प्रधानमंत्री लाए न्याय प्रणाली में बड़़े सुधार
‘संविधान दिवस’ पर विशेष
इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी प्रगति के अलावा, कानून और नीतियां किसी भी देश की परिवर्तनकारी यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारत के दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, पिछले दशक में भारत की उल्लेखनीय सफलता कोई अपवाद नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी के सुधारों ने देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर कर 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक व्यापक विकास की रूप रेखा तैयार की है। उन्होंने राजनीतिक दबाव के कारण नहीं, बल्कि राष्ट्र को मजबूत करने के इरादे से सुधारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है।
अब जबकि भारत 26 नवंबर को संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ‘संविधान दिवस’ मना रहा है, इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार द्वारा लाए गए महत्वपूर्ण कानूनों ने राष्ट्र की दिशा और भविष्य दोनों को बदल दिया है।
भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में परिवर्तन
पिछली सरकारों के यथास्थितिवादी दृष्टिकोण से चिपके रहने के बजाय, प्रधानमंत्री मोदी ने दंड की तुलना में न्याय को प्राथमिकता देने और भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को दुनिया में सबसे उन्नत में से एक बनाने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए लगभग 1500 कानूनों को निरस्त करने का साहस दिखाया है।
नव अधिनियमित कानून - भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023- ने पुरातन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, जो ब्रिटिश संसद द्वारा बनाए गए थे, को प्रतिस्थापित करके आपराधिक न्याय प्रणाली में भारतीय लोकाचार को शामिल किया गया है।
जहां सामुदायिक सेवा को कानूनी तौर पर छोटे-मोटे अपराधों के लिए सज़ा के तौर पर मान्यता दी गई है, वहीं भीड़ द्वारा हत्या को अपराध घोषित किया गया है। मोबाइल या चेन स्नैचिंग जैसे छोटे-मोटे संगठित अपराधों के लिए एक नया प्रावधान पेश किया गया है। वर्तमान युग के अपराधों को कवर करने के लिए आपराधिक विश्वासघात, जालसाजी, हवाला लेन देन, बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और धोखाधड़ी की योजना जैसे आर्थिक अपराधों को भी व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है।
ऐतिहासिक रूप से दुरुपयोग किए जाने वाले राजद्रोह कानून को भी देशद्रोह के अपराध से बदल दिया गया है। इन कानूनों के तहत अब नकली मुद्रा रखने को अपराध नहीं माना जाएगा, जब तक कि इसे असली मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करने का इरादा न हो। साइबर अपराधों से निपटने के लिए डेटाए क्रेडिट कार्ड, पहचान, हैकिंग और बौद्धिक संपदा जैसी अमूर्त संपत्तियां अब चोरी की परिभाषा में शामिल हैं।
आर्टिकल 370 का उन्मूलन : 70 वर्षों से भारत के लोगों के दिलों में यह आकांक्षा थी कि जम्मू-कश्मीर देश का अभिन्न अंग होना चाहिए और आर्टिकल 370 इस लक्ष्य को प्राप्त करने में एकमात्र बाधा थी। अगस्त 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान के आर्टिकल 370 को निरस्त करने का ऐतिहासिक कदम उठाकर इस बाधा को हमेशा के लिए दूर कर दिया, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था।
2019 में आर्टिकल 370 के निरस्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों, जिनमें 20,000 से अधिक पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी शामिल हैं, जिन्हें पूर्ण नागरिकता के अधिकार मिले हैं, अब अन्य सभी भारतीय नागरिकों के समान अधिकारों और सुरक्षा का आनंद ले रहे हैं।
अनुसूचित जनजाति समुदायों (जैसे गुज्जर, बकरवाल और अन्य) को आरक्षित विधानसभा सीटों के माध्यम से राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त हुआ है और अन्य पिछड़ा वर्ग अब शिक्षा और रोज़गार में आरक्षण लाभ के हकदार हैं।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के विस्तार के कारण क्षेत्र के सभी बच्चों को शिक्षा तक समान पहुंच प्राप्त होगी, जो 8 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करता है। आर्टिकल 370 के निरस्त होने से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में 70 प्रतिशत, नागरिकों की मृत्यु में 81 प्रतिशत और सुरक्षा बलों के हताहतों में 48 प्रतिशत की कमी आई है, साथ ही युवाओं के रोज़गार और शिक्षा की संभावनाओं में भी वृद्धि हुई है। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर की जीडीपी लगभग तीन गुना हो गई है, जिसके 2024-2025 में 2.63 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। 2019 से, इस क्षेत्र को कुल 1.19 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिससे 4.6 लाख से अधिक नौकरियां पैदा होंगी।
स्वतंत्रता के समय पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों को भारत की नागरिकता देने का वादा किया गया था। हालांकि, तत्कालीन सरकार ने तुष्टिकरण की नीति के कारण इनमें से लाखों लोगों को नागरिकता देने से इन्कार कर दिया। मोदी सरकार ने 1947 से 2014 के बीच अ़फगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, बौद्धों और पारसियों को लंबे समय से लंबित नागरिकता प्रदान करने के लिए सीएए पेश किया था।
आतंकवाद विरोधी कानून : प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। 2019 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) में संशोधन ने आतंकवाद विरोधी कानूनों को मज़बूत किया है, जिससे सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवाद के खतरे से बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिली है। जहां जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की कमर टूट गई है, वहीं पूर्वोत्तर में 9,000 से अधिक सशस्त्र आतंकवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है जिससे देश में वामपंथी उग्रवाद खत्म हो रहा है।
महिला सशक्तिकरण के लिए ऐतिहासिक कानून
तीन तलाक पर प्रतिबंध : 2019 में ऐतिहासिक मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम पारित किया गया, जिसके तहत मुसलमानों में तीन तलाक (तत्काल तलाक) की प्रथा को अवैध घोषित किया गया। परिणामस्वरूप समुदाय में तलाक के मामलों की संख्या में लगभग 96 प्रतिशत की कमी आई है। मुस्लिम महिलाएं, जिन्हें पहले भोजन में कम नमक या जली हुई रोटी जैसी छोटी-छोटी बातों पर तुरंत तलाक दे दिया जाता था, अब उन्हें अपने आश्रित बच्चों के लिए भरण-पोषण की मांग करने का अधिकार है।
महिला आरक्षण विधेयक : नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने से संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान के साथ महिलाओं को सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्थाओं में लाने का रास्ता साफ हो गया है। यह कानून लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के प्रति प्रधानमंत्री मोदी की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
रियल एस्टेट विनियमन अधिनियम : मोदी प्रशासन द्वारा वर्ष 2016 में रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम बनाया गया, जिसका उद्देश्य आवास क्षेत्र को स्वच्छ बनाना तथा घर खरीदने वालों के अधिकारों की रक्षा करना था।
कम्पनी अधिनियम : प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, कंपनी अधिनियम को अपराध मुक्त किया गया तथा कॉर्पोरेट संचालन में बाधा डालने वाले 40,000 से अधिक अनुपालनों को हटाया गया। भारतीय संविधान समान अवसर, वंचितों के लिए न्याय तथा व्यक्तिगत विकास के लिए अनुकूल वातावरण पर विशेष जोर देता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कमज़ोरों की सुरक्षा के लिए प्रगतिशील कानूनी सुधारों को लागू किया है तथा इसे वास्तविकता बनाने के लिए आतंकवाद और अपराध के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाया है। इसका लक्ष्य सभी नागरिकों के लिए समय पर, सुलभ न्याय सुनिश्चित करना है।
-संसद सदस्य (राज्यसभा)
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