विश्वसनीयता कायम रखें
दिल्ली में मतदान तो चाहे 5 फरवरी को होंगे परन्तु चुनाव मैदान पूरी तरह गर्मा गया है। पहले आम आदमी पार्टी और भाजपा ही सक्रिय दिखाई देती थी पर अब कांग्रेस भी मैदान में उतर आई है। उसने भी दोनों पार्टियों की तरह ही मुफ्त की योजनाओं का ऐलान करना शुरू कर दिया है। एक समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन योजनाओं को मुफ्त की रेवड़ी बांटने वाली बात कहकर इनका विरोध करते थे। परन्तु दिल्ली चुनाव में भाजपा ने भी कुछ और ऐसे ऐलानों के साथ-साथ यह भी कह दिया है कि ‘आप’ सरकार द्वारा पहले चलाई जा रही मुफ्त योजनाओं को वह उसी प्रकार जारी रखेगी।
ताज़ा गतिविधि में कांग्रेस ने इन चुनावों में ‘युवा उड़ान योजना’ का ऐलान किया है, जिसके तहत दिल्ली के बेरोज़गार शिक्षित नौजवान लड़के-लड़कियों को एक साल के लिए अप्रैंटिसशिप तहत हर माह 8500 रुपये दिए जाएंगे। चाहे देश भर में लाखों ही नौजवान बेरोज़गारी के आलम में रह रहे हैं परन्तु क्योंकि दिल्ली में चुनाव होने जा रहे हैं। इसलिए कांग्रेस ने यह ऐलान बिना हिचकिचाहट के कर दिया है। इससे पहले भी उसके द्वारा महिलाओं को 2500 रुपये माह देने का ऐलान किया गया था और इसके साथ ही जीवन योजना के तहत दिल्ली वासियों को 25 लाख रुपये स्वास्थ्य बीमा देने का ऐलान भी कर चुकी है। आम आदमी पार्टी द्वारा पहले ही कई ऐसे ऐलान किये जा चुके हैं। वह पिछले 10 साल से प्रशासन चला रही है और यह भी उम्मीद कर रही है कि इस बार भी लोग उसको पहले जैसा ही प्रोत्साहन देंगे क्योंकि पहली बार उसको 70 में से 62 सीटें मिली थीं। साल 2015 में उसने 70 में से 67 सीटों पर जीत प्राप्त की थी। एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए जहां भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री के नये निवास को ‘शीशमहल’ का नाम दे रही है।
पिछले कुछ दिनों से इन पार्टियों ने अपना रुख दिल्ली की झुग्गियों की ओर किया हुआ है। सूचना के अनुसार दिल्ली में 20 लाख से अधिक लोग इन झुग्गियों में रहते हैं। सबसे अधिक 65000 से अधिक झुग्गियां दक्षिण दिल्ली में और 64000 से अधिक नई दिल्ली में और 52000 के लगभग चांदनी चौक में स्थित है। इन सभी स्थानों पर इन तीनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता चुनाव लड़ रहे हैं। अब भाजपा द्वारा झुग्गी वालों को मकान बनाकर देने का वादा भी किया जा रहा है। सवाल पैदा होता है कि जिस प्रकार की इन सभी पार्टियों द्वारा घोषणाएं की जा रही हैं, यदि इतना कुछ मुफ्त बांटा जाएगा तो इसकी पूर्ति के लिए पैसा कहां से आएगा? पहले पहल ऐसी घोषणाएं दक्षिण भारत के राज्यों से शुरू हुई थीं, जिन्हें विशेष तौर पर तमिलनाडु के राजनीतिज्ञों ने शुरू किया था। यहां तक कि अन्नादुराई जैसे बड़े नेता ने भी 1967 में रेवड़ियां बांटने की ऐसी घोषणाएं करते हुए कहा था कि यदि वह चुने गए तो एक रुपये में साढ़े चार किलो चावल देंगे। ओडिशा के नवीन पटनायक ने भी ऐसी ही प्रथा चलाई थी। बिहार में नितीश कुमार ने स्कूल जाने वाली लड़कियों को साइकिल तथा तमिलनाडु में जयललिता ने नव-विवाहित महिलाओं को 8 ग्राम सोना देने का वादा किया था। उसके बाद रंगीन टैलीविज़न देने की घोषणाएं की गईं। इस दौड़ में ममता बनर्जी, योगी आदित्यनाथ, स. प्रकाश सिंह बादल तथा कैप्टन अमरेन्द्र सिंह भी पीछे नहीं रहे।
आज किसी भी परिपक्व सरकार का फज़र् समाज के प्रत्येक क्षेत्र को अपने वित्त के अनुसार कल्याणकारी योजनाओं के साथ जोड़ना हो सकता है, परन्तु कुछेक वर्गों या समुदायों को अलग रख कर ऐसा करना, जहां समाज के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है, वहीं समूचे आर्थिक ढांचे में भी इससे बड़ा बिगाड़ पैदा होने की सम्भावना बनी रहती है। दिल्ली में ‘आप’ सरकार को विगत 10 वर्षों में किए कार्यों के आधार पर ही वोट मांगने चाहिएं। इसी प्रकार कांग्रेस ने भी इस राजधानी के क्षेत्र में 15 वर्ष तक शासन किया है, उस समय की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के किए कार्य भी उल्लेखनीय कहे जा सकते हैं।
निश्चित रूप में सरकारों को ऐसे कार्य करने चाहिएं, जिनका समूचा प्रभाव सभी वर्गों पर अच्छा पड़े। वोट के लिए अंधाधुंध घोषणाएं करने के बाद समाज को ही इसका खमियाज़ा भुगतना पड़ता है, क्योंकि आज के मतदाता के लिए भी यह ज़रूरी होगा कि वह उस उम्मीदवार को प्राथमिकता दे, जो एक अच्छा नेता एवं योग्य प्रशासक हो सके और संबंधित सरकार में भी अपना बेहतर योगदान डालने में समर्थ हो। निश्चय ही राजनीतिक पार्टियों द्वारा लगातार दिए ऐसे बयानों तथा घोषणाओं से उनकी विश्वसनीयता कम होती है। यही कारण है कि मौजूदा राजनीति एव राजनीतिज्ञों में आम व्यक्ति का विश्वास कम होता जा रहा है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द