सुन्दर वन का वीर 

सुन्दर वन का डंकी गधा स्कूल की छुट्टी होने पर उदास उदास चला जा रहा था। आज डंकी के सहपाठियों ने आज फिर उसका क्लास में मजाक उड़ाया। जब उसने स्कूल के वार्षिक उत्सव में निबंध प्रतियोगिता में भाग लेने की बात कही। क्लास के बहुत सारे बच्चे भाग ले रहे थे। उसकी भी बहुत इच्छा थी।
लेकिन उसके सहपाठी मजाक उड़ाने लगे और कहने लगे कभी तुम्हारा क्लास में पचास परसेंट से ऊपर नंबर नहीं आया है। और सपने वार्षिक उत्सव में निबंध प्रतियोगिता में भाग लेने की देख रहे हो। और हम लोगों को देखो हमेशा नब्बे से ऊपर लाते हैं। हमारे आगे भला तुम्हारी क्या विसात है और निबंध में भाग लेने को लेकर मजाक उड़ाने लगे। यही बात डंकी को दुखी कर रही थी।
घर भी पहुंचा तो डंकी का चेहरा उतरा हुआ था। डंकी की मम्मी उसके चेहरे को देखते ही समझ गई आज फिर स्कूल में कुछ हुआ होगा वह बोली, ‘मेरा सुपरमैन बेटा आज उदास क्यों है?’।
डंकी रोने लगा और बोला मम्मी, ‘मैं कोई सुपरमैन नहीं हूं सब बच्चे मुझे चिढ़ाते हैं कि मुझे बहुत सारा याद नहीं रहता है और मैं बहुत जल्दी भूल जाता हूं’।
डंकी की मम्मी, ‘तो क्या हुआ... हर किसी में अलग-अलग प्रकार का गुण रहता है। उनको जल्दी याद हो जाता है तो तुमको थोड़ा धीरे याद होता है। बस इतना सा ही तो फर्क है। कोई भी इस दुनिया में परफेक्ट नहीं है ..तुम्हारा गुण है तुम बहादुर हो शक्तिशाली हो... ईश्वर ने सबको कुछ अलग अच्छा देकर पैदा किया है और दोस्तों के चिढ़ाने से तुम्हें उदास होने की ज़रूरत नहीं है। दोस्त एक-दूसरे कोई टांग खींचेते ही रहते हैं कभी तुम्हें अच्छा भी बोलेंगे.. कभी बुरा भी बोलेंगे। लोगों का काम है कुछ न कुछ कहना.. इससे तुम्हें फर्क नहीं पड़ना चाहिए ..तुम अपने काम पर ध्यान दो... और दुनिया कुछ भी कहे... मेरे लिए और अपने पापा के लिए तो तुम सुपरमैन ही हो’।
कहते-कहते मम्मी ने उसके पेट में गुदगुदी कर दी जिससे मुंह बिसुरता हुआ डंकी जोर-जोर से हंसने लगा। डंकी को बहुत ज्यादा गुदगुदी आती थी। यह बात उसकी मम्मी जानती थी। इसीलिए जब भी उदास होता था तो उसे गुदगुदी करके हंसा देती थी। डंकी आखिर बच्चा ही तो था। हंसने के चक्कर में अपनी बात भूल जाता था।
उसके बाद मम्मी ने उसको भरपेट खाना खिलाया। और डंकी खुशी-खुशी सोने चला गया। उसकी मम्मी के समझदारी के वजह से उसके बाल मन से सारी कड़वी बातें निकल चुकी थी। 
अगले दिन सुबह-सुबह डंकी तैयार होकर जंगल के रास्ते पहाड़ी पर लगने वाले अपने स्कूल के लिए चल पड़ा है। लेट हो जाने के कारण उसने सुनसान वाला छोटा रास्ता पकड़ा। ऐसा वह कभी-कभी ही करता जब बहुत लेट हो जाता तब करता था।
अभी कुछ दूर तक ही चला था। एक जगह की झाड़ियां और घास फू ताजा-ताजा कटे हुए थे। सावधानीपूर्वक आगे बढ़कर ध्यान से देखा। तो उसकी नज़र एक बड़े से गड्ढे और पिंजरे में बंद अपने स्कूल के प्रिंसीपल शेर सिंह के ऊपर पड़ी। और दो मनुष्य जो शिकारी थे। वह अब पिंजरा ले जाने की तैयारी में थे। वस्तु स्थिति देखकर डंकी को समझने में जरा भी देर नहीं लगा कि शिकारी ने शेर सिंह को फंसाने के लिए गड्ढा बनाया था। और अब शेर सिंह के मिल जाने पर उन्हें पिंजरे में भरकर अब शहर ले जाने की तैयारी में है।
डंकी ने अपनी मां से बहुत बार शिकारी की कहानी और उनके बारे में जानकारी पाई थी। वह जानता था। शिकारी बहुत खतरनाक होते हैं। जानवरों को शहर में ले जाकर सर्कस में बेच देते हैं। और उनका जीवन नर्क बना देते हैं।
डंकी समझ गया था कि अब कुछ ही समय में यह शिकारी शेरसिंह को ले जाकर सर्कस में बेच देंगे। और उसके प्यारे प्रिंसीपल हमेशा के लिए सर्कस के शेर बन जाएंगे।
हमेशा लोगों से डरने वाले डंकी के मन में जाने कहां से हिम्मत आई। वह उन शिकारी के ऊपर टूट पड़ा। एक शिकारी तो अचानक हुए हमले से घबराकर उसी गड्ढे में गिर गया और दूसरा दुलति की वजह से बेहोश हो गया। डंकी ने मौका देखकर तुरंत पिंजरे का दरवाजा खोला। और शेर सिंह को आज़ाद किया। शेर सिंह गड्ढे में गिरने की वजह से जगह-जगह से घायल हो गया था।
डंकी ने कहा, ‘सर जल्दी भागिए यहां से वरना अभी इसको होश आ जाएगा तो फिर से आपको कैद कर लेगा’।
शेर सिंह भी अपनी हिम्मत बटोर कर डंकी के साथ भाग खड़ा हुआ। और सीधे स्कूल में जाकर ही रुके सभी बच्चे और सभी टीचर प्रिंसीपल शेर सिंह की हालत देखकर घबरा गए। घाव को मरहम पट्टी किया गया।
शेर सिंह, ‘बच्चों और आदरणीय मित्रों घबराने की बात नहीं है.. अब मैं सही सलामत हूं.. और यह मात्र इस जंगल के सबसे वीर बालक डंकी के कारण हुआ ..डंकी ने अपनी सूझबूझ के द्वारा शिकारियों का सामना किया... बल्कि उन्हें मजा चखा कर मुझे आज़ाद भी कराया। आज शिकारी ने मुझे कैद कर लिया था, लेकिन डंकी के कारण आज मैं सही सलामत हूं.. डंकी की वीरता ने आज मुझे बहुत ही प्रभावित किया है। ...मैं घोषणा करता हूं कि वार्षिक उत्सव के अवसर पर डंकी को सुन्दर वन के वीर बालक की उपाधि से नवाजा जाएगा’।
डंकी की आंखें सजल हो गई। उसे अपनी मम्मी की बात याद आ रही थी। कि हर बच्चे के अंदर एक खूबी होती है। एक क्वालिटी होती है। हर कोई सब चीज में परफेक्ट नहीं हो सकता है। लेकिन एक खूबी उसके अंदर ज़रूर होती है जो वक्त आने पर दुनिया को पता चल जाती है। 
डंकी के अंदर से उसके अंदर की हीन भावना जा चुकी थी। अब उसे अपने ऊपर पूरा विश्वास हो चुका था कि उसकी मम्मी सच ही रहती है कि उसके अंदर भी एक खूबी है। उसका आत्मविश्वास बढ़ चुका था।
जो बच्चे कल चिढ़ा रहे थे आज डंकी की वीरता पर उसे शाबाशी दे रहे थे। सारे टीचर शाबाशी दे रहे थे। पूरा स्कूल डंकी की वीरता की प्रशंसा कर रहा था। और कल स्कूल से वापस अकेले उदास उदास जाने वाला डंकी आज अपने साथियों के साथ हंसते हुए अपने घर को जा रहा था। आज वह अपने पूरे स्कूल का हीरो था।

मो-8736863697

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