दिल्ली में भाजपा सरकार के सामने हैं अनेक मुश्किल काम

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में अब भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में है, जिसके सामने अनेक चुनौतियां हैं। चुनाव अभियान के दौरान भाजपा ने बहुत से चुनावी वायदे दे रखे हैं जिन्हें पूरा करना एक बहुत ही कठिन कार्य है और विपक्ष बहुत ही सतर्क और मज़बूत है। यह बात मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली सरकार जिसने 20 फरवरी को आधिकारिक रूप से कार्यभार संभाला, के पहले कैबिनेट फैसले और उस पर विपक्षी ‘आप’ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी की प्रतिक्रिया से ही स्पष्ट हो गयी। अपनी पहली प्रैस कॉन्फ्रैंस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि उनके मंत्रिमंडल ने अपनी पहली बैठक में आयुष्मान भारत योजना को लागू करने और पहली दिल्ली विधानसभा में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की 14 लंबित रिपोर्टों को पेश करने का फैसला किया है। चुनाव प्रचार में महिलाओं को 2500 रुपये प्रतिमाह देने के वायदे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस पर कैबिनेट बैठक में चर्चा हुई थी लेकिन पाया गया कि लाभ पाने के लिए महिलाओं की श्रेणी तय करने के लिए और अधिक चर्चा की आवश्यकता है।
चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं से बहुत सारे वायदे करके भाजपा सत्ता में आयी है, जिनमें से सबसे प्रमुख वायदा दिल्ली की हर महिला को 2500 रुपये देने का था। दिये गये वायदों को पूरा करना मुश्किल ही नहीं, बल्कि बहुत ही मुश्किल है, जैसा कि सरकार के पहले कैबिनेट फैसले में झलकता है।
‘आप’ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की प्रैस कॉन्फ्रैंस के बाद भाजपा के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार पर ‘वायदा तोड़ने’ का आरोप लगाया, जो ‘आप’ नेतृत्व की सतर्कता को दर्शाता है। यह ध्यान देने योग्य है कि ‘आप’ दिल्ली चुनाव में भाजपा से केवल 1.99 प्रतिशत वोटों के अंतर से हारी थी और इसलिए ‘आप’ एक निराश पार्टी नहीं बन पायी है। हार ने उन्हें राजनीतिक रूप से अति सक्रिय बना दिया है, जो कैबिनेट के फैसले के तुरंत बाद आतिशी की त्वरित टिप्पणी में झलकता है। भाजपा ने दिल्ली के लोगों को ‘धोखा’ देने का मन बना लिया है, आतिशी ने आरोप लगाया।
याद रहे कि हार के बाद ‘आप’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने कहा था, ‘हम विनम्रता के साथ जनादेश स्वीकार करते हैं... और उम्मीद करते हैं कि भाजपा दिल्ली के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरेगी।’ उन्होंने कहा कि ‘आप’ एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभायेगी और दिल्ली के लोगों के लिए उपलब्ध रहेगी। केजरीवाल ने अपने विधायकों से अपने निर्वाचन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने और भाजपा को उनके चुनावी वायदों के लिए जवाबदेह बनाने को कहा है, जैसे कि 8 मार्च तक दिल्ली में महिलाओं को 2500 रुपये देना, मुफ्त बिजली जारी रखना, गुणवत्तापूर्ण सरकारी स्कूल बनाये रखना और मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी अस्पतालों में मुफ्त ईलाज। पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने भी कहा है कि ‘आप’ सुनिश्चित करेगी कि भाजपा इन प्रतिबद्धताओं को पूरा करे और ‘आप’ शासन के दौरान पिछले 10 वर्षों में किये गये कार्यों को जारी रखे। नयी भाजपा सरकार की पहली कैबिनेट समिति की बैठक के नतीजों पर आतिशी के तीखे हमले को इसी पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी आरोपों का जवाब देते हुए कहा, ‘कांग्रेस ने 15 साल और ‘आप’ ने 13 साल राज किया। उन्होंने जो किया, उसे देखने के बजाय वे हमारे एक दिन पर सवाल कैसे उठा सकते हैं?... हमने शपथ लेने के तुरंत बाद पहले दिन कैबिनेट मीटिंग की और हमने आयुष्मान भारत योजना को मंजूरी दी, जिसे ‘आप’ ने रोक रखा था। हमने पहले दिन दिल्ली के लोगों को 10 लाख रुपये का लाभ दिया। देश में केवल दो राज्य थे जिन्होंने पीएम-एबीवाई (आयुष्मान भारत योजना) को लागू करने से इन्कार कर दिया था और उनमें से एक ‘आप’ के नेतृत्व वाली दिल्ली थी, इस आधार पर कि दिल्ली 1 करोड़ रुपये की चिकित्सा सुविधा दे रही थी, जबकि पीएम-एबीवाई केवल 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा दे रही थी। आयुष्मान भारत को मंजूरी देने वाली दिल्ली कैबिनेट के दो घटक होंगे। 5 लाख रुपये केंद्र द्वारा और 5 लाख रुपये दिल्ली द्वारा, यानी कुल 10 लाख रुपये। दिल्ली विधानसभा के पहले सत्र में सीएजी रिपोर्ट पेश किये जाने के मामले में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ‘आप’ पर हमला करते हुए कहा कि ‘उन्हें चिंता है कि जब सीएजी रिपोर्ट सदन में पेश की जायेगी, तो बहुत से लोगों के रिकॉर्ड उजागर हो जाएंगे।’ ‘विकसित दिल्ली’ के मिशन का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पहले ही कहा था, ‘हम इस दिशा में काम करते रहेंगे। हम एक दिन भी इंतजार नहीं करेंगे। और हम अपने हर वादे को पूरा करेंगे।’ इससे पता चलता है कि दिल्ली की भाजपा सरकार को आने वाले महीनों में विधानसभा और उसके बाहर सार्वजनिक राजनीतिक क्षेत्र में ‘आप’ के मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ेगा। 
भाजपा नेतृत्व के पास आगे बहुत व्यस्त समय होगा। फिर भी, भाजपा के पास कुछ ऐसे फायदे हैं जो ‘आप’ सरकार के पास नहीं थे। उदाहरण के लिए, दिल्ली सरकार के अधिकारी ‘आप’ के मंत्रियों की भी नहीं सुनते थे, क्योंकि वे सीधे उप-राज्यपाल के अधीन थे, अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के अधीन। इसके कारण ‘आप’ के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार का कामकाज बाधित हो रहा था। बदले हुए परिदृश्य में, जब दिल्ली और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है, उपराज्यपाल और उच्च सरकारी अधिकारी बहुत सक्रिय हो गये हैं, और अब दिल्ली के लिए काम कर रहे हैं, जबकि पहले वे ‘आप’ सरकार के सामने बाधाएं खड़ी कर रहे थे। वही उपराज्यपाल ‘आप’ सरकार के खिलाफ एक विपक्षी पार्टी की तरह काम कर रहे थे, न केवल यमुना की सफाई के मुद्दे पर बल्कि यमुना से पीने योग्य पानी के मुद्दे पर भी, जो दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान प्रमुख राजनीतिक मुद्दे बन गये थे। इन लाभों के बावजूद भाजपा के लिए आगे का समय कठिन होगा क्योंकि पार्टी के पास अपने करीबी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी ‘आप’ को दबाये रखने के लिए बहुत सारे वायदे पूरे करने हैं, बहुत सारे विकास कार्य करने हैं और सामाजिक कल्याण योजनाओं को लागू करना है। (संवाद)

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