संभल को किसने किया आग और पत्थर के हवाले ?
यूपी के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा चिंता जनक है। आपको पता है कि संभल की जामा मस्जिद के सर्वे का आदेश स्थानीय अदालत ने दिया था। अदालत के आदेश पर रविवार को जामा मस्जिद में सर्वे शुरू होते ही लोग उग्र हो उठे। मस्जिद के बाहर भीड़ ने जमकर पथराव किया व पुलिसकर्मियों के वाहन जला दिए। उपद्रवियों को नियंत्रित करने को पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी। आमने-सामने की फायरिंग में चार लोगों की मौत हुई। कौन लोग हैं जो अदालत के आदेश पर अमल करने में बाधा उत्पन्न करना अपना अधिकार समझते हैं और सीधे पुलिस से टकराने के लिए पत्थरबाजी गोलीबारी आगजनी की तैयारी रखते हैं। संभल में पुलिस पर बरसाए गए सात ट्राली ईंट के टुकड़े चीख-चीख कर कह रहे हैं कि देश के भीतर साजिश और तैयारी जारी है। आखिर ये सात ट्राली ईंट के टुकड़े करीब सात हज़ार पांच सौ ईंट कहां और क्यों जमाकर रखीं गयीं थीं?
जानकारी के अनुसार पथराव में एसडीएम, सीओ, एसपी के पीआरओ समेत 30 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हैं। डेढ़ दर्जन उपद्रवियों को हिरासत में लिया है। संभल बाज़ार बंद है व अफवाहें रोकने के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। कमिश्नर व डीआइजी संभल में ही कैंप किए हुए हैं। कमिश्नर अनुसार नखासा क्षेत्र में भी पथराव हुआ। वहां से महिलाओं व कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। गौरतलब है कि वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु जैन ने 19 नवम्बर को शाही जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने का दावा सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में पेश किया था। अदालत ने सर्वे कराने का आदेश दिया था। उस दिन वीडियोग्राफी के बाद टीम चली गई थी। दूसरे चरण का सर्वे करने रविवार सुबह सात बजे एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव एवं अधिवक्ता विष्णु जैन व अन्य मस्जिद में पहुंचे। क्षेत्र की नाकेबंदी कर एडवोकेट कमिश्नर डीएम और एसपी की मौजूदगी में मस्जिद की वीडियोग्राफी करा ही रहे थे कि बाहर भीड़ जुटने लगी। कुछ लोगों ने मस्जिद में घुसने का प्रयास किया। पुलिस के रोकने पर हालात बेकाबू हो गए।
साढ़े आठ बजे भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। पुलिस बल प्रयोग कर खदेड़ने लगी तो फायरिंग कर दी। उपद्रवियों ने धार्मिक नारे लगाकर एक एसएचओ की कार व दो एसएचओ की मोटरसाइकिल समेत कई वाहन जला दिए। वहीं डीएम ने ज़िले में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। इसके बाद पुलिस फोर्स और भीड़ आमने-सामने आ गई। रबर बुलेट, आंसू गैस के गोले छोड़ने पर भी हालात काबू में नहीं आए तब पुलिस ने भी फायरिंग की। उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार अनुसार पुलिस पत्थरबाजी करने वालों की पहचान कर रही है। आरोपितों की पहचान के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अभी स्थिति नियंत्रण में है।
संभल हिंसा मामले में डीएम राजेंद्र पेंसिया ने प्रैस कांफ्रैंस में कहा कि जामा मस्जिद के सदर जफर अली का भ्रामक बयान आया। इसलिए हमें पीसी करनी पड़ी। उनके बयानों की डिटेलिंग हो रही है। एसपी बिश्नोई ने कहा कि जफर अली को ना हिरासत में लिया गया ना ही अरेस्ट किया गया है। केवल जो वार्ता उन्होंने की उसके बारे में बातें की गई। मामले में लगातार अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराने के बयान सामने आ रहे हैं। अब जामा मस्जिद सदर के वकील जफर अहमद ने कहा कि पुलिस ने गाड़ियां जलाईं थीं। एसडीएम ने जबरदस्ती हौद का पानी खुलवाया। जफर ने कहा किए लोग समझे मंदिर में खुदाई हो रही है। इतना ही नहीं बल्कि जफर अहमद ने उपद्रव में मारे गए युवकों को शहीद तक कह डाला। साथ ही परिजनों के लिए मुआवजे की मांग की है। उनका आरोप है कि पूरा घटनाक्रम पुलिस प्रशासन का प्रायोजित प्रोग्राम था। संभल में मस्जिद के बाहर हुई हिंसा के मामले में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत समाजवादी पार्टी के सांसदों ने आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की है। जिसमें उन्होंने मामले की जांच की बात की है।
यूपी पुलिस ताबड़तोड़ एक्शन करती नज़र आ रही है। जफर अली ने प्रैस कांफ्रैंस के दौरान संभल डीएम को रविवार को हुई हिंसा का जिम्मेदार बताया था। जफर अली को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। संभल ज़िले में हुई हिंसा के बाद से पुलिस ने अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया है और 2500 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। ड्रोन के फुटेज से उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। इस बीच सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि संभल में हिंसा जानबूझकर भड़काई गई है। वहीं सपा के सांसद पर भी एफआईआर दर्ज की गई है। संभल के विधायक के बेटे पर भी दंगा भड़काने का आरोप लगा है।
उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में शाही जामा मस्जिद की सर्वे के दौरान हुई हिंसा में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। तीन मौत रविवार को हुई थी, जिनको रातोंरात पोस्टमार्टम के बाद दफना दिया गया। वहीं एक मौत सोमवार की सुबह हुई है। हिंसा मामले में चार एफआईआर दर्ज की गई है। हिंसा के दोषियों के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी। इलाके में हिंसा का असर भी देखने को मिल रहा है। शहर में एक-दो दुकाने ही बस खुली हुई हैं। एहतियात के तौर पर ज़िले में इंटरनेट सेवा ठप कर दी गई है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व अन्य विपक्षी दल उत्पन्न हुई स्थिति के लिए सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। मुस्लिम धर्म गुरु और नेता भी प्रदेश की सरकार पर ही निशाना साध रहे हैं। विपक्षी दलों के नेताओं को पता है कि पुलिस या प्रशासन जो कुछ कर रहा है वह न्यायालय के आदेश पर कर रहा है। इसका प्रदेश की सरकार का प्रत्यक्ष रूप से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति के कारण उपद्रवियों को अप्रत्यक्ष समर्थन दिया जा रहा है।
देश संविधान द्वारा स्थापित कानून व्यवस्था के अन्तर्गत चल रहा है। यह बात सभी नेताओं सहित आम जन को समझनी होगी। अगर किसी को लगता है कि कुछ गलत है तो उसे न्यायालय में चुनौती देनी चाहिए न कि बवाल करना चाहिए। कानून को अपने हाथ लेने की प्रवृत्ति को रोकने का काम समाज व सरकार दोनों को मिलकर करना चाहिए। बवाल करना देशहित में नहीं। सबका साथ सबका विकास के थीम पर चलने वाली केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा भी अल्पसंख्यकों को भरोसा और विश्वास बनाए रखना ज़रूरी है।
कहीं न कहीं प्रशासन की चूक रही कि उसने एक संवेदनशील कार्रवाई से पहले पर्याप्त एहतियाती इंतजाम नहीं किए। मुस्लिम समुदाय के लोगों को आज़ादी के बाद से लगातार हमारे कुछ राजनीतिक रोटियां सेकने वाले दलों ने एक अविश्वास और असुरक्षा की भावना को विकसित कर उन्हें वोट बैंक के लिए तैयार किया है यही असुरक्षा की भावना उनके दिलों दिमाग पर हावी कर उन्हें सीधे पुलिस से टकराने के लिए भड़काने का काम किया जाता है। यदि सरकार पहले से एहतियात बरतती तो संभल में टकराव की स्थिति नहीं बनती। क्या कुछ लोग दंगा कर सरकार को मुस्लिम विरोधी बताने की साजिश रच रहे थे? कुछ राजनीतिक दल रोटियां सेंकने के इच्छुक हैं? इन सब सवालों का जवाब जांच का विषय है।