गंभीर खतरे का संकेत है इलेक्ट्रोनिक युद्ध

लेबनान बेरुत में कुछ दिन पहले पेजर और उसके बाद वॉकी-टॉकी व सोलर सिस्टम में विस्फोट से दर्जनों मौत और हज़ारों की संख्या में लोगों घालय होने के बाद अब यह साफ  हो गया है कि दुनिया के किसी भी कोने के कोई भी व्यक्ति अपने आपको सुरक्षित महसूस करता हो तो यह उसकी गलतफहमी होगी। दरअसल लेबनान की घटना से विरोधी से बदला लेने का नया हथियार सामने आ गया है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि यह दुश्मन से बदला लेने का साधन नहीं होकर आतंक का नया हथियार भी हो सकता। दुनिया में आतंकवादी गतिविधियों को इससे बढ़ावा मिलेगा। इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर (युद्ध) का यह नया अंदाज़ अपने-आप में गंभीर और अत्यधिक ंिचंताजनक हो गया है। मौत के तांडव का यह नया तरीका और भी अधिक विनाशक होने के साथ ही गंभीर है। 
लेबनान में हज़ारों पेजरों, वॉकी-टॉकी और सोलर सिस्टम में विस्फोट से यह साफ  हो गया कि इलेक्ट्रोनिक डिवाइसों का उपयोग विनाश, आतंक फैलाने या इसी तरह की दूसरी गतिविधियों के लिए भी किया जा सकता है। लेबनान में एक साथ हज़ारों की संख्या में पेजरों में विस्फोट को लेकर संभावनाओं का बाज़ार गर्म है। होने में तो यह एक तरह का साइबर अटैक कहा जा सकता है पर चूंकि अभी आरंभिक स्थिति है, ऐसे में कयास यह लगाये जा रहे हैं कि या तो डिवाइस को हैक करके यह कार्रवाई की गई है या फिर पेजर जहां से खरीदे गए हैं, वहां से ही इसमें कोई विस्फोटक प्लांट किया गया है और जिसका परिणाम मौत और घायलों के रुप में सामने आया है। करीब एक दर्जन से अधिक की मौत की शुरुआती जानकारी के साथ ही 3 हज़ार से अधिक लोगों के घायल होने के समाचार है। ईरानी राजदूत सहित करीब 500 लोगों को अपनी आंख गवानी पड़ी है। जानकारों के अनुसार एक तरह से इसे इलेक्ट्रोनिक वॉरफायर भी कहा जा सकता है। हालांकि इस घटना के लिए इज़रायल पर निशाना साधा जा रहा हैं वहीं पेजर सप्लाई करने वाली ताइवान की कम्पनी भी शक के दायरे में है। लगभग यही स्थिति वॉकी-टॉकी और सोलर सिस्टम के विस्फोट को लेकर है।
हमास पहले से ही इस तरह की घटना के प्रति सचेत था कि उसे यह शक था कि सेलफोन के माध्यम से गतिविधियों की जासूसी संभावित है। ऐसे में हमास ने अपने प्रमुख समर्थकों को पेजर का उपयोग करने की ही सलाह दी इुई थी। पिछले दिनों ही ताइवान से 5000 पेजर मंगवाये गये थे। वॉकी-टॉकी भी लगभग पांच माह पहले खरीदे गये थे। यह कयास लगाया जा रहा है कि पेजर सप्लाई करने से पहले उसमें कोई इस तरह की चिप इंप्लांट कर दी गई थी जो एक निश्चित तापमान पर आते ही विस्फोट हो जाए। दूसरी और यह भी कयास है कि पेजर को हैक करके बेटरी का तापमान बढ़ाकर विस्फोट किया गया हो। लगभग यही कुछ वॉकी-टॉकी व सोलर सिस्टम को लेकर है। जो भी हो, परन्तु यह तकनीक के दुरुपयोग की श्रेणी में ही आएगा। हालांकि ताइवान की पेजर निर्माता कम्पनी के सू चिंग कुआंग ने पेजर में पहले से कोई विस्फोटक