आम बजट के प्रभाव
केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की ओर से 1 फरवरी को देश का आम बजट संसद में पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा यह निरन्तर 8वीं बार बजट पेश किया गया है। अपने बजट भाषण के दौरान उन्होंने इस बात का दावा किया है कि उन्होंने बजट में कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य एवं शिक्षा आदि अहम क्षेत्रों का विशेष रूप से ध्यान रखा है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि इससे रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और देश आत्म-निर्भरता की दिशा की ओर और मज़बूती से कदम उठाएगा। इस बजट की जो सबसे महत्त्वपूर्ण बात कही जा सकती है, वह यह है कि इसमें मध्यम वर्ग को बड़ी छूट देते हुए वित्त मंत्री ने 12 लाख रुपए तक की आय को कर से मुक्त कर दिया है। इस कारण मध्यम वर्ग तथा विशेष रूप से वेतनभोगी श्रेणी की ओर से बजट की बहुत प्रशंसा की जा रही है, परन्तु किसानों, मज़दूरों और समाज के अन्य निम्न वर्गों को इस बजट में ज्यादा कुछ मिलता नज़र नहीं आ रहा।
इस बजट में सरकार की ओर से जो अपने विशेष लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, उनमें बिजली आवंटन के सिस्टम को बेहतर बनाना, ज़िला स्तर पर देश भर के सरकारी अस्पतालों में कैंसर केयर सैंटर खोलना, मैडीकल कालेजों में विद्यार्थियों के लिए सीटें बढ़ाना, आंगनवाड़ियों का और विकास करना और 5 आई.आई.टीज़ के मूलभूत ढांचे का विस्तार करना तथा धन धान्या कृषि योजना द्वारा 100 ज़िलों में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कदम उठाना आदि शामिल हैं। इस बजट में बिहार को जहां इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, विशेष प्राथमिकता दी गई है। बिहार में 4 ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाए जाएंगे, इसके अतिरिक्त पटना एयरपोर्ट का विस्तार किया जाएगा। बिहार में मखाना बोर्ड और फूड टैक्नोलॉजी सैंटर बनाया जाएगा। विपक्षी पार्टियों द्वारा इस बात को लेकर आलोचना की जा रही है कि चुनावों को मुख्य रख कर ही बिहार को गफ्फे दिए गए हैं, जबकि दूसरे ज्यादातर राज्यों को दृष्टिविगत किया गया है।
यदि विभिन्न क्षेत्रों को इस बजट द्वारा जारी की गई राशि की बात करें तो रक्षा के लिए 4,91,732 करोड़ ग्रामीण विकास के लिए 2,66,817 करोड़, गृह मंत्रालय के लिए 2,33,211 करोड़, कृषि से संबंधित गतिविधियों के लिए 1,71,437 करोड़, शिक्षा के लिए 1,28,650 करोड़, स्वास्थ्य के लिए 98,311 करोड़, शहरी विकास के लिए 96,777 करोड़, आई.टी. तथा टैलीकॉम क्षेत्र के लिए 95,298 करोड़, ऊर्जा के लिए 81,174 करोड़, व्यापार और उद्योग के लिए 65,553 करोड़, जन-कल्याण की योजनाओं के लिए 60,052 करोड़ तथा वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए 55,679 करोड़ रुपए रखे गए हैं। इस बजट में रेलवे के हिस्से 2.50 लाख करोड़ की राशि आई है।
यदि कृषि के पक्ष से बजट को देखने और समझने का यत्न करें तो इसमें किसानों के लिए समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की कोई रूप-रेखा तो नज़र नहीं आ रही परन्तु कृषि में विभिन्नता लाने के लिए वित्त मंत्री ने यह ज़रूर कहा है कि आगामी 6 वर्षों में दालों तथा तेल बीज़ों का उत्पादन बढ़ाने की ओर विशेष ध्यान दिया जाएगा तथा इस क्षेत्र में देश को आत्म-निर्भर बनाया जाएगा। उनके अनुसार आगामी 5 वर्षों में कपास का उत्पादन बढ़ाने पर भी विशेष ज़ोर रहेगा। किसान क्रैडिट कार्डों पर ऋण की सीमा 3 लाख से बढ़ा कर 5 लाख कर दी जाएगी और इनके द्वारा 7.7 करोड़ किसानों तथा मछली पालकों को ऋण दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने यह भी दावा किया है कि उनकी सरकार की ओर से मध्यम तथा लघु उद्योगों का विकास करने तथा उनको मज़बूत बनाने के लिए विशेष यत्न किए जाएंगे। इस संबंध में उनकी ओर से घोषित किए गए कदमों में मध्यम एवं लघु उद्योगों के लिए ऋण की गारंटी का कवर 5 करोड़ से बढ़ा कर 10 करोड़ करना, स्टार्टअप अर्थात् नये उद्योगों की शुरुआत के लिए ऋण की सीमा 10 करोड़ से बढ़ा कर 20 करोड़ करना, इसके अतिरिक्त उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत सूक्ष्म उद्योगों के लिए 5 लाख की क्रैडिट लिमिट वाले कार्ड जारी करना, आदि कदम शामिल हैं।
आम बजट के उपरोक्त तथ्यों को देखने और समझने के बाद यह प्रभाव बनता है कि नि:संदेह सरकार ने आयकर में भारी छूट देकर मध्यम वर्ग को खुश करने का यत्न किया है। लघु एवं मध्यम उद्योगों को उदारता से ऋण देने की योजनाएं भी लाई गई हैं। कृषि में विभिन्नता लाने के ज़रूरत महसूस करते हुए दालों तथा तेल बीजों का उत्पादन बढ़ाने की बात भी की गई है, परन्तु अपने उपरोक्त निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति के लिए सरकार द्वारा कैसी कार्य-योजनाएं अपनाई जाती हैं या उनके लिए साधन कहां से जुटाए जाएंगे इस संबंध में कोई ठोस जानकारी बजट में सामने नहीं आती। इस समय देश की हालत यह है कि कृषि गम्भीर संकट का शिकार है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं और आन्दोलन करने के लिए मजबूर हैं। लघु एवं मध्यम उद्योगों, जिनके माध्यम से भारी संख्या में लोगों को रोज़गार दिया जाता है, वे कार्पोरेट पक्षीय नीतियों के कारण अनेक प्रकार की मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। देश में रोज़गार की सम्भावनाएं न दिखाई देने के कारण युवा उचित-अनुचित ढंग से विदेश जाने के लिए मजबूर हैं। इन हकीकतों के दृष्टिगत ज़रूरत इस बात की थी, कि सरकार आम जन विशेषकर नौजवानों के लिए अवसर बढ़ाने तथा देश को आर्थिक रूप में मज़बूत बनाने के लिए कुछ ठोस योजनाएं लेकर सामने आती, ताकि लोगों में भविष्य के प्रति फिर से उत्साह एवं जोश पैदा किया जा सकता। फिर भी आगामी समय में यह दिलचस्पी से देखा जाएगा कि सरकार की ओर से घोषित योजनाओं पर कितनी गम्भीरता से क्रियान्वयन होता है और उनके कैसे परिणाम आते हैं।