ट्रम्प की कारोबारी जंग के भारत के लिए मायने ?

कारोबारी जंग को लेकर जैसे कि आशंका थी, आखिरकार अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने उसे वाइट हाउस पहुंचने के पहले ही जुबान दे दी है। उन्होंने न सिर्फ चीन से आने वाली सभी वस्तुओं पर 10 प्रतिशत बल्कि कनाडा तथा मैक्सिको से आने वाली वस्तुओं पर तो 25 प्रतिशत शुल्क का ऐलान कर दिया है। इस पर तिलमिलाए चीन की त्वरित प्रतिक्रिया उसके अमरीका स्थित दूतावास की तरफ से आयी है। चीनी दूतावास के प्रवक्ता लिउ पेंग्यू ने अपने जारी एक बयान में कहा कि हमारा मानना है कि दोनों देशों के आर्थिक संबंध और व्यापारिक सहयोग आपसी हितों पर आधारित हैं। गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने गुजरे 25 नवम्बर 2024 को सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ’ पर साझा कई पोस्ट में कहा कि 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही वे सबसे पहला काम कनाडा, चीन और मैक्सिको से आने वाले सामान पर टैरिफ लगाने का ही करेंगे। ट्रंप ने लिखा है कि हजारों लोग मैक्सिको और कनाडा से अमेरिका में दाखिल हो रहे हैं और वे अपने साथ ड्रग्स तथा अपराध लेकर आ रहे हैं। कनाडा और मैक्सिको चाहें तो इन अवैध अप्रवासियों को रोक सकते हैं और उनके पास ऐसा करने की शक्ति भी है। इसलिए कनाडा और मैक्सिको से आने वाले उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा और जब तक कनाडा और मैक्सिको, अमरीका में उनकी सीमा से आ रहे अवैध अप्रवासियों को नहीं रोकते, तब तक उन्हें यह भारी-भरकम टैरिफ देना होगा।
हालांकि अभी तक कनाडा और मैक्सिको की ऐसी प्रतिक्रिया नहीं आयी, जिसका व्यापक अर्थ लगाया जाए, लेकिन चीन, राष्ट्रपति ट्रंप की इस पोस्ट से काफी तिलमिला गया है और उसने अब तक तीन अलग-अलग मंचों पर इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर चुका है। अमरीका स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता के बाद, 26 नवम्बर 2024 को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्रंप की ड्रग्स संबंधी आरोप पर टिप्पणी की, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘चीन समानता, पारस्परिक लाभ और सम्मान के आधार पर अमरीका के साथ मादक पदार्थ निषेध सहयोग जारी रखना चाहता है। इसलिए अमरीका को चीन की सदिच्छा मूल्यवान समझकर मादक पदार्थ निषेध सहयोग में बड़ी कोशिशों के बाद हासिल अच्छी स्थिति को बनाये रखना चाहिए।’
मालूम हो कि अमरीका के निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट पर कहा था कि चीन के साथ फेंटानिल आदि मादक पदार्थों पर वार्ता हुई, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। अमरीका में बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ इसके बाद भी आये। अगर ट्रंप के इस आरोप को गौर से देखा जाए तो उन्होंने चीन पर 10 प्रतिशत का जो टैरिफ लगाने की बात कही है, वह इसी बिना पर लगाया है कि चीन से मादक पदार्थों की आवक कम नहीं हो रही। मतलब यह कि अगर चीन ऐसी व्यवस्था करता है कि फेंटानिल जैसे मादक पदार्थ अमरीका नहीं पहुंचते तो ट्रंप इस लगाये गये टैरिफ को खत्म भी कर सकते हैं। हालांकि इसे एक सोशल मीडिया टिप्पणी की वजह से भले अतिरिक्त टैरिफ लगाये जाने का बहाना माना जाए, लेकिन अगर राष्ट्रपति ट्रंप के पिछले कार्यकाल को देखें तो साफ होता है कि वह अपने पहले कार्यकाल में भी चीन के साथ ट्रेड वार का न केवल ऐलान किया था बल्कि उसे शुरु भी कर दिया था। शायद यही वजह है कि साल 2018 के बाद से अमरीका के बाज़ार में चीन का निर्यात लगातार कम हो रहा है। हालांकि अब भी यह बहुत ज्यादा है।