इंप्लांट होने की बात को सिरे से खारिज किया है। इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर की संभावनाओं को इससे समझा जा सकता है कि हिज्जबुल नेता हसन नसरुल्लाह ने सेलफोन का उपयोग न करने के लिए अपने सकर्थकों को सतर्क कर रख था। यही कारण था संगठन के बीच संवाद का माध्यम पेजर ही था। लेबनान के लोग अभी तक यह नहीं भूले हैं कि 6 मार्च, 1966 को हमास नेता याह्या अब्बाष को फोन कॉल विस्फोट कर उड़ा दिया था। कहने को तो यह भी कहा जा रहा है रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन द्वारा मोबाइल फोन में विस्फोट कर रूसी सैनिकों को मौत के घाट उतारने का दावा यूक्रेन द्वारा किया गया था। 
सवाल यह नहीं है कि इन विस्फोटों से कितने लोग मरे या घायल हुए, सवाल यह भी नहीं है कि इसके लिए निर्माता कंपनियां दोषी है या हैक करने वाले, सवाल यह भी नहीं हैं कि आपसी बदले की भावना से यह किया गया है या अन्य कोई कारण, सवाल यह भी नहीं है कि यह किसके द्वारा करवाया गया है। सवाल सीधा-सीधा यह है कि आर्थिक उदारीकरण के दौरान दुनिया सिमट के रह गई है। अधिकांश ज़रुरत की चीज़ों में चिपों का इस्तेमाल आम है। इलेक्ट्रानिक्स और इलेक्ट्रिकल क्रांति के इस युग में देखा जाए तो फिर कुछ भी सुरक्षित नहीं है। पेजर, वॉकी-टॉकी या सोलर सिस्टम तो एक बहाना है। यदि इस तरह की संभावनाएं है तो इलेक्ट्रोनिक क्रांति के चलते क्या गरीब और क्या अमीर सभी के पास एंड्रोइड मोबाइल व अन्य उत्पाद आम है। इसके साथ ही कंम्प्यूटर, टेबलेट्स, नोटबुक, लेपटॉप आदि का उपयोग आम है और इनको हैक किया जाना तो आसान माना जाता है। पिछले दिनों जिस तरह से माइक्रोसॉफ्ट को चंद समय के लिए हैक कर दिया गया था या सोशल मीडिया साइट वाट्सएप आदि को हैक कर भले ही कुछ समय के लिए ही हो, पर हैंकरों ने अपनी ताकत दिखा ही दी थी। हालात तो यह हैं कि अब तो लग्जरी गाड़ियाें में डिवाइस का उपयोग होने लगा है। इसी तरह से घर में दैनिक उपयोग के एसी, फ्रिज, इंडक्शन, आदि में जिस जिस में भी डिवाइस लगे होती हैं, उसमें सिस्टम में कुछ भी गलत कर सप्लाई करने और कभी भी दुरुपयोग करने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है। डिजिटल अरेस्ट, साइबर क्राइम आदि जब आज आम होता जा रहा है तो इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर तो नए जमाने का नया संकट पैदा हो गया। ऐसे में किसी भी सिरफिरे व्यक्ति या आतंकी द्वारा इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने की संभावनाएं बढ़ गई। यह अपने आप में मानवता के लिए नया संकट पैदा हो गया है। समय रहते इसकी काट बनानी होगी नहीं तो किसी के पागलपन का शिकार निर्दोष लोगों को होना पड़ सकता है। यह कोई लेबनान की समस्या नहीं है, न ही यह पेजर, वॉकी-टॉकी और सोलर सिस्टम में ब्लास्ट तक सीमित है, बल्कि यह तो नए तरह का आतंक है। शृंखला बम विस्फोट से भी अधिक गंभीर है इलेक्टानिक वॉरफेयर। 
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