अमरीकी विमान अमृतसर में ही क्यों उतारा गया ?
अमरीका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को लेकर आया अमरीका का सैन्य विमान अमृतसर में ही क्यों उतरा? यह बड़ा सवाल है और इसके साथ ही कुछ और ज़रूरी सवाल भी हैं। जैसे अमरीकी प्रशासन ने भारतीयों के साथ युद्धबंदियों जैसा बर्ताव क्यों किया? उनके हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां क्यों डाली गईं? उन्हें ज्यादा खर्च करके सेना के विमान से क्यों भेजा गया और सबसे बड़ा सवाल है कि हथकड़ी और बेड़ी के साथ सिर झुका कर विमान में सवार कराए जाने का वीडियो ट्रम्प प्रशासन ने क्यों जारी किया? एक सवाल यह भी है कि भारत सरकार इस पर क्यों चुप है? ये सवाल इसलिए हैं, क्योंकि ट्रम्प प्रशासन ने मैक्सिको और कोलंबिया के अवैध प्रवासियों को भी जहाज़ में भर कर भेजा था लेकिन दोनों देशों ने अपने यहां अमरीका का जहाज़ उतरने ही नहीं दिया। बहरहाल, ऐसा लग रहा है कि 104 भारतीयों को लेकर आया विमान एक खास मकसद से अमृतसर में उतारा गया। उस विमान में गुजरात, पंजाब और हरियाणा के 93 लोग थे। शेष 11 लोग तीन अन्य राज्यों के थे। इसलिए कायदे से विमान को दिल्ली में उतारना था, लेकिन अमृतसर में विमान उतारा गया ताकि देश में यह संदेश जाए कि सबसे ज्यादा पंजाब के लोग अवैध रूप से अमरीका में रह रहे हैं। हकीकत यह है कि आज की तारीख में सबसे ज्यादा गुजरात के लोग अवैध रूप से अमरीका में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। अगर दिल्ली में विमान उतरता तो गुजरात का नैरेटिव बन सकता था। उसे बदलने के लिए विमान को अमृतसर उतारा गया।
शक्तिशाली देशों में भारत क्यों नहीं?
यह भी भारत का विदेश में डंका बजने की हकीकत ज़ाहिर करने वाली बात है कि दुनिया की प्रतिष्ठित पत्रिका फोर्ब्स ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों की सूची बनाई तो उसमें पहले दस देशों में भारत को शामिल नहीं किया है। भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है और हर दिन इस बात का ढिंढोरा पीटा जाता है कि भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है तथा अब जल्दी ही भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा, लेकिन वास्तविकता यह है कि भारत को सबसे शक्तिशाली 10 देशों की सूची में भी जगह नहीं मिल रही है। फोर्ब्स पत्रिका ने दुनिया के 10 शक्तिशाली देशों की जो ताज़ा सूची बनाई है, उसमें हमेशा की तरह अमरीका पहले नंबर पर है, लेकिन नौवें स्थान पर पहली बार सउदी अरब की एंट्री हुई है। संभवत: पहली बार कोई इस्लामिक देश इस सूची में शामिल हुआ है। भारत 12वें स्थान पर पहुंच गया है। अमरीका के बाद चीन, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, फ्रांस, जापान, सउदी अरब और इज़रायल का नाम है। सूची में पांच एशियाई देश हैं लेकिन भारत नहीं है। सबसे शक्तिशाली देश चुनने के पैमाने में आबादी और अर्थव्यवस्था का आंकड़ा भारत के पक्ष में है। एक पैमाना मजबूत और प्रभावशाली नेतृत्व का भी है। ज़ाहिर है कि इस पैमाने पर भारत पिछड़ गया है।
भारत की कमज़ोर विदेश नीति?
केंद्र सरकार का यह प्रचार बहुत जोर-शोर से चलता है कि विदेशों में भारत का डंका बज रहा है। विदेश मंत्री को बहुत सफल बताया जाता है, लेकिन अब विदेश मामलों के बड़े जानकार भी सवाल उठा रहे हैं कि यह भारत की कैसी विदेश नीति है कि वह अपने पड़ोस में ही अलग-थलग होता जा रहा है। पड़ोस का कोई भी देश भारत का सम्मान नहीं कर रहा है। पाकिस्तान से तो खैर पहले से ही संबंध खराब थे, लेकिन अब बांग्लादेश भी भारत को आंखें दिखा रहा है। तख्ता-पलट के बाद बिखरे हुए बांग्लादेश ने भी भारत को अपनी सीमा पर बाड़ेबंदी नहीं करने दी। सवाल है कि कोई भी देश किसी दूसरे देश को अपनी सीमा सुरक्षित करने के लिए बाड़ लगाने से कैसे रोक सकता है? क्या मैक्सिको अमरीका को बाड़ लगाने से रोक सकता है? लेकिन बांग्लादेश ने भारत को बाड़ेबंदी करने से रोक दिया। नेपाल जैसा स्थायी दोस्त और पड़ोसी भी अब भारत से दूर चला गया। नेपाल के नए प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने परंपरा तोड़ कर भारत की बजाय पहली यात्रा पर चीन गए। ऐसे ही श्रीलंका की नौसेना भारतीय मछुआरों पर फायरिंग कर रही है। इससे पहले मछुआरे उनकी सीमा में जाते थे तो उनको गिरफ्तार किया जाता था। उधर मालदीव के राष्ट्रपति भारत आए और उन्होंने भारत से अच्छा खासा अनुदान हासिल कर लिया, जिससे लगा कि वह भारत विरोधी रुख छोड़ रहे हैं, लेकिन उन्होंने चीन के साथ मुक्त व्यापार संधि कर ली जबकि पहली संधि भारत के साथ होनी थी।
सरकार मदद नहीं, कज़र् देगी
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को जब भी खुद को गरीबों की हितैषी दिखाना होता है तो वह कज़र् देने की सीमा बढ़ा देती। फिर ढिंढोरा पीटती है कि सरकार इतने करोड़ रुपये का कज़र् बिना गारंटी के देगी। कोरोना महामारी के समय भी उसने यही किया था। जब दुनिया भर की सरकारें अपने नागरिकों के खाते में नकद पैसे पहुंचा रही थीं ताकि वे ज़रूरत की चीजें खरीद सके और उन्हें रोज़गार खत्म होने से परेशानी नहीं हो, उस समय भारत सरकार ने कुछ 30 लाख करोड़ रुपये के एक पैकेज का ऐलान किया था। उस पैकेज में सिर्फ यह कहा गया था कि अलग-अलग सेक्टर में सरकार कितना कज़र् देगी। जनता को कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई थी। इस बार बजट में भी सरकार ने खूब कज़र् देने की योजनाएं घोषित की हैं। बजट प्रावधानों के मुताबिक दलित और आदिवासी समुदाय की महिलाएं दो करोड़ रुपये तक का टर्म लोन ले सकती हैं। ऐसे ही किसान क्रेडिट कार्ड पर किसान अब पांच लाख रुपये तक कज़र् ले सकेंगे। सो, महिलाएं हों, किसान हों या स्टार्ट अप खोलने के इच्छुक युवा हों, सरकार उन्हें कज़र् देगी। कज़र्र् की सीमा बढ़ाई जा रही है। स्ट्रीट वेंडर यूपीआई लिंक्ड कार्ड पर 30 हजार रुपये तक कज़र् ले सकते हैं। पहले वे 10 हज़ार तक कज़र् ले सकते थे। एमएसएमई की बहुत चर्चा है लेकिन उसमें भी सिर्फ कज़र् की सीमा पांच से बढ़ा कर 10 करोड़ कर दी गई है।
डिप्टी स्पीकर का चुनाव
लोकसभा चुनाव के नतीजे आए सात महीने से ज्यादा हो गए है और 18वीं लोकसभा का दूसरा बजट सत्र चल रहा है, लेकिन ऐसा नहीं लग रहा है कि सरकार इस बार भी लोकसभा के उपाध्यक्ष का चुनाव कराने के मूड में है। बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी को खत्म होगा। हालांकि उससे एक दिन पहले 12 फरवरी को गुरु रविदास जयंती की छुट्टी होगी। इसलिए माना जा रहा है कि सत्र के पहले चरण का समापन 11 फरवरी को ही हो जाएगा। पहले चरण का जो एजेंडा सामने है, उसमें उपाध्यक्ष चुनाव की कोई चर्चा नहीं है। बजट सत्र का दूसरा चरण 10 मार्च से 4 अप्रैल तक चलना है। जानकार सूत्रों का कहना है कि उसमें भी उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं होना है। गौरतलब है कि आज़ाद भारत के इतिहास में 17वीं लोकसभा से पहले कोई लोकसभा ऐसी नहीं रही थी, जिसमें उपाध्यक्ष नहीं रहा था। पहली बार ऐसा हुआ कि पिछली लोकसभा में सरकार ने उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं कराया। पूरे पांच साल लोकसभा बिना उपाध्यक्ष के रही। ओम बिरला स्पीकर बने और उसके बाद पीठासीन अधिकारियों का एक पैनल बना दिया गया, जिसने लोकसभा की कार्यवाही का संचालन किया। इसलिए लगता है 18वीं लोकसभा भी बिना डिप्टी स्पीकर के ही चलती रहेगी।