मणिपुर के चिन्ताजनक हालात
देश के उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में लगभग पिछले डेढ़ वर्ष से वहां रहते दो कबीलों मैतेयी और कूकी के बीच हुआ गम्भीर झगड़ा, अभी तक भी हल नहीं हुआ, अपितु यहां एक तरह से कबीलों के बीच युद्ध जैसी स्थिति बन गई प्रतीत होती है। अब तक इस हिंसा में लगभग 250 लोगों की मृत्यु हो चुकी है तथा 70,000 से अधिक लोग बेघर हुए शरणार्थी शिविरों में गुज़ारा कर रहे हैं। इस राज्य की जनसंख्या लगभग 38 लाख है। चाहे यहां भारी संख्या में मैतेयी समुदाय के लोग रहते हैं तथा दूसरी बड़ी संख्या नागा-कूकी कबीले की है। इसके अतिरिक्त यहां आधी दर्जन के लगभग अन्य कबीले भी रहते हैं, जिनमें हमार, थाडो तथा मिज़ो आदि काफी संख्या में हैं।
पहले आरक्षण को लेकर मैतेयी तथा कूकी कबीलों के बीच छिड़ी लड़ाई जहां अब पूरे प्रदेश में फैल गई है, वहीं इस क्षेत्र के दूसरे राज्यों पर भी इस लड़ाई का प्रत्यक्ष प्रभाव दिखाने लगा है। भारी संख्या में शरणार्थियों ने निकटतम राज्य मिज़ोरम में शरण ली हुई है। चिन्ताजनक बात यह है कि इस न खत्म हो रहे झगड़े का बाहरी देश लाभ उठा रहे हैं। म्यांमार तो इस राज्य का निकटतम पड़ोसी देश है, जिसकी सीमाओं पर हथियारबंद ब़ागी कबीले सक्रिय हैं। चीन भी अपनी नीति के अनुसार पैदा हुए इन हालात का पूरा-पूरा लाभ उठाने के यत्न में है तथा वह भारत के विरुद्ध सक्रिय हर तरह के ब़ािगयों को हथियारों की मदद भी दे रहा है। हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में रहते मैतेयी तथा कूकी कबीलों के युवाओं ने अपनी-अपनी सुरक्षा सुनिश्चित बनाने के लिए हथियारबंद पहरे भी लगा लिए हैं तथा अपने-अपने क्षेत्रों में बंकर भी बना लिए हैं। हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि अब इन समुदायों की ओर से ड्रोन तथा रॉकेटों का उपयोग भी शुरू कर दिया गया है।
मणिपुर के इस संकट से लाभ उठाते हुए म्यांमार के साथ लगते मणिपुर के कुछ क्षेत्रों में कूकी आतंकवादी संगठनों ने अपनी गतिविधियां बेहद बढ़ा दी हैं। मणिपुर के 22 हज़ार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को अलग करके कूकी-जोमी कबीलों के लोग अलग ‘कूकीलैंड’ बनाने के लिए विगत लम्बी अवधि से यत्नशील हैं। इस उद्देश्य के लिए उनके भिन्न-भिन्न संगठनों ने मिलकर एक साझी कमेटी भी बना रखी है। मैतेयी कबीलों की ओर से भी आरक्षण की मांग करने से यह टकराव और भी तीव्र हो गया है। इस राज्य में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व में भाजपा सरकार चला रही है। चाहे यह हिंसक आन्दोलन पिछले वर्ष मई मास से चल रहा है परन्तु इसे राज्य सरकार किसी भी तरह शांत नहीं कर सकी तथा न ही दबाने में सफल हुई है। लगातार हिंसक गतिविधियों तथा आपसी झड़पों पर नियन्त्रण न कर पाने के कारण देश भर से मुख्यमंत्री को बदलने की मांग उठती रही है परन्तु अब तक केन्द्र की ओर ऐसे किसी बदलाव के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। इस बात पर भी केन्द्र सरकार की लगातार कड़ी आलोचना होती रही है कि प्रधानमंत्री ने इस समय के दौरान एक बार भी यहां का दौरा नहीं किया, जबकि इस मुहाज़ पर प्रदेश सरकार बुरी तरह पिछड़ गई प्रतीत होती है।
विगत दिवस कूकी हथियारबंद लोगों ने जिरीबाम पुलिस स्टेशन के निकट एक मैतेयी बुजुर्ग के मार दिया, जिसके बाद अब यह आपसी लड़ाई फिर तीव्र होती दिखाई देती है। विगत दिवस तो उग्र भीड़ ने मुख्यमंत्री तथा राज-भवन को भी जबरन घेरने का यत्न किया था। नि:संदेह केन्द्र सरकार अब तक इस मामले पर अपनी योजनाबंदी में बुरी विफल हुई है। यहां पर लगातार राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग की जा रही है। चाहे प्रदेश में सत्ता भाजपा की है परन्तु पिछले हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा को यहां निराशा का मुंह ही देखना पड़ा था। केन्द्र अब राज्य सरकार के साथ मिल कर यहां स्थिति को सुधारने के लिए शीघ्र क्या कदम उठाता है, इस ओर सभी की नज़रें केन्द्रित हैं। नि:संदेह भारी यत्नों के बिना इस बेहद खराब हो चुकी स्थिति से बाहर निकलना अब बेहद कठिन प्रतीत होने लगा है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द