नये साल पर सेलिब्रेशन कब से शुरू हुआ?
‘दीदी, मैं आज अखबार में पढ़ रहा था कि गोवा में नये साल का जश्न मनाने के लिए बहुत बड़ी संख्या में टूरिस्ट पहुंचे हुए हैं। यह खबर पढ़कर मेरे मन में यह जानने की जिज्ञासा पैदा हुई कि दुनिया में नये साल पर सेलिब्रेशन मनाया जाना कब शुरु हुआ होगा?’
‘दुनिया में हजारों साल से नये साल का जश्न मनाने की परंपरा है और इसका इतिहास अलग-अलग सभ्यताओं और संस्कृतियों के साथ अलग-अलग तरह से विकसित हुआ है।’
‘तो सबसे पहले किस सभ्यता में नया साल मनाये जाने की शुरुआत हुई?’
‘इतिहास में सबसे पुराना रिकॉर्ड जो लगभग 4000 ईसा पूर्व का है, वह बेबीलोन में नए साल पर जश्न मनाये जाने का है। मतलब यह कि शायद सबसे पहले नये साल का जश्न मनाना मेसोपोटामिया सभ्यता के लोगों ने शुरु किया था ?’
‘तो क्या यह सेलिब्रेशन ऐसा ही था, जैसे आज होता है?’ ‘नहीं, तब यह ऐसा नहीं था, न ही इसे तब नये साल का जश्न कहा जाता था। तब यह अकितू पर्व कहलाता था, जो वसंत विषुव के समय यानी मार्च के महीने में मनाया जाता था।’
‘अपने यहां कब से नये साल का जश्न मनाया जाना शुरु हुआ?’
‘भारत में अंग्रेजों के आने के पहले तक ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक नये साल का जश्न मनाये जाने की कोई परंपरा नहीं थी। हमारे यहां सांस्कृतिक, धार्मिक और भौगोलिक विविधताओं के कारण एक नहीं बल्कि आधा दर्जन से ज्यादा अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों और समुदायों के नव वर्ष हैं, पहले यही मनाये जाते थे।’
‘ अच्छा ये कौन कौन से नववर्ष हैं?’
‘भारत में अलग-अलग सांस्कृतिक कैलेंडरों के मुताबिक नया साल मनाया जाता है। उत्तर भारत में ज्यादातर लोग चौत्र नवरात्रि पर अपना नया वर्ष मनाते हैं। पंजाब में वैसाखी पर नया वर्ष होता है। तमिलनाडु में पोंगल के समय नव वर्ष मनता है, तो आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में उगादी पर्व को नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है, जबकि महाराष्ट्र में गुडी पड़वा नव वर्ष होता है।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर