घातक है बच्चों में ऑनलाइन गेम खेलने की बढ़ती प्रवृत्ति 

एक समय वह भी था जब बच्चों को घर से बाहर खेलने जाने के लिए मना किया जाता था। दिन भर घर से बाहर रह कर खेलने के लिए उन्हें डांट भी पड़ती थी, लेकिन अब समय बदल गया है। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बच्चे खेलने के लिए घर से बाहर निकल ही नहीं रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण ऑनलाइन वीडियो गेम और स्मार्टफोन है। वीडियो गेम खेलने वाले स्माटफोन सात-आठ हज़ार रुपये तक में आसानी से मिल रहे हैं। वहीं मुफ्त मोबाइल गेम भी मिल जाते हैं। दरअसल, ऑनलाइन वीडियो गेमिंग का बाज़ार बहुत ही तेज़ी से बढ़ रहा है, इसी के साथ बढ़ रहा है इसका दुष्परिणाम। कई वीडियो गेम्स बच्चों के लिए बेहद ही खतरनाक साबित हो रहे हैं। कुछ गेम्स की वजह से कई मौतें भी हो चुकी हैं। आइए जानते हैं कुछ वीडियो गेम्स के बारे में जो बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं, उन्हें हिंसक बना रही हैं
ऑनलाइन गेम से पनप रहे गम्भीर खतरों को लेकर दुनियाभर में चिंता जताई जा रही है। ऑनलाइन गेम की लत के शिकार बच्चों को बचाने के लिए कई देश इस समय अलर्ट मोड पर हैं। ब्राज़ील, चीन, वेनेजुएला, जापान और ऑस्ट्रेलिया में ऐसे गेम्स पर प्रतिबंध है, जो हिंसक प्रवृत्ति पैदा करते हैं। चीन में 18 साल से कम उम्र वालों को शुक्रवार, शनिवार, रविवार या फिरसार्वजनिक छुट्टी के दिन सुबह 8 से रात 9 बजे के बीच अधिकतम 3 घंटे तक ही ऑनलाइन गेम की अनुमति है। सख्त नियमों के बावजूद ब्राज़ील के एक किशोर ने ऑनलाइन चैलेंज पूरा करने के लिए खुद को बटरफ्लाई फ्लूड का इंजेक्शन लगा लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। पिछले महीने लखनऊ में एक बीडीएस छात्र ने आत्महत्या का खौफनाक कदम उठाने से पहले अपने दोस्तों को ऑनलाइन गेम खेलने के लिए नोटिफिकेशन भेजा था। वहीं, लखनऊ के दूसरे मामले में ऑनलाइन गेम की लत के शिकार दसवीं के छात्र ने मोबाइल गेम में नुकसान के बाद आत्महत्या कर ली।
घर में छोटे बच्चे हैं, तो फिर आपने भी गौर किया होगा कि वे जल्द ही मोबाइल चलाने में माहिर हो जाते हैं। यदि माता-पिता बच्चों को मोबाइल न दे, तो यह संभव भी नहीं है। कहीं न कहीं इसकी शुरुआत अभिभावक ही करते हैं, लेकिन जब एक बार बच्चों को मोबाइल की लत लग जाती है, तो फिर मोबाइल फोन न देने पर चीखना-चिल्लाना आम बात हो जाती है। बच्चों को व्यस्त रखने के लिए खुद ही अभिभावक फोन पर गेम्स और वीडियो चलाकर दे देते हैं। हालांकि शौकिया तौर पर कुछ देर गेम खेलने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन समस्या तब पैदा होती है, जब यह शौक एक लत में बदल जाता है, जिसे गेमिंग की लत या फिर गेमिंग डिसआर्डर भी कहते हैं।
ऑनलाइन गेमिंग की लत को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीमारी यानी गेमिंग डिसआर्डर के रूप में चिन्हित किया है। खासकर बढ़ते बच्चों में गेमिंग की लत उनके आगे बढ़ने में बहुत बड़ी बाधा है। गेमिंग के दौरान अलग-अलग लेवल पार करना बच्चे अपनी उपलब्धि मानते हैं। ऐसे में बिना सोचे-समझे वे गेम खेलते चले जाते हैं। एक्साइटमेंट के लिए वह कुछ भी कर गुजरने से हिचकता नहीं है। यह खेल मानसिक रूप से भी कमज़ोर बनाता है। खिलाड़ी असल दुनिया से दूर एक वर्चुअल यानी आभासी दुनिया में होता है। कई बार तो गेम में जीतने पर रिवार्ड की सुविधा भी होती है। देखा जाए, तो यह एक तरह से बच्चों को उकसाने का तरीका ही है।
यदि बच्चे की दिनचर्या में बदलाव नज़र आए। उसका पूरा कामकाज गेम के इर्द-गिर्द ही दिखाई देने लगे तो समझिए वह इस खेल की गिरफ्त में जा रहा है। उसका स्वभाव आक्रामक हो सकता है। गेम खेलने से रोकने पर वह हिंसक हो उठता है। उसकी याददाश्त में कमी आना बात बिगड़ने के संकेत हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार बच्चों के मां-बाप इस आदत पर लगाम लगाने में खुद को असहाय पा रहे हैं। यह सिर्फ  खर्च की बात नहीं है, बल्कि बच्चों के दिमाग पर जो ऐसी गेम्स का असर हो रहा है, वह आगे जाकर घातक सिद्ध हो सकता है। यदि माता-पिता इसे सामान्य मान रहे हैं, तो यह उनकी भूल है। आपत्तिजनक व हिंसक कंटेंट के कारण 15 देश अलग-अलग तरह के ऑनलाइन गेम्स पर पाबंदी लगा चुके हैं। वेनेजुएला 2009 में ही वीडियो गेम्स बनाने, बेचने और इस्तेमाल करने पर रोक लगा चुका है। ब्राजील बहुत ज्यादा हिंसा वाले गेम बंद किए। चीन 18 साल से कम उम्र वालों को सुबह 8 से रात 9 बजे के बीच शुक्त्रवार, शनिवार, रविवार और सार्वजनिक छुट्?टी के दिन अधिकतम 3 घंटे तक ही ऑनलाइन गेम खेलने की इजाजत है। ऑस्ट्रेलिया में हिंसक, आपत्तिजनक व विवादित कंटेंट वाले ऑनलाइन गेम्स की अनुमति नहीं है।  दक्षिण कोरिया, न्यूज़ीलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, जर्मनी, ब्रिटेन, सऊदी अरब, यूएई, ईरान और पाकिस्तान भी कई ऑनलाइन गेम्स पर पाबंदियां लगा चुके हैं। वहीं, भारत अभी तक ऑनलाइन गेम्स को लेकर कोई सख्त कानून नहीं बना पाया है। हालांकि, भारत कई चाइनीज़ ऑनलाइन गेम्स पर दो साल पहले ही पाबंदी लगा चुका है, लेकिन अब भी ये गेम्स उपलब्ध हो रही हैं।

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