पाक तक पहुंच चुके मंकीपॉक्स से सतर्क रहे भारत

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 14 अगस्त, 2024 को मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) को ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी’ घोषित किया है। इस बीमारी का प्रकोप तो डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो व अन्य अफ्रीकी देशों में हुआ था, लेकिन इसके केस यूरोप में स्वीडन और एशिया में पाकिस्तान तक प्रकाश में आये हैं, इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए यह कदम उठाना आवश्यक हो गया था ताकि सभी देश सतर्क रहें और अपने नागरिकों को मंकीपॉक्स से सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी बंदोबस्त कर लें। विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर-जनरल टेड्रोस एडनाम घेब्रेयसस ने यह घोषणा इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशंस (आईएचआर) की आपात समिति की सलाह पर की है। संगठन एम-पॉक्स आउटब्रेक को ‘तीव्र’ ग्रेड 3 इमरजेंसी मानता है। एम-पॉक्स के पहले मामले 2022 में सामने आये थे और तब से यह बीमारी बिना रोकटोक निरन्तर फैलती ही जा रही है, हाल ही में इसके केस दुनियाभर से रिपोर्ट हो रहे हैं। 
मंकीपॉक्स दुर्लभ जूनोटिक रोग है यानी यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। यह रोग मंकीपॉक्स वायरस से होता है जोकि पॉक्सविरिदे परिवार में ओर्थोपॉक्स वायरस जीनस है। इस परिवार के वायरस से जो अन्य रोग होते हैं वह हैं—स्मालपॉक्स, काऊपॉक्स आदि। संक्रमित व्यक्ति से शारीरिक सम्पर्क में आने पर मंकीपॉक्स इन्सानों में ट्रांसमिट होता है, यह संक्रमित रक्त, फ्लुइड्स या त्वचा या रिसते घावों से सीधे सम्पर्क से भी ट्रांसमिट हो सकता है। दूषित मटेरियल के सम्पर्क में आने या संक्रमित पशु के काटने या पंजा मारने अथवा शिकार, मुर्दा मवेशियों की खाल उतारने या संक्रमित पशुओं का मांस खाने व पकाने से भी एम-पॉक्स हो सकता है। वर्तमान में एम-पॉक्स के दो क्लेड या जेनेटिक ग्रुप्स मौजूद हैं। क्लेड 1 मुख्यत: केंद्रीय व पूर्वी अफ्रीका में पाया जा रहा है और क्लेड 2 का संबंध पश्चिम अफ्रीका के केसों से अधिक है। मंकीपॉक्स के सही स्रोत की जानकारी अभी तक नहीं हो सकी है, लेकिन माना जा रहा है कि छोटे स्तनधारी जैसे गिलहरी व बंदर इसके कैरियर हैं। 
मानवों में मंकीपॉक्स के लक्षण मुख्यत:  लाल चकत्ते की उपस्थिति है जोकि पीपभरी फंसियों में विकसित हो सकते हैं और उनमें खुजली होती है या दर्द भी हो सकता है। अन्य लक्षणों में शामिल हैं बुखार, गले में खराश, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, थकान और लिम्फ नोड्स में सूजन। जब तक सारी फुंसियां ठीक होकर नई त्वचा को स्थान न दे दें, तब तक संक्रमित व्यक्ति दूसरों को यह रोग पास कर सकता है। संक्रमित होने के एक सप्ताह के भीतर आमतौर से लक्षण दिखायी देने लगते हैं, लेकिन रोग 1 से 21 दिनों में भी शुरू हो सकता है। लक्षण आमतौर से 2-4 सप्ताह रहते हैं। अधिकतर लोगों को कम तीव्र लक्षण होते हैं, लेकिन कुछ की बीमारी इतनी गम्भीर हो जाती है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। इस वायरस से संक्रमित होने का अधिक खतरा बच्चों, महिलाओं व कमज़ोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों को है। 
फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई विशिष्ट इलाज उपलब्ध नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सहायक केयर की सिफारिश करता है, जैसे जिन व्यक्तियों को ज़रूरत है, उन्हें दर्द या बुखार की दवा देना। लेकिन आमतौर से लक्षण अपने आप ही चले जाते हैं। मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्तियों को चाहिए कि वह हाइड्रेटेड रहें, ठीक से भोजन करें, पर्याप्त नींद लें, अपनी त्वचा को खुजाएं न, लाल चकत्तों को छूने से पहले व बाद में हाथों को धोएं और अपनी त्वचा को सूखा व खुला रखें। स्मालपॉक्स का उपचार करने के लिए एंटीवायरल (टेकोविरीमैट) विकसित की गई थी। जनवरी 2022 में यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी ने अपवाद हालात में मंकीपॉक्स का इलाज करने के लिए इसे मंजूरी दी, लेकिन इस प्रकार की दवाओं के साथ अनुभव सीमित ही रहा है। तीन वैक्सीन- एमवीए-बीएन, एलसी16 व ओर्थोपॉक्सवैक स्मालपॉक्स के विरुद्ध विकसित की गई थीं, उन्हें भी मंकीपॉक्स को रोकने के लिए मंजूरी दी गई है। बहरहाल, जिन लोगों को खतरा है, उन्हें ही टीकाकरण के लिए ठीक समझा जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस पक्ष में नहीं है कि बड़े पैमाने पर टीकाकरण किया जाये। 
मंकीपॉक्स संक्रमण हमारे दरवाज़े तक आ गया है। पाकिस्तान में मंकीपॉक्स के तीन रोगी मिले हैं, ऐसा 16 अगस्त को उत्तरी खैबर पख्तूनख्वां प्रांत के स्वास्थ्य विभाग कहा। स्वीडन ने 15 अगस्त को अफ्रीका के बाहर क्लेड 1 वैरिएंट के पहले मंकीपॉक्स केस की घोषणा की। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस साल एम-पॉक्स के 15,600 से अधिक केस और 537 मौतें रिपोर्ट की गई हैं। मंकीपॉक्स आउटब्रेक ने 116 देशों को प्रभावित किया हुआ है और सबसे खराब स्थिति डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और उसके पड़ोसी देशों में है। मंकीपॉक्स के जो केस जून 2024 में रिपोर्ट किये गये, उनमें से 19 प्रतिशत अमरीका से हैं और 11 प्रतिशत यूरोप से। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर