नया वर्ष, नई उमंग, नया उत्साह
2025 आपके घर दस्तक दे चुका है। अपनी नई आशाओं व उमंग के साथ नये वर्ष में कुछ नया कर गुजरने हेतु आपको एक बार पुन: नये रूप में फिर आपके समक्ष ले आया है। इस संकल्प के साथ कि नए साल पर कुछ नया करने की ठानें। जो हर तरफ से न केवल आपके जीवन को ही बल्कि हम अपने अथक प्रयास से सुखी भारत का निर्माण कर सभी को खुशहाल बनायें। वर्ष का अंत हो या नववर्ष की शुरुआत सब कुछ आपके हाथ में है। समय का काम है गतिमान बने रहना, वर्ष कब प्रारम्भ होता है व कब खत्म हो जाता है पता ही नहीं लगता।
वैसे तो कुछ लोग पुरानी यादों के सहारे रह जाना चाहते हैं तो कुछ नववर्ष के आगमन की खुशी में नई योजनाओं का संकेत दे हर्षित हो जाते हैं। सच तो यह है कि हमारी सोच और दृष्टिकोण पर ही सब कुछ निर्भर करता है। लेकिन नव वर्ष का यह दिन विदा होता है फिर वही पुराना राग, वही अव्यवस्था, वही शिकायतें, वही संघर्ष और जद्दोजहद भरी जिन्दगी के सवाल उभरने लगते हैं। कहने को तो हर कोई यही चाहता है कि देश का चहुंमुखी आर्थिक व सामाजिक विकास हो, हम नये सपने साकार करें। इसलिए यह संकल्प लेना समय की मांग है कि हम दूसरों पर नजरें न टिकाकर उस सीमा तक अपनी क्षमता के अनुरुप समाज व राष्ट्र की उन्नति में अपना हाथ बंटा कर नये सुखी भारत का निर्माण करेंगे।
नववर्ष के अवसर पर हम सभी को इंसानी फितरत के तहत यह कहना अच्छा लगता है कि, जो बीत गया सो बात गई, लेकिन अपनाने में शायद नहीं! वैसे 2025 को लेकर भी उमंगों ने नई अंगडाईया ली हैं, लेकिन संशय का अनचाहा डर भी बना रहता है। गत वर्षों में गुजरे यादगार लम्हों की भी संजोते रहेंगे, चूंकि जीना...इसी का तो नाम है। नववर्ष में भी कुछ औपचारिकताएं निभा दी जायेगी परन्तु कुछ शायद ही बदलेगा हम फिर नववर्ष की खुशी में नाचेंगे, गायेंगे, मस्ती में झूमेंगे, पार्टिया करेंगे।
नव वर्ष का जनवरी माह जहां नए वर्ष के पहले कदम के रूप में हमारे समक्ष होता है, वही हमें बहुत कुछ नया करने की प्रेरणा देता है, जिसे हम सब ‘रिसोल्यूशन’ कहते हैं। प्राय: लोगों को यह कहते हुए मलाल रहता है कि वक्त कितना तेजी से गुजर रहा है। परन्तु वक्त तो गुजरेगा ही, चूंकि मैं समय हूँ। इस सृष्टि में सर्वाधिक परिवर्तनशील तो वक्त ही है। कभी भी वक्त एक सा नहीं रहा है। आदमी ने ही इसे भूत, भविष्य और वर्तमान में बांटा है। हमें समय के साथ चलना है यदि नववर्ष प्रारम्भ हुआ है, तो उसका भी अंत निश्चित होगा। हमें वक्त से शिकायत नहीं होनी चाहिए, बल्कि आने वाले समय का सामना-करने की हिम्मत होनी चाहिए। प्रत्येक वर्ष हमें जीवन में मूल्यांकन करने का मौका देता है। जीवन में आने वाली चुनौतियों को गंभीरता से लें। समय को अतीत का अनुभव बनने दें क्योंकि अनुभव ही हमें जागृत करता है। विगत स्मृतियों को वर्तमान में न घुलने दे। हमें गिले-शिकवे व मतभेदों को भुलाकर आज का अभिनन्दन करना चाहिए। हमें यह बात जेहन में रखनी चाहिए कि बीता वक्त ही हमें सिखा सकता है, तो जाता समय जगा देता है। वर्ष का आखिरी माह हमें सीख दे जाता है कि हम अपनी नैतिक जिम्मेदारियां चाहे वह परिवार, समाज देश के प्रति हो उसे कितनी ईमानदारी से निभाई है। किन परिस्थितियों ने हमारे दृष्टिकोण को बदला है, आदि सब पर चिंतन, मनन करने की जरुरत है ताकि आने वाले नववर्ष में वह सब कुछ घटित न हो। नव वर्ष की बेला पर हम इस बार खुद को बदले कुछ ऐसा नया करें जो अभी तक न किया हो। हां, स्वयं को अकेलेपन से दूर रखकर हमें अपने रिश्तों को भी मजबूती देनी चाहिए। सकारात्मक यादों के जरिये तनाव रहित होकर अपने आप को एक्टिव रखें। अपने परिवार व अपने बच्चों को अपनी संस्कृति और नैतिकता का सुपाठ पढ़ायें ताकि वे भी उस पर दृढ़ रहकर राष्ट्र को नई दिशा देने वाले योग्य नागरिक बन सकें। हम आगे निरंतर बढ़ें मगर पुरानी पगडंडियों के साथ-साथ यकीनन, यह आपके और हमारे भीतर बैठे इन्सान को हर हाल में इन्सानियत को ज़िन्दा रख सके। (सुमन सागर)