नट्टी पुट्टी गुफा कैसे जॉन के लिए बनी कब्रगाह!

गुफा यानी धरती पर खुला एक ऐसा स्थान जिसमें नये मोड़ और तंग रास्तों से होती हुई एक छिपी दुनिया होती है। भारत में ही नहीं दुनिया में भी अनेक ऐसी गुफाएं हैं, जिनकी खोज ऐसे साहसी लोगों द्वारा की गई जिन्होंने जान की बाजी लगाकर उनकी खोज की। ऐसी ही एक खतरनाक भूमिगत गुफा संयुक्त राज्य अमरीका के यूटा में स्थित नट्टी पुट्टी गुफा है, जिसकी खोज साल 1960 में डेन ग्रिन द्वारा की गई थी, जिसका प्रवेशद्वार लगभग 30 इंच चौड़ा है। रहस्य रोमांच की दुनिया में जीने वालों के लिए यह गुफा हमेशा से गुफा सर्चर के लिए आकर्षण का केन्द्र रही है। खोजकर्ताओं द्वारा इस गुफा का नक्शा तैयार किया गया, जिसके मार्ग को तीन भागों में- ‘द बर्थ कैनाल, द स्काउट ईटर और द मेज़’ में बांटा गया था। यह गुफा जॉन एडवर्ड जॉन नामक ऐसी व्यक्ति की जब कब्रगाह बन गई, तब इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया था, जो आज भी बंद है। 
साल 2009 में नवम्बर माह में थैंक्स गीविंग एक त्यौहार से ठीक पहले जॉन अपने परिवार के पास अपनी छुट्टियां बिताने आये थे। जॉन और उसका छोटा भाई जोंस दोनों ने ही नट्टी पुट्टी गुफा घूमने का प्रोग्राम पहले से ही बना रखा था। 24 नवम्बर रात करीब 8 बजे जॉन और उसका 12 सदस्यीय दल गुफा में दाखिल हुआ। 6 फुट लंबा जॉन काफी हट्टा कट्टा था और किशोरावस्था से ही गुफाओं की खोज कर रहा था। इस दल के सदस्यों का पहला एक घंटा तो पूरी मौज मस्ती में बीता, तभी जोंस और उनके दो दोस्तों ने जॉन से कहा कि अगर वह बर्थ कैनाल के भीतर जाकर दिखाए तो जानें। जॉन ने इस चुनौती को तुरंत स्वीकार कर लिया। 
बर्थ कैनाल गुफा का वो हिस्सा था, जो बहुत ही तंग था, जहां केवल रेंगकर ही अंदर जाया जा सकता था। सिर के बल जाकर, पेट के बल आगे बढ़कर कूल्हों और उंगलियों का इस्तेमाल करके ही इसमें आगे जाया जा सकता था। इससे पहले कभी भी किसी ने यहां जाने का दुस्साहस नहीं किया था। लेकिन इस समूह का विचार था कि बर्थ कैनाल के दूसरी तरफ एक चौड़ा कमरा था, जहां जाकर वे उस रास्ते को खोजना चाहते थे। आगे चलते हुए जॉन को इस बात का जरा भी एहसास नहीं हुआ कि उसने बर्थ कैनाल की बजाय दूसरा गलत रास्ता चुन लिया है, जो इतना छोटा था कि इंसान के लिए उसमें से रेंगकर जाना भी मुश्किल था। एक निश्चित प्वाइंट के बाद वहां से बचने का कोई रास्ता ही नहीं था।
रास्ता तंग होने के कारण वह वहां फंस चुका था। उसे जब अपनी गलती का पता चला, तो उसके लिए वहां से निकलना मुश्किल हो गया था। यह 10/18 इंच की वह दरार थी, जिसमें पीछे की ओर मुड़ना संभव ही नहीं था। यदि वह यहां पैरों के बल होता तो बच सकता था, लेकिन वह उलटा था। उस बेहद तंग जगह से बाहर निकलने की कोशिश में जब उसने अपना पेट अंदर की ओर खींचा तो पेट और छाती फैलने से वह बुरी तरह फंस गया, उसकी बांहें शरीर के निचले हिस्से में फंस चुकी थी। मूवमेंट के लिए उसके पास जरा भी जगह नहीं थी। उसके भाई ने जॉन को दरार से बाहर निकालने की कोशिश की, तो वह और आगे की ओर फिसल गया, अब कुछ नहीं हो सकता था। उसका भाई रेस्क्यू के लिए बाहर की ओर भागा, तीन घंटे बाद सूजी मोटोला जो इस तरह की गुफाओं लिए लोगों के बचाव कार्यों में काफी सिद्धहस्त थीं, बचाव दल द्वारा इमरजेंसी में उसे बुलाया गया था। क्योंकि जॉन को बचाना अब काफी मुश्किल हो चुका था। मध्यरात्रि के बाद जब नट्टी पुट्टी गुफा में वह पहुंची, तो वहां का नज़ारा देखकर वह भी डर गईं। फिर भी उसने जॉन की हौसला अफजाई की और उसे आश्वासन दिलाया कि कुछ ही समय में वह जमीन से ऊपर आ जायेगा।
