दिल्ली के चुनावी नतीजों का हरियाणा पर होगा दूरगामी असर
दिल्ली के तीन तरफ हरियाणा बसा हुआ है और हरियाणा के लाखों लोगों का रोजगार,कारोबार और पारिवारिक, राजनीतिक व सामाजिक रिश्ता दिल्ली से जुड़ा हुआ होने के कारण दिल्ली की राजनीतिक गतिविधियों का सीधा असर हरियाणा पर भी पड़ता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में 27 साल के बाद भारतीय जनता पार्टी का सत्ता में वापस आना और आम आदमी पार्टी की सरकार का दिल्ली की सत्ता से बाहर होने का असर आने वाले दिनों में निश्चित तौर पर हरियाणा की राजनीति पर दिखाई देगा। हरियाणा के कई ज़िले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पड़ते हैं। पिछले 12 सालों से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी। आप प्रमुख अरविन्द केजरीवाल वैसे भी मूलरूप से हरियाणा के रहने वाले हैं। दिल्ली व पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद केजरीवाल का यह प्रयास था कि किसी तरह दिल्ली और पंजाब के बीच पड़ते हरियाणा में भी आम आदमी पार्टी का प्रभाव बढ़ाया जाए और आने वाले समय में पार्टी को हरियाणा में भी पूरी तरह से स्थापित किया जा सके। केजरीवाल ने हरियाणा में अपनी पार्टी का प्रभाव बढ़ाने के लिए हरियाणा में लोकसभा व विधानसभा के चुनाव भी लड़े थे, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को हरियाणा में गहरा झटका लगा और पार्टी के ज्यादातर उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हो गई थी।
‘आप’ के भविष्य पर सवालिया निशान
अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार जाने के बाद हरियाणा में भी आप के विस्तार की संभावनाएं लगभग खत्म होने लगी है। इस बार दिल्ली विधानसभा के चुनाव में सभी प्रमुख पार्टियों के हरियाणा से संबंधित अधिकांश नेता न सिर्फ पूरी तरह से सक्रिय रहे बल्कि सभी ने अपनी-अपनी पार्टियों के लिए जी-जान से मेहनत भी की। भाजपा के सभी प्रमुख नेता जिनमें मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश के ज्यादातर मंत्री, सांसद, विधायक, पार्टी पदाधिकारी लगातार दिल्ली में सक्रिय रहकर भाजपा उम्मीदवारों के लिए चुनाव अभियान की ज़िम्मेदारी संभाले रहे। सिर्फ भाजपा ही नहीं कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के हरियाणा से संबंधित ज्यादातर नेता पूरे चुनाव अभियान में दिल्ली में अपनी-अपनी पार्टी के नेताओं के लिए चुनाव प्रचार करते रहे। दिल्ली के चुनावी नतीजों से आम आदमी पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस को भी गहरा झटका लगा है।
दिल्ली की राजनीति का सीधा-सीधा हरियाणा में असर होता है और हरियाणा की राजनीति का अक्सर दिल्ली में असर देखने को मिलता है। 4 महीने पहले हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार ने भी दिल्ली के चुनावी मौसम पर गहरा असर डाला और हरियाणा में भाजपा के चुनाव जीतने के साथ ही यह भी चर्चा चल पड़ी थी कि अब दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी भाजपा बाजी मारने में सफल हो जाएगी और चुनावी नतीजों ने यह बात साफ भी कर दी और भाजपा दो-तिहाई बहुमत लेकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ होने में सफल हो गई है।
डिपोर्ट होने वाले युवक सदमे में
लाखों रुपए खर्च करके अमरीका पहुंचे हरियाणा के अनेक युवाओं के डिपोर्ट किए जाने से इन युवाओं के साथ-साथ इनके परिजन भी गहरे सदमे में हैं। इनके अलावा हरियाणा के कई अन्य युवकों पर भी डिपोर्ट किए जाने की अब तलवार लटकने लगी है, जो डंकी के रास्ते अमरीका गए हैं और जिनको अमरीका में अवैध रूप से प्रवेश करने के कारण अब किसी भी समय वापस भेजा जा सकता है। हरियाणा के हजारों युवक अमरीका, कनाड़ा, यूके व अन्य देशों में रोजगार के अवसर तलाशने के लिए डंकी रूट से वहां गए हैं। इनमें से ज्यादातर युवक गरीब अथवा मध्यवर्गीय परिवारों से हैं, जिनका यहां रोजी-रोटी का गुजारा भी मुश्किल से होता है। ऐसे परिवारों ने अपनी ज़मीनें, जेवरात व अन्य कीमती चीजें बेचकर अपने बच्चों को उनके बेहतर भविष्य के लिए विदेश भेजा था। पहले चरण में अमरीका से जो युवक हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां लगाकर वापस भारत भेजे गए हैं, उनमें अनेक युवा हरियाणा से हैं और इनमें से ज्यादातर हरियाणा के किसान व पंजाबी परिवारों से संबंध रखने वाले युवक हैं। जिस तरह से इन युवकों को हथकड़ियां व बेड़ियां लगाकर वापस लाकर अमृतसर में छोड़ा गया है, इस दुर्व्यवहार के कारण भी इन युवाओं के परिवार सामाजिक तौर पर भी अपने आपको बेहद अपमानित और शर्मसार किए जाने वाली स्थिति में पा रहे हैं। उन परिवारों के समक्ष एक बड़ी चुनौती यह भी सामने आकर खड़ी हो गई है कि उनके पास जो कुछ था वह सब कुछ बेचकर उन्होंने बच्चों को बाहर भेज दिया था, लेकिन अब जिस तरह से बच्चे वापस आए हैं और परिवार की ज़मीनें व जेवरात भी बिक चुके हैं तो ऐसे सदमे वाली स्थिति में इन परिवारों के समक्ष अपना गुजारा करने के लिए भी कठिन दौर शुरू हो गया है। इनमें से ज्यादातर परिवारों का मानना है कि अगर इन युवाओं को स्थानीय स्तर पर या हरियाणा में कोई रोजगार मिल गया होता तो शायद इतना कष्ट उठाकर डंकी रास्ते से अन्य देशों में न जाना पड़ता। इन परिवारों से संबंधित युवाओं को अपना भविष्य भी अब पूरी तरह से धुंधला नजर आने लगा है।
अब तक नहीं बना नेता प्रतिपक्ष
4 महीने पहले हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता का मज़बूत दावेदार माना जा रहा था। लेकिन पार्टी की आपसी गुटबाजी और खींचतान के चलते पार्टी न सिर्फ सत्ता से दूर हो गई बल्कि लगातार तीसरी बार भाजपा हरियाणा की सत्ता हासिल करने में सफल हो गई। कांग्रेस पार्टी की ऐसी दुर्दशा के लिए खुद कांग्रेस के नेताओं को ही ज़िम्मेदार माना जा रहा है। पिछले कई सालों से हरियाणा में कांग्रेस का संगठन ही नहीं बन पाया। कांग्रेस में इस समय न तो प्रदेश स्तर के पदाधिकारी और कार्यकारिणी हैं और न ही जिलों व हलका स्तर पर पार्टी के पदाधिकारी बनाए गए हैं। विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे दौरान हुई बंदरबांट के चलते कांग्रेस पार्टी सत्ता के दरवाजे के करीब पहुंचने के बावजूद सत्ता से वंचित रह गई। कांग्रेस को 37 और भाजपा को 48 सीटें हासिल हुईं। पिछले 4 महीनों में विधानसभा का एक सत्र बीत चुका है और अब विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है। इन 4 महीनों में कांग्रेस अभी तक पार्टी विधायक दल का नेता और नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं कर पाई, जिसके चलते न सिर्फ कांग्रेस की जगहसाई हो रही है बल्कि पार्टी को निरंतर नुकसान भी झेलना पड़ रहा है।
स्थानीय निकाय चुनाव
अब हरियाणा में नगर निगम, नगर परिषद् व नगर पालिकाओं के चुनाव घोषित हो चुके हैं। इन चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है जोकि 17 फरवरी तक चलेगी। 2 मार्च को स्थानीय निकाय चुनाव होंगे व 12 मार्च को इन चुनावों की मतगणना होगी। भाजपा ने जहां स्थानीय निकाय चुनावों के लिए पूरी तैयारी शुरू कर दी है वहीं कांग्रेस अभी तक पार्टी की गुटबाजी से उभर नहीं पाई है। कांग्रेस ने हालांकि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए पूर्व मंत्री श्रीमती गीता भुक्कल के नेतृत्व में चुनाव घोषणा पत्र कमेटी गठित करने का निर्णय तो ले लिया है और अलग-अलग ज़िलों के लिए भी कमेटियां गठित कर दी गई हैं। इसके बावजूद पार्टी अभी तक एकजुट होने का नाम नहीं ले रही।
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