भारत एवं कनाडा के छितराते संबंध

विगत लम्बी अवधि से भारत एवं कनाडा के रिश्तों में आई कड़वाहट को महसूस किया जा रहा है। भारत की ओर से ये आरोप लगाये जाते रहे हैं कि कनाडा में भारत विरोधी और खास तौर पर ़खालिस्तान समर्थकों का भारी जमावड़ा है तथा वहां की सरकार उन्हें इसके लिए शह भी देती रही है। वे वहां भारत के विरुद्ध कुछ भी बोल सकते हैं तथा इसकी प्रभुसत्ता को लगातार चुनौती दे सकते हैं। भारत यह भी आरोप लगाता रहा है कि देश-विरोधी तत्व यदि ़गैर-कानूनी ढंग से वहां दाखिल हो जाते हैं तो वहां की सरकार उन्हें मान्यता देने में देर नहीं करती। भारत का यह भी आरोप है कि कनाडा में आयोजित किसी भी समारोह में भारत के विरुद्ध जमकर भड़ास निकाली जाती है तथा वहीं पर भारत के विरुद्ध साज़िशें बना कर यहां अनेक तरह के घटनाक्रमों को अंजाम दिया जाता है। 
गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे व्यक्ति चाहे अमरीका के निवासी हैं और लगातार भारत-विरोधी षड्यंत्रों में शामिल होते रहते हैं, उनका भी कनाडा में  ऐसे तत्वों के साथ लगातार सम्पर्क बना रहता है। वहां देश से भावुक तौर पर जुड़े हुए व्यक्ति एवं परिवार चाहे कहीं अधिक हैं परन्तु गड़बड़ करने वालों के स्वर कहीं ऊंचे सुनाई देते हैं। भारत सरकार के अनुसार यदि उसकी ओर से ऐसी देश-विरोधी गतिविधियों की वहां की सरकार को लगातार विस्तारपूर्वक जानकारी भी दी गई तो ट्रूडो सरकार ने लगातार इस ओर अनिश्चितता वाली नीति ही अपनाये रखी है। यहां तक कि वर्षों पहले घटित कनिष्क विमान दुर्घटना में चाहे सैकड़ों ही लोग मौत के मुंह चले गये थे परन्तु इस संबंध में भी कनाडा की सरकार कोई ठोस एवं सन्तोषजनक जांच करके न्याय देने में असमर्थ रही थी। आज भारी संख्या में भारतीय एवं विशेष तौर पर पंजाबी परिवार वहां बसे हुये हैं। उन्होंने पंजाब की धरती से किसी न किसी रूप में अपनी साझेदारी भी बनाये रखी है। यहीं पर ही उनकी हर तरह की रिश्तेदारियां हैं तथा वे अक्सर किसी न किसी काम को लेकर यहां आते रहते हैं। दोनों देशों में व्यापक स्तर पर आपसी व्यापार भी चलता रहा है परन्तु वहां होने वाली भारत-विरोधी गतिविधियों के कारण दोनों देशों के रिश्तों में लगातार कड़वाहट आती रही है, जिसका प्रभाव स्पष्ट रूप में देखा एवं महसूस किया जाने लगा है। 
खास तौर पर यह बात उस समय अधिक उभर कर सामने आई जब जून, 2023 में एक ़खालिस्तान समर्थक एवं भारत में कई गम्भीर मामलों में वांछित हरदीप सिंह निज्जर की कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा गोलियां मार कर हत्या कर दी गई थी। उसी समय से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इसके लिए भारत की ओर अंगुली उठानी शुरू कर दी थी तथा ये आरोप लगाने शुरू किए थे कि ऐसा कुछ भारत की गुप्तचर एजेंसियों के एजेंटों की ओर से किया गया है। इस संबंध में ट्रूडो ने अपनी संसद में कड़ा एवं स्पष्ट बयान भी दिया था, जिस पर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया प्रकट की थी तथा कनाडा सरकार को लगाये इन आरोपों के प्रमाण देने हेतु कहा गया था। चाहे अब तक वह ऐसे प्रमाण तो पेश नहीं कर सकी परन्तु उसकी ओर से भारत पर ऐसे आरोप लगाने का सिलसिला जारी है। इसी ही क्रम में अब वहां की सरकार ने भारतीय दूतावास पर अंगुलियां उठानी शुरू कर दी हैं तथा वहां की सरकारी एजेंसी ने भी यह कहा है कि वह भारतीय राजदूत तथा उसके साथियों को निज्जर हत्याकांड संबंधी की जा रही जांच में बुलाने के लिए भारत से इजाज़त चाहती है। इस घटनाक्रम के कारण पहले ही तनावपूर्ण चले आ रहे संबंधों में और भी बड़ी कड़वाहट आ गई है, जिस कारण दोनों ही देशों ने दूतावासों के अपने-अपने उच्चाधिकारियों को वापिस बुलाने की घोषणा कर दी है। 
दोनों के आपसी संबंध इतने बिगड़ जाएंगे, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता। नि:संदेह जस्टिन ट्रूडो की ओर से लगातार की जा रही ऐसी बयानबाज़ी एवं गतिविधि ने हालात को बड़ी सीमा तक बिगाड़ दिया है। पैदा हुए ऐसे हालात दोनों देशों के हित में नहीं हैं, क्योंकि दोनों के आपसी संबंधों के सूत्र अनेक पक्षों से आपस में लगातार जुड़े रहे हैं। उस समय से ही जब भारत अभी आज़ाद नहीं हुआ था तथा कनाडा पर ब्रिटेन का प्रभाव बना हुआ था। आज दोनों देश अनेक तरह के बड़े अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों में शामिल हैं। ऐसे संगठन जो विश्व को हर तरह से प्रभावित करने वाले सिद्ध हो सकते हैं परन्तु अब दोनों देशों में बढ़ी दूरियां किसी के भी हित में नहीं हैं। भारत के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर यह एक और बड़ी चुनौती पैदा हो गई है जिसका हल दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध रखने वाले देशों के सहयोग एवं समुचित कूटनीति से ही निकाला जा सकता है। बेहतर यह होगा कि दोनों देश स्वयं पहल करके इस मामले का उचित हल निकालने के लिए आगे आएं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द