण मरने के समाचार आ रहे हैं। कृषि संकट पहले से भी गम्भीर हुआ नज़र आ रहा है। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सी 2+50 (ष्ट2+50) प्रतिशत लाभ के आधार पर फसलों के समर्थन मूल्य देने से केन्द्र सरकार लगातार इन्कार कर रही है। किसान केन्द्र सरकार के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए मजबूर हैं। इसके साथ-साथ प्राकृतिक व अप्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल का हो रहा नुकसान भी किसानों की कमर तोड़ रहा है। इसी कारण ऋण में डूबे किसानों द्वारा भी आत्म-हत्या करने के समाचार निरन्तर आ रहे हैं। राज्य में कृषि आधारित उद्योग तथा अन्य उद्योग लगाने के मामले में सरकार को कोई अधिक सफलता नहीं मिली। इसी कारण राज्य में युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर पैदा नहीं हो रहे, वे अपना यहां कोई भविष्य न होने के कारण शिक्षा प्राप्त करने के बहाने विदेशों को पलायन कर रहे हैं। धान की कृषि तथा कई अन्य कारणों से भू-जल का संकट भी पैदा हो गया है। यदि राज्य सरकार केन्द्र से पंजाब के लिए वैकल्पिक फसलों पर आधारित नई कृषि नीति प्राप्त करने तथा इसे लागू करने के लिए विशेष पैकेज प्राप्त न कर सकी तो कृषि संकट बरकरार रहेगा और लोगों को पीने के लिए भी पानी नहीं मिलेगा।
युवाओं में व्यापक स्तर पर बेरोज़गारी होने के कारण उनका एक बड़ा भाग अपराधों की दुनिया में प्रवेश कर गया है। नशा करने, नशा बेचने, नशों की पूर्ति के लिए लूट-पाट तथा चोरियां करने में युवाओं का एक वर्ग लगा हुआ है। राज्य में गैंगस्टरवाद तथा फिरौतियां वसूलने के बढ़-फूल रहे धंधे की जड़ें भी युवाओं की बेरोज़गारी में हैं। इस कारण अमन-कानून की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि लोग घरों में भी अपने-आप को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे। मुख्यमंत्री का इस संबंध में कोई बयान भी कम ही आता है।
‘आप’ सरकार भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में भी बुरी तरह नाकाम हो गई है। बहुत-से सरकारी विभागों में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है। आजकल आंगनवाड़ियों में बच्चे घटिया फफूंद वाला दलिया तथा रिफाइंड की बनी घटिया पज़ीरी खाने के लिए मजबूर हैं। पहले पज़ीरी देसी घी की राज्य के मिल्कफैड के प्लांटों में बनती थी, परन्तु अब सरकार ने 240 करोड़ का यह ठेका मार्कफैड के माध्यम से चंडीगढ़ की एक निजी कम्पनी को दे दिया है, जो घटिया पज़ीरी सप्लाई कर रही है। इस पर राज्य के संबंधित अधिकारी खामोश हैं। सोशल मीडिया पर लगातार वीडियो वायरल हो रहे हैं। राज्य सरकार के अधिकारियों की घटिया कारगुज़ारी के कारण सड़कों के बहुत-से केन्द्रीय प्रोजैक्टों का कार्य राज्य में ठप्प हो गया है। जिन प्रोजैक्टों का काम हो रहा है, वहां ठेकेदारों को धमकियां मिल रही हैं।
जिस प्रकार कि हमने आरम्भ में लिखा है कि राज्य की उपरोक्त हकीकत मुख्यमंत्री, उनके मंत्रिमंडल तथा प्रशासनिक स्टाफ के विशेष ध्यान की मांग करती है। यदि वह राज्य के विभिन्न मामलों के समाधान की ओर ध्यान नहीं देते तो यहां लोगों में बढ़ रही बेचैनी गम्भीर रूप धारण कर सकती है। इसलिए मुख्यमंत्री को हरियाणा के चुनावों की चिन्ता तथा बांग्लादेश के घटनाक्रम का ज़िक्र छोड़ कर अपने राज्य के लोगों की समस्याओं को हल करने की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए। इस समय स्थिति यह है कि मंत्रिमंडल की बैठकें भी बाकायदा नहीं हो रहीं। लोगों में बढ़ रही बेचैनी एवं निराशा राज्य में असुखद हालात पैदा कर सकती है। (समाप्त)
-मो. 98726-21741