पापा की सीख
राजू सात साल का बहुत ही प्यारा सा लड़का था। वह अपने माता-पिता के साथ एक सुंदर से मकान में रहता था। वह पढ़ने में भी अच्छा था और खेलों में भी। हर कोई उसकी तारीफ करता था और उससे प्यार करता था। लेकिन एक दिन वह अपने कमरे के कोने में बैठा हुआ रो रहा था। उसके रोने की आवाज़ जब उसके पापा ने सुनी तो वह उसके कमरे में आये। उन्होंने राजू से मालूम किया, ‘बेटा, क्या बात हो गई? क्यों रो रहे हो?’ पहले तो राजू ‘कुछ नहीं, कुछ नहीं’ करता रहा, लेकिन उसके पापा जानते थे कि उसे कोई परेशानी तो है, इसलिए वह उससे वजह जानने की कोशिश करते रहे। आखिरकार राजू ने रोते हुए ही बताया, ‘मैं ट्रायल मैच में अच्छा प्रदर्शन किया था, 50 रन बनाये, दो विकेट लिए व एक कैच भी लपका था, लेकिन फिर भी मुझे स्कूल टीम में नहीं लिया गया।’
पापा ने उसकी बात ध्यान से सुनी। फिर वह बिना कुछ कहे उठे और अपने साथ तीन फ्राईपैन, एक आलू, एक अंडा, कुछ कॉफी बीन्स, एक जग में पानी और स्टोव लेकर लौटे। उन्होंने राजू से कहा कि वह आलू, अंडा व कॉफी बीन्स को छूकर महसूस करे और बताये कि वह उनके बारे में क्या महसूस करता है? राजू ने तीनों चीज़ों को महसूस करने के बाद कहा, ‘अंडा अंदर से मुलायम है, आलू सख्त है और कॉफी बीन्स बिना किसी खास गंध के पीसी हुई पत्तियों सी हैं।’ पापा ने राजू से मुस्कुराते हुए कहा कि वह इन तीनों चीज़ों को एक-एक करके अलग-अलग फ्राईपैन में रख दे। फिर तीनों में थोड़ा-थोड़ा पानी डाल दे।
राजू ने जब यह कर दिया तो उसके पापा ने स्टोव को जलाकर उस पर तीनों फ्राईपैन रख दिए। थोड़ी देर बाद पापा ने स्टोव को ऑफ कर दिया और फ्राईपैन को ठंडा होने दिया। जब वह ठंडे हो गये तो पापा ने एक बार फिर से आलू, अंडा व कॉफी बीन्स को स्पर्श करके यह बताने के लिए कहा कि वह कैसा महसूस कर रहा है? इस बार राजू ने एकदम अलग जवाब दिया। उसने कहा, ‘आलू सख्त हो गया है, लेकिन उसका छिलका उतारना आसान हो गया है। अंडा सख्त हो गया है और कॉफी बीन्स पानी में घुलकर अच्छी सुगंध दे रही हैं।’
पापा ने राजू की बात सुनने के बाद मुस्कुराते हुए उसे समझाया कि कठिन स्थितियों में तीनों चीज़ों की प्रतिक्रिया अलग-अलग रही- आलू मुलायम हो गया, अंडा बहुत मज़बूत हो गया और कॉफी बीन्स ने उबलते पानी में परीक्षा की घड़ी में अपना रूप पूरी तरह से बदल दिया। पापा ने बताया, ‘परेशानियां तो जीवन का हिस्सा हैं। वह तो आती ही रहती हैं। उन पर हमारी प्रतिक्रिया किस किस्म की होती है, इस पर निर्भर करता है कि हम कैसे इंसान बनते हैं। टीम में चयन न होने पर रोने से आप सिर्फ कमज़ोर ही होगे, फिर से कड़ी मेहनत करने से आपका अगली बार टीम में चयन भी हो सकता है और तब अपने परफॉर्मेंस से आप स्कूल में हीरो भी बन सकते हैं।’-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर