आखिर कब तक सीवरेज में दम तोड़ते रहेंगे सफाई कर्मी ?

देश के विभिन्न हिस्सों में लगातार सीवरेज में उतर कर सफाई करने वाले मजदूरों की दम घुटकर मौत की खबरें आज भी आती रहती हैं। हैरानी की बात यह है कि जिस दौर में बड़े और भारी कामों के लिए अत्याधुनिक तकनीक से तैयार मशीनों का सहारा लिया जाने लगा है, वहीं सीवरेज सफाई जैसे काम आज भी कई जगह पर हाथ से कराए जाते हैं। सीवर में सफाई के दौरान सफाई कर्मियों की मौत नि:संदेह सरकार और समाज के माथे पर कलंक हैं। कोलकाता लेदर कॉम्प्लेक्स इलाके में हाइड्रेन की सफाई करते समय रविवार को तीन कर्मचारियों की मौत हो गई है। 
मुर्शिदाबाद के रहने वाले अस्थायी सफाई कर्मी सेक्टर-6 औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में रासायनिक अपशिष्ट की सफाई कर रहे थे और जानकारी अनुसार पाइप लाइन फटने के कारण तीनों सफाई कर्मचारी मैनहोल में गिरे, जो 10 फीट गहरा था। उन्हें अपशिष्ट द्रव में डूबने से बचाने के लिए तत्काल प्रयास किए गए लेकिन चार घंटे बाद जब उन्हें बाहर निकाला गया, तब वे मृत पाए गए। प्रारंभिक अनुमान है कि मौत का कारण चमड़े की तीखी गंध से होने वाली वासन समस्याएं थी।
मई 2024 में यूपी के चंदौली ज़िले में सेप्टिक टैंक में सफाई करने के दौरान विषैली गैस से 4 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में मकान मालिक का बेटा भी शामिल है। आनन-फानन में सूचना पुलिस को दी गई। सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और सभी को टैंक से निकालकर अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया9 मई, 2024 को नोएडा की एक फैक्ट्री में सीवर सफाई करते दो युवकों की मौत हो गई। अक्तूबर 2024 में सीकर ज़िले के फतेहपुर इलाके के सरदारपुर में सीवर की सफाई करते तीन मजदूरों की मौत हो गई। 9 अक्तूबर को साउथ दिल्ली में एक सीवर की सफाई करते दो युवकों की मौत हो गई। 
यह तो सिर्फ बानगी है दरअसल सीवर सफाई के दौरान बड़ी तादाद में मौत हो रही है सरकार ने काफी पहले लोकसभा को बताया कि वर्ष 2017 के बाद से 2022 तक पिछले करीब पांच वर्ष में सीवर एवं सेप्टिक टैंक की जोखिमपूर्ण सफाई करने के दौरान 400 लोगों की मौत हुई। लोकसभा में दानिश अली के प्रश्न के लिखित उत्तर में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने यह जानकारी दी थी। अठावले द्वारा निचले सदन में पेश आंकड़ों के अनुसार सीवर एवं सेप्टिक टैंक की जोखिमपूर्ण सफाई करने के दौरान वर्ष 2017 में 100 लोगों, वर्ष 2018 में 67 लोगों, 2019 में 117 लोगों, 2020 में 19 लोगों, 2021 में 49 लोगों और 2022 में 48 लोगों की मौत हुई। इसके बाद भी सिलसिला जारी है। 
देश की राजधानी दिल्ली समेत छह महानगरों में सीवर की मैनुअल सफाई को पूरी तरह से बंद करने का आदेश दिया है। अदालत ने दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंग्लुरु और हैदराबाद में हाथ से मैला ढोने और मैनुअल सीवर सफाई पर रोक लगा दिया है। कोर्ट ने इन छह महानगरों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को 13 फरवरी तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है और 19 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई करने के लिए कहा है। दरअसल पिछले साल दिसम्बर में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और अन्य संबंधित हितधारकों को निर्देश दिया था कि वे समन्वय स्थापित करें और यह जानकारी दें कि मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैनुअल सीवर सफाई पर कहां और किस हद तक प्रतिबंध लगाया गया है। केंद्र सरकार द्वारा दायर एक हलफनामे के अनुसार देश के 775 ज़िलों में से 456 ज़िलों में न तो मैनुअल स्कैवेंजिंग की जाती है और न ही हाथ से मैला उठाया जाता है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करने के बाद अदालत ने यह साफ किया कि कम से कम महानगरों में इस तरह की सफाई व्यवस्था पूरी तरह समाप्त होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 10 अक्तूबर 2023 के आदेश का मुख्य उद्देश्य यही था। अक्तूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को निर्देश दिया था कि वे यह सुनिश्चित करें कि देश में हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह समाप्त हो। अदालत ने स्पष्ट किया कि केंद्र और राज्य सरकारें इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकतीं और उन्हें मैनुअल सफाई को जड़ से खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। 

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