साल 2024 के अब तक के कारोबार को देखें तो इस साल के पहले चार महीनों के दौरान ही अमरीका और चीन दोनों का आपसी कारोबार 203.45 बिलियन डॉलर का था। चीन ने इस दौरान अमरीका को लगभग 1.08 ट्रिलियन युआन मूल्य का निर्यात किया है, जबकि इस बीच अमरीका से आयात में 2.5 प्रतिशत की गिरावट आयी है। अमरीका का चीन के साथ व्यापार घाटा 692.41 बिलियन युआन तक पहुंच गया है। जबकि अमरीका और भारत का कुल वार्षिक कारोबार भी अभी तक 200 बिलियन डॉलर नहीं पहुंचा। हालांकि अमरीका और भारत के बीच लगातार आपसी कारोबार बढ़ रहा है। लेकिन अगर अमरीका के 20 जनवरी 2025 के 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाये जाने से चीन के निर्यात में कुछ कमी भी आती है, तो भारत को इसका भरपूर फायदा मिलना बहुत तय नहीं है। क्योंकि हमारे निर्यात में कई बड़ी दिक्कतें आ रही हैं। इसमें सबसे बड़ी दिक्कत लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर भारत अपने लॉजिस्टिक्स के प्रदर्शन में सुधार कर ले, तो न सिर्फ अमरीका के साथ 10 से 12 प्रतिशत वार्षिक व्यापार बढ़ सकता है बल्कि हमारे ओवर आल वैश्विक कारोबार में भी बढ़ोत्तरी होगी। अगर भारत अपनी लॉजिस्टिक्स लागत को एशियान देशों के स्तर तक ले आए तो अमरीका के साथ हमारे द्विपक्षीय कारोबार में 25 से 30 प्रतिशत तक की भी बढ़त हो सकती है यानी मौजूदा कारोबार के अतिरिक्त 50 से 60 बिलियन डॉलर के अतिरिक्त कारोबार की सुखद राह खुल सकती है।
हमें जिन क्षेत्रों में अमरीका सहित दुनिया के दूसरे देशों के साथ कारोबार में तुरंत से और बेहतर हो सकता है। ये क्षेत्र हैं- फार्मास्युटिक्लस और टैक्सटाइल, एग्रीकल्चर और फूड प्रोसेसिंग, इस सेक्टर में भारत अमरीका को तेज़ी से और ज्यादा कुशल सामान भेज सकता है। 
ग्लोबल लॉजिस्टिक्स इंडेक्स में भारत अभी 38वें स्थान पर है और उसे 20 तक लाने में हमारे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में जबर्दस्त उछाल आ सकता है। हालांकि भारत ने हाल ही में प्रोडेक्शन लिंक्ड इंसेंटिव जैसी स्कीम के तहत मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में बढ़ोत्तरी देखी है। लेकिन इस बढ़ोत्तरी को ठोस और वैश्विक पैमाने वाली लॉजिस्टिक्स के जरिये स्थायी बनाया जा सकता है और तब हमें नि:संदेह चीन के साथ अमरीका की कारोबारी जंग का फायदा मिल सकता है। अभी तो इस बारे में सोचना एक तरह से दूर की कोड़ी ही है। हां, यह ज़रूर है कि अमरीका में ट्रंप के आने से भारत के पक्ष में अप्रत्यक्ष रूप से एक माहौल बन रहा है, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि ट्रंप काफी मूडी शख्स हैं। उनके पॉलिटिकल एप्रोज को स्थायी नहीं माना जा सकता। बहरहाल ट्रंप के आने से भारत के लिए अमरीका में फिलहाल तो कारोबारी स्थितियां सकारात्मकता की तरफ बढ़ती दिख रही हैं। लेकिन जब वह अवैध अप्रवासियों को डि-पोर्ट करने की अपनी घोषणा पर अमल करेंगे तो इसका शायद सबसे ज्यादा खामियाजा हमें ही भुगतना पड़ेगा।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 
 

#भारत के लिए मायने ?