मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन 

झम्मन जी बैंक से रिटायर्ड व्यक्ति हैं हिसाब किताब के बड़े पक्के व्यक्ति हैं। उनका हिसाब किताब बहुत ही सॉलिड रहता है । ना इधर ना उधर एकदम बराबर रहता है। इसका उदाहरण है उन्होंने अपने पूरे सेवा काल में कभी एक रुपया अपने जेब से नहीं भरा। हां कभी-कभी उपभोक्ता अधिक दे जाते थे। वह अपनी जेब में ज़रूर भरा।
दरअसल बैंक का नियम होता है। यदि आपने भी ग्राहक को अधिक दिया तो कर्मचारी को उसे अपने जेब से भरना पड़ता है लेकिन ऐसी नौबत कभी नहीं आई।
लेकिन न जाने ऐसा कौन सा हिसाब आज गड़बड़ा गया था कि आज उनका घर कुरुक्षेत्र का मैदान बना हुआ था। और दोनों पति-पत्नी आमने-सामने अपने तीर और तरकश निकालकर आ डटे थे। और शत्रु सेना समझकर एक-दूसरे पर शब्द बाण को चला रहे थे। दोनों अधिक से अधिक एक-दूसरे को घायल करने के प्रयास में डटे हुए थे।
आवाज बाहर तक आ रही थी सबके लिए कौतूहल का विषय था। स्वाभाविक है झगड़ा मुफ्त के मनोरंजन जैसा होता है। हर कोई इसमें से मनोरंजन मजा वाले प्रसादी को लेना चाहता है। क्योंकि इसमें खर्च कुछ नहीं होता है और मनोरंजन भरपूर हो जाता है। हरे लगे ना फिटकरी रंग चोखा वाला हिसाब होता है। और पड़ोसी तो इसमें अक्सर पारंगत होते हैं। और फ्री का मजा मनोरंजन लेने वाला व्यक्ति बहुत ही घाघ किस्म का इंसान होता है। वह अपनी भाव और भंगिमा ऐसा बनाकर रखता है। कि लोगों को लगे कि उसे इस बात से तकलीफ है कि आप  परेशानी में है लेकिन भीतर ही भीतर वह तालियां बजा रहा होता है।
झम्मन जी मनोरंजन का साधन जुटाए थे तो उनके पड़ोसी चतुरी प्रसादी लेने झम्मन जी के घर पहुंच गए। यह पहला शुभ अवसर था कि वह ऐसे किसी प्रयोजन में झम्मन जी के यहां पधारे थे। इसलिए अपनी भावभंगिमा बहुत ही गंभीर मुद्रा में रखे हुए थे। और दोनों मियां बीवी कुत्ते बिल्ली के जैसे एक-दूसरे के ऊपर भौंक रहे थे।
चतुरी को मजा तो बहुत आ रहा था उनका तो मन यही कह रहा था कि यह जन्म-जन्म तक ऐसे ही लड़ते रहे और उनका मनोरंजन होता रहे। लेकिन ऐसा होना संभव नहीं था। शारीरिक क्षमता भी कोई चीज़ होती है दोनों पति-पत्नी देर तक तेज़ आवाज और गुस्से में बोलने के कारण उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया था और वह हाफने लगे थे।
कुछ देर के लिए चतुरी भी अचकचा गए फिर दोनों को संबोधित करते हुए बोले, ‘अरे भाई क्या हुआ’ झम्मन जी कुछ बोलते उससे पहले ही उनकी श्रीमती बोल पड़ी, ‘भाई साहब इनको हज़ार बार समझाया है कि घर में 10 दुकान  किराए पर चढ़ा कर रखा हुआ है, उनमें से नौ दुकान ही किराए पर दिया करें, एक दुकान गाड़ी रखने के लिए आरक्षित रखें, पर यह मेरी बात नहीं मानते हैं जिसका नतीजा यह है कि इस साल दूसरी बार चोर टायर खोल ले गए और यह सब गाड़ी खुले में रखने का ही नतीजा है पर मेरी बात इनको सुनाई दे तब ना’।
पहले तो चतुरी को भाई साहब का संबोधन ही दिल तोड़ने वाला लगा। वह अपने मन को मारकर और समझा कर बोले, ‘भाई साहब भाभी जी का कहना गलत नहीं है.. अगर टायर चोरी हो रहा है तो गाड़ी को अपने दुकान में सुरक्षित रखना चाहिए। जानते ही हैं महंगाई का जमाना है। एक-एक टायर 5000 का मिलता है। यदि आप सावधानी रखते तो यह नुकसान होने से बच सकता था। आपकी थोड़ी सी नासमझी के वजह से आपका इतना नुकसान हो गया’।
भाभी जी की नज़रों में ऊंचा उठने के लिए लास्ट वाला लाइन जोड़कर झम्मन जी की श्रीमती की तरफ गर्व से देखने लगे। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि उधर से शाबाशी मिलेगी तब तक झम्मन जी बोल पड़े।
झम्मन जी बोले, ‘अरे काहे का नुकसान यह मूर्ख औरत क्या जाने की किस में नुकसान है। और किस में फायदा है। मैंने पूरे अपने जीवन काल में कोई भी ऐसा सौदा नहीं किया है जिसमें मुझे चवन्नी भी नुकसान हो ..साल में मात्र एक या दो बार टायर की चोरी होती है, लेकिन उस दुकान से किराया हर महीने 5000 आता है यदि दो बार चोरी भी हो जाए तो 10 महीने का किराया हाथ में आ जाता है और इसे क्या पता जमीन के भाव आजकल क्या है। गली में गाड़ी खड़ी करने से उतनी जमीन अपने उपयोग में आती है, और जितना उस मुफ्त की जमीन पर कब्ज़ा रहता है। उतने जमीन के कीमत में तो एक नई गाड़ी आ जाएगी’। झम्मन जी का हिसाब किताब देखकर उसकी श्रीमती का सारा गुस्सा का काफूर हो गया। पति की काबिलियत देखा चेहरा गर्व से दमदमाने लगा। मुख मंडल पर संतुष्टि का भाव मंडराने लगा।
और इधर चतुरी का मुंह हारे हुए मंत्री के जैसे बन गया। और साथ में मुफ्त का मनोरंजन भी गया।

मो. 8736863697

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