शिक्षा के लिए ए.आई. की चुनौतियों को समझें
ए.आई. (कृत्रिम बौद्धिकता) को लेकर काफी विवादपूर्ण बातें अक्सर हमारे सामने आती रही हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख है भारत जैसे मुल्क में जहां बेरोज़गारी पहले से ही विकट समस्या बनी हुई है, नौकरियां खोने की आशंका लोगों को दुखांत की तरह लगती है। यह केवल गिनवाये जाने वाली नकारात्मक पहलू ही नहीं हैं, इस पर सरकारों को गम्भीरता से विचार करने की ज़रूरत बनी हुई है।
इसके बावजूद ए.आई. की मदद से चिकित्सा, पढ़ाई तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में पहले से कहीं अधिक सुविधा मिलने की खबरें भी बार-बार सामने आ रही हैं, जिनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। माहिर बता रहे हैं कि ए.आई. का इस्तेमाल व्यापक और जटिल समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है। इसका बेहतर उपयोग शिक्षा के लिए भी किया जा सकता है और अब यह बात कल्पना मात्र नहीं है। यह तकनीक शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ाने, बेहतर कैरियर के लिए नई राह खोजने, आज की पढ़ाई में दक्षता को कल नौकरी खोजने में सहायक बनाने के लिए किया जा सकता है, जिसके पहले पूर्वाग्रहों से मुक्त होना ज़रूरी होगा। पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट के अनुसार अमरीका में एक सर्वेक्षण किया गया है। वहां लगभग पचास प्रतिशत शिक्षक और स्कूलों का प्रशासन तंत्र ऐसा है जो अपने काम में ए.आई. का उपयोग कर रहा है। और वे इस कार्य को आशा भरी निगाहों से देखने लगे हैं। इसे अधिक व्यापकता देने के लिए प्रशिक्षण की कमी को महसूस किया जा रहा है।
वर्तमान समय काफी तेजी से तकनीक पर निर्भर करता जा रहा है, जिसकी अपनी चुनौतियां हैं और माहिर कहते हैं कि चुनौतियों से सम्भावनाएं ज्यादा हैं तो क्यों न सम्भावनाओं पर पहले ध्यान दिया जाये। इसे अपनाने में जो बाधाएं हैं, वे इतनी बड़ी नहीं हैं कि पार न की जा सके। आरम्भिक रूप में बिजनेस लीडर्स और नीति-निर्माताओं के शिक्षकों को ए.आई. और इसके व्यवहारिक अमल के नि:शुल्क प्रशिक्षण प्रदान करने की ज़रूरत रहेगी। इसे नि:शुल्क ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से भी अपनाया जा सकता है। इसे शिक्षा के अलग-अलग स्तरों या स्थानीय पाठ्यक्रम के लिए भी खोला जा सकता है। शिक्षक खुद आत्म-विश्वास के साथ आगे बढ़ेंगे, तो अपनी कक्षाओं में इसे प्रेक्टीकल की तरह समझा पाएंगे। फिर ए.आई. में प्रशिक्षित टीचर अपने विद्यार्थियों की सहायता करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहेंगे। जो इस क्षेत्र में और अधिक गहरा उतरना चाहते हैं। आई.बी.एम. के पिछले दिनों हुए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि कई शिक्षार्थी अच्छे वेतन वाली तकनीक आधारित नौकरी करना चाहते हैं, लेकिन वे स्वयं को तकनीक कुशल नहीं मान रहे। कुछ अन्य कह रहे हैं कि उन्हें अब समझ नहीं आ रहा कि अपनी मंज़िल का आरम्भ कहां से करें। तब जनरेटिव ए.आई. ही सहायता कर पाता है। इससे विद्यार्थियों के स्तर और दिलचस्पी के अनुकूल कोर्स का सुझाव दे सकता है, जिसका विद्यार्थी पूरा लाभ उठा सकते हैं। इतना ही नहीं उच्च शिक्षा और करियर की उन्नति की समुचित सलाह भी मिल सकती है। इसका परिणाम पूर्व की परिस्थितियों से बेहतर आने लगा है और ज़रूरी फैसला लेने में मदद कर सकता है।
तकनीक क्षेत्र में परिवर्तन जल्दी-जल्दी आ रहे हैं। विद्यार्थियों को अपडेट करने के लिए जिज्ञासा, निरन्तर खोजने और करने की भूख रहनी चाहिए। कौशल में कमी को कम करने का सतत प्रयत्न लाभप्रद हो सकता है।