‘इंडिया’ ब्लॉक के लिए बड़ी चुनौती होंगे आगामी विधानसभा चुनाव
देश में 2024 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों का आखिरी दौर समाप्त हो गया। महाराष्ट्र चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति की भारी जीत ने भाजपा को छह महीने पहले हुए 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को हुए नुकसान की भरपाई करने का नया आत्मविश्वास दिया है। ‘इंडिया’ ब्लॉक के लिए झारखंड विधानसभा चुनावों में मिली शानदार जीत एक सकारात्मक संकेत है। फिर भी हरियाणा चुनावों में अप्रत्याशित जीत के साथ, भाजपा दो दावेदारों—राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और ‘इंडिया’ ब्लॉक के बीच धारणा की लड़ाई में बहुत आगे है। ‘इंडिया’ ब्लॉक के 2025 और 2026 के विधानसभा चुनाव अगली चुनौती होंगे।
2024 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में हुए विधानसभा चुनावों ने दिखा दिया है कि भारतीय मतदाता अपने चुनावी व्यवहार में काफी अस्थिर हैं और उनका मूड बहुत तेज़ी से बदलता है। पहले के चुनावों में मिले फायदों को बेअसर करने वाले नये कारक सामने आते हैं। यह भारतीय मतदाताओं की परिपक्वता को साबित करता है। ऐसे बदलते माहौल में विकसित हो रहे राजनीतिक मूड का सही आकलन करना दोनों प्रतिस्पर्धी गठबंधनों के राजनीतिक रणनीतिकारों के लिए कठिन काम है।
लोकसभा चुनाव के बाद पिछले छह महीनों में ‘इंडिया’ ब्लॉक के लिए चुनाव नतीजों में कुछ झटके लगे हैं, लेकिन कुछ अच्छी बातें भी हैं। ‘इंडिया’ ब्लॉक को इस उलटफेर से सबक लेना होगा और सुधार की प्रक्रिया शुरू करनी होगी ताकि राजग, खासकर भाजपा को राजग शासित राज्यों में रोका जा सके, जहां अगले दो साल में विधानसभा चुनाव होने हैं।
ये दो सबक हैं। पहला, महाराष्ट्र में महिला केंद्रित योजनाओं के अंतिम समय में क्रियान्वयन ने महिला मतदाताओं पर बड़ा प्रभाव डाला, जिसके कारण महायुति की भारी जीत हुई। दूसरा, झारखंड में आदिवासी भाजपा के हेमंत विरोधी सभी अभियानों को धत्ता बताते हुए ‘इंडिया’ ब्लॉक के साथ डटे रहे। 2025 में पहला चुनाव फरवरी में दिल्ली विधानसभा के लिए होगा। इसके बाद साल के अंत में बिहार विधानसभा के चुनाव होंगे। दिल्ली के संबंध में संकेत हैं कि ‘आप’ और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। आप का मानना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में नतीजे चाहे जो भी हों, पार्टी आने वाले चुनावों में अकेले लड़ कर भाजपा को हराने में सहज रहेगी। अगर ‘इंडिया’ ब्लॉक के दोनों सहयोगी दल एकमत रहे तो त्रिकोणीय मुकाबला होगा, जिसका फायदा भाजपा को मिलेगा।
आप को यह ध्यान रखना चाहिए कि दिल्ली केरल नहीं है। भाजपा का दिल्ली में आधार बहुत मजबूत है और इस बार वह आप की चुनौती का सामना करने के लिए बेहतर स्थिति में है। ‘इंडिया’ ब्लॉक के वरिष्ठ नेताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए कि 2024 के लोकसभा चुनाव की तरह ही आपसी सहमति बन जाये। अगर ऐसा नहीं होता है तो परिणाम किसी भी तरफ जा सकते हैं।
बिहार के मामले में ‘इंडिया’ ब्लॉक की ओर से मुख्य जिम्मेदारी राजद की है। पिछले विधानसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक मामूली अंतर से हारा थाए लेकिन लोकसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक के प्रचार में कुछ बड़ी खामियां सामने आयी हैं। अब इन पर ध्यान देने की ज़रूरत है और राजद नेता तेजस्वी यादव को पूरे इंडिया ब्लॉक के नेता के रूप में पार्टी से इतर एनडीए को हराने के उद्देश्य से काम करना होगा। कांग्रेस को अपनी ताकत के हिसाब से सीटों के लिए मोलभाव करना पड़ रहा है। पिछले चुनाव में उसका स्ट्राइक रेट सबसे कम रहा था।
2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर ‘इंडिया’ ब्लॉक पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा सहज है। बंगाल में कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन हो या न हो, तृणमूल कांग्रेस कुल 294 में से 223 सीटों की मौजूदा ताकत से अपनी सीटें बढ़ाने के लिए सहज स्थिति में है। दरअसल इस सप्ताह की शुरुआत में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेतृत्व की हालिया उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2026 के विधानसभा चुनाव में 294 में से 260 सीटें जीतने का लक्ष्य टीएमसी नेताओं को दिया है। इसी के मुताबिक टीएमसी अगले साल की शुरुआत से बूथ स्तर की मशीनरी को संगठित कर रही है। 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को राज्य में 77 सीटें मिली थीं, लेकिन उप-चुनावों में हार और दलबदल के बाद उसकी मौजूदा ताकत घट कर 69 रह गयी है।
केरल में 2026 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस फायदे की स्थिति में है लेकिन सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाला सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सत्ता बरकरार रखने के लिए उतनी ही बड़ी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहा है। किसी भी तरह से जीतने वाली पार्टी ‘इंडिया’ ब्लॉक की होगी।
तमिलनाडु में डीएमके सुप्रीमो एम. के. स्टालिन सभी घटकों को प्रभावी ढंग से साथ लेकर ‘इंडिया’ ब्लॉक का नेतृत्व कर रहे हैं। अब तक डीएमके सरकार को कोई खतरा नहीं है। सभी संकेत बताते हैं कि डीएमके के नेतृत्व वाला ‘इंडिया’ ब्लॉक आराम से सत्ता में वापिस आ जायेगा। पुड्डुचेरी में ‘इंडिया’ ब्लॉक को सत्ता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। थोड़ी और योजना और अच्छे उम्मीदवारों का चयन इसे संभव बना सकता है।
‘इंडिया’ ब्लॉक के लिए बड़ी समस्या असम है जिस पर 2016 से भाजपा का शासन है। मुख्यमंत्री हिमंत विस्व शर्मा एक चतुर राजनीतिज्ञ हैं और उन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए ‘इंडिया’ ब्लॉक पार्टियों को सफलतापूर्वक विभाजित किया है। राज्य में ‘इंडिया’ ब्लॉक की प्रमुख पार्टी के रूप में कांग्रेस को विपक्षी खेमे में विभाजन रोकने के लिए बड़ी ज़िम्मेदारी निभानी होगी। कांग्रेस संगठन की हालत खराब है और राज्य पार्टी को हाईकमान से उचित दिशा-निर्देश नहीं मिल रहे हैं। इस बार कांग्रेस हाईकमान को असम को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी।
असम के हालिया उप-चुनावों में दरार के बाद वस्तुत: कोई इंडिया ब्लॉक नहीं है। जहां कांग्रेस एक पारम्परिक सीट सहित सभी सीटों पर हारीए वहां भी जहां पार्टी कभी नहीं हारी। कुछ क्षेत्रीय दलों टीएमसी और वामपंथी दलों की भागीदारी के साथ ‘इंडिया’ ब्लॉक को सक्रिय करना होगा। इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व में संयुक्त विपक्ष द्वारा हिमंत सरकार के खिलाफ लगातार आंदोलन करना होगा। असम के लोगों का एक बड़ा हिस्सा हिमंत से तंग आ चुका है, लेकिन उन्हें कोई विकल्प नहीं दिख रहा है क्योंकि ‘इंडिया’ ब्लॉक पार्टियां संयुक्त रूप से काम करने में असमर्थ हैं। यह सही समय है कि ‘इंडिया’ ब्लॉक नेतृत्व असम के विपक्ष को सही रास्ते पर लाने के लिए काम करे। (संवाद)