जेब में संविधान !

वे शहर में टिल्लू मामा के नाम से प्रसिद्ध हैं। उम्र पचपन साल! राजनीति उनकी प्रेमिका है। सुबह से शाम तक जहां भी जायेंगे बस दीवानगी तक राजनीति के चर्चे! यहां तक कि मंदिर, मस्जिद और श्मशान भी न छूटे! पिछली बार श्मशान घाट में गमी के माहौल में भी वे किसी से गर्मा-गर्म राजनीतिक बहस में भिड़ गये। परिणामस्वरूप मरहूम के रिश्तेदारों से पिटते-पिटते बचे! वे किस राजनीतिक पार्टी में हैं, आज तक कोई समझ नहीं पाया! कभी उनकी कांग्रेस पार्टी जैसी होती तो कभी भाजपा जैसी! कभी तृणमूल का स्वर होता तो कभी समाजवादी पार्टी का! वे कब किसका पक्ष लेकर बोलने लगेंगे, भगवान भी नहीं जानता।
आजकल वे इंडी गठबंधन के स्टाइल में कुर्ते की ऊपरी जेब के अंदर संविधान के लाल गुटका संस्करण को लेकर शहर का भ्रमण करते रहते हैं! होटल, पनवाड़ी की दुकान, चाय की गुमटी जहां भी राजनीतिक चर्चा होती रहती है, वहां वे कण-कण में भगवान की तरह उपस्थित रहते हैं! उन्हें शांतिपूर्ण चर्चा को मारपीट वाली बहस की उतुंग ऊंचाइयों पर पहुंचाने में महारत हासिल है! बहस करते हुए वे जेब से बार-बार संविधान की प्रति निकालकर विरोधी के सामने हवा में लहराते हैं! बहस का विषय चाहे कुछ भी हो, संविधान की प्रति लहराना उनके लिए नित्यकर्म की तरह है!
कल मल्लू पहलवान मेरे घर बैठे हुए थे। वे हमारे मोहल्ले के पार्षद हैं! हम दोनों के बीच शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर सामान्य चर्चा हो रही थी। दुर्भाग्य से उधर से गुजरते हुए टिल्लू मामा की नज़र हम पर पड़ गई, चेहरा खिल उठा! वे हंसते हुए ‘जय संविधान’ का नारा मारते, मेरी बाजू की कुर्सी पर आकर ठस गये! मल्लू पहलवान टिल्लू मामा को देखकर कुछ असहज दिखे। वे बोले-‘सूखे कचरे और गीले कचरे का निस्तारण कैसे किया जाए? या तो नगर निगम हर घर को इसके लिए दो डस्टबीन मुहैया करवाए या फिर पब्लिक से कहे कि वह अपने खर्चे से दो डस्टबीन खरीदे!’ उनका बोलना था कि टिल्लू मामा अपने कुर्ते के सामने की जेब से संविधान की प्रति निकालकर मल्लू पहलवान के सामने लहराते हुए बोले-‘संविधान में कहां लिखा है कि कचरे पेटी के लिए पब्लिक पैसा खर्चे..!’ मैं सन्न! लगा, आज मेरे घर कुछ अनहोनी होकर रहेगी! मैं मल्लू पहलवान के गुस्से को जानता हूँ, वे ज्यादा देर जज्ब नहीं कर पाते हैं। उन्होंने टिल्लू मामा और उनके हाथ में लहराते संविधान की प्रति की तरफ एक नज़र डाली और उनकी बातों को अनसुना करते हुए मेरी तरफ मुखातिब होते हुए बोले-‘निगम की सामान्य सभा में यह प्रस्ताव भी पास हुआ है कि इस साल सम्पत्ति-कर में थोड़ी वृद्धि की जाए...!’ उनकी बात अभी ठीक से पूरी भी नहीं हो पाई थी कि टिल्लू मामा संविधान की प्रति फिर लहराते हुए तुनककर बोले-‘संविधान में कहां लिखा है कि हर साल पब्लिक पर टैक्स बढ़ाते चलो...!’ उनका वाक्य अभी पूरा ही नहीं हो पाया था कि मल्लू पहलवान तूफान की तेजी से उठे और टिल्लू मामा को उठाकर जमीन पर पटक दिया! वे गुस्से से आग होते हुए गुर्राए-‘संविधान में कहां लिखा है कि तेरे जैसे चुगद को पटककर मारा न जाए... !’ दूसरे ही पल टिल्लू मामा जीर्ण-शीर्ण अवस्था में जमीन पर बेहोश पड़े थे! मल्लू पहलवान पांव पटकते हुए वहां से ये जा, वो जा...!
टिल्लू मामा को आधे घंटे बाद होश आया तो उन्होंने लंगड़ाते-कराहते, संविधान की प्रति लहराते, थाने जाकर मल्लू पहलवान के खिलाफ एफआईआर लिखवा दी। गवाही में मेरा नाम है! थाने के चक्कर लग रहे हैं! क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा है! (सुमन सागर)