सूजी मोटोला को उसकी पैंट के निचले हिस्से और उसके जूते ही दिखाई दे रहे थे। जॉन बाहर निकलने के लिए परेशान था। सूजी मोटोला ने उसे खींचने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दो घंटे के अथक प्रयास के बाद वह बाहर निकली और गुफा के बाहर दर्जनों बचाव कर्मी मौजूद थे, जॉन की पत्नी को भी सूचित कर दिया गया था। लेकिन जॉन के पास सिर्फ एक ही व्यक्ति पहुंच सकता था, क्योंकि रास्ता बहुत तंग था। कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि दीवारों में तेल डालना चाहिए, वे चिकनी हो जाएंगी तो उसे निकाला जा सकेगा। कुछ का कहना था कि अगर उसके पैर तोड़ दिये जाएं तो वह निकल सकता है। लगातार 20 घंटे तक उल्टे लटके रहने के कारण उसका जीवित बचना भी चमत्कार ही था। तंग रास्ते के बीच में जब वह सांस लेता था तो गुफा में बहुत तेज आवाज आती थी। जॉन के पैरों के चारों ओर रस्सी बांध दी गई। 8 लोगों ने उसे खींचने का काम किया। दीवारों में छेद किये गये, जिससे एक हुक लगाकर पुली तैयार की गई, जब उसे खींचा जाता था तो जॉन दर्द से कराह उठता था। गुफा की दीवारों में टकराने के कारण उसके पैरों में गंभीर दर्द हो रहा था। उसे काफी दूरी तक खींच लिया गया था। पुली सिस्टम अपना काम कर रहा था, अब जॉन काफी हद तक ताजी हवा की पहुंच में था, लेकिन अचानक रस्सी ढीली हो गई। पुली को दीवार से जोड़ने वाला एक बोल्ट टूट गया, जिससे सभी 8 बचाव कर्मी पीछे की ओर उछल गये और गुफा की दीवार जॉन के चारों ओर ढह गई, जिससे पूरा सिस्टम ही फेल हो गया। 
जॉन के सबसे करीब खड़ा आदमी टूटे हुए मलवो के टुकड़ों से बेहोश हो गया। जॉन फिर से दरार में नीचे की ओर फिसल गया और अब और भी ज्यादा अंदर जाकर फंस गया। अब दूसरे व्यक्ति को बचाव का काम सौंपा गया। जब तक वह पहुंचा, तब तक जॉन कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था। लेकिन उसकी सांसें बहुत धीरे धीरे चल रही थी। जॉन और उसकी पत्नी के बीच रेडियो द्वारा दो तरफा संवाद लगातार हो रहा था। पत्नी ने बाहर से बात करने की कोशिश की, लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। जॉन की स्थिति को जानने के लिए एक मैडीकल प्रोफेशनल को बुलाया गया। 26 साल के जॉन को गुफा में फंसने के 28 घंटे बाद मृत घोषित कर दिया गया। 
बचाव दल को फिर भी उम्मीद थी कि वह उसकी डेड बॉडी को निकाल सकेंगे। अंत में यह निर्णय लिया गया कि इस मिशन को किसी भी कीमत पर आगे बढ़ाना बहुत खतरनाक है और नट्टी पुट्टी गुफा के प्रवेशद्वार को पूरी तरह बंद करने और जॉन के शरीर को अंदर छोड़ने का ही फैसला किया गया ताकि लोगों को सीख मिल सके कि कैसे एक व्यक्ति के लिए इस गुफा की सैर उसके लिए कब्रगाह ही बन गई। उसका इतना दर्दनाक अंत देखकर कोई भी दोबारा गुफा में प्रवेश करने का साहस न कर सके। जॉन के सम्मान में गुफा के प्रवेशद्वार पर एक स्मारक पट्टिका लगा दी गई थी। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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