बोटुलिज्म क्या है ?

दीदी, मेरे एक क्लासमेट की छोटी बहन अभी एक साल की भी नहीं है और उसे बोटुलिज्म हो गया है ...।’
‘ओह!’
‘लेकिन यह बोटुलिज्म है क्या?’
‘बोटुलिज्म एक प्रकार की फूड प्वाइजनिंग है। यह उस फूड के खाने से होता है, जिसमें बैक्टीरिया के कारण कुछ टोक्सिन विकसित हो जाते हैं। बोटुलिज्म के संदर्भ में टोक्सिन क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक बैक्टीरिया से पैदा होते हैं।’ 
‘क्या बोटुलिज्म की स्थिति हर प्रकार के फूड से उत्पन्न हो सकती है?’
‘आमतौर से यह अनुचित तरीके से तैयार किया गया घर के डिब्बाबंद फूड्स के खाने का नतीजा होता है। बोटुलिज्म लैटिन शब्द बोटुलस से बना है, जिसका अर्थ है सॉसेज।’
‘सॉसेज से बोटुलिज्म! मैं समझा नहीं।’
‘बोटुलिज्म के अधिकतर केस अनुचित तरीके से पकाये गये सॉसेज के खाने से आते थे, इसलिए यह नाम पड़ा।’
‘बोटुलिज्म के लक्षण क्या हैं?’
‘जी मितलाना, उल्टी, मांसपेशियों में ऐंठन आ जाना, जिससे बोलना, देखना व सटकना कठिन हो जाता है। डायाफ्राम पर पैरालिसिस का असर पड़ सकता है, जिससे जीवित रहने के लिए आयरन लंग ज़रूरी हो जाता है।’
‘जिस बैक्टीरिया से बोटुलिज्म उत्पन्न होता है क्या वह फूड का स्वाद व गंध बदल देता है?’
‘ज़रूरी नहीं। ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी। गंध न होने का मतलब यह नहीं है कि घर के बने डिब्बाबंद फूड में बैक्टीरिया है या नहीं। घर का डिब्बाबंद फूड उस समय तक नहीं खाना चाहिए जब तक कि उसे अच्छी तरह से पका लिया न गया हो। फल व सब्जियों को डिब्बे में रखने से पहले अच्छी तरह से धो लेना चाहिए। गोश्त, मछली व मुर्गा को डिब्बे में रखने से पहले प्रेशर कुकर में पका लेना चाहिए। डिब्बे के जिस फूड के साथ ऐसा नहीं किया गया है, उसे खाने से पहले उबाल लिया जाये। अगर डिब्बे के फूड से महक आ रही है तो उसे चखा न जाये।’
‘अगर यही बात है तो मेरे क्लासमेट की बहन को बोटुलिज्म क्यों हुआ, वह तो अभी एक साल की भी नहीं है?’
‘शहद से हुआ होगा। दरअसल, एक वर्ष से कम के बच्चे को शहद नहीं देना चाहिए।’
‘क्यों?’
‘शहद में क्लोस्ट्रीडियम नामक बैक्टीरिया हो सकता है जो शिशु में बोटुलिज्म का कारण बनता है।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर