भाजपा अध्यक्ष के लिए शिवराज सिंह सबसे लोकप्रिय नेता

भारतीय जनता पार्टी में नये राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए मंथन और निर्विरोध चयन को अंतिम रूप दिया जा चुका है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया फरवरी तक पूरी होनी थी, मगर दिल्ली विधानसभा चुनाव सहित देशभर में संगठनात्मक चुनाव पूरे नहीं होने के कारण अब मार्च में पार्टी को नया अध्यक्ष मिलेगा। इस दौरान जे.पी. नड्डा अपने पद पर बने रहेंगे। भाजपा के संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम 50 प्रतिशत राज्य इकाइयों द्वारा अपने-अपने अध्यक्षों का चुनाव किया जाना आवश्यक है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए निर्वाचक मंडल के सदस्यों का भी चयन किया जाता है। फिलहाल 36 राज्यों में से लगभग एक दर्जन प्रदेशों में ही चुनाव संपन्न हुए हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए छह और राज्यों में अध्यक्षों के चुनाव कराए जाने की ज़रूरत है। मिली जानकारी के अनुसार कई प्रदेशों में आपसी मतभेदों के कारण चुनाव प्रक्रिया अटक गई है। पार्टी विथडिफरेंस और दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा में नये अध्यक्ष को लेकर तरह तरह की चर्चाएं व्याप्त हो रही हैं। दक्षिण भारत और उत्तर भारत की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। 
अनेक बड़े और दमदार नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, जो पार्टी के इस महत्वपूर्ण पद के लिए दावेदार हैं। इसी बीच मीडिया में प्रमुखता से एक दर्जन नामों की चर्चा सुनी जा रही है। इनमें केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, धर्मेंद्र प्रधान, देवेंद्र फडणवीस, मनोहर लाल खट्टर, समृति ईरानी, रघुवर दास सहित जी किशन रेड्डी, बंडी संजय कुमार और प्रह्लाद जोशी के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे है। किसी महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष का दारोमदार सौंपने की चर्चाएं भी है। संघ के पसंद-नापसंद की चर्चाएं भी छाई हुई है। मगर एक बात जो सबसे पुख्ता और प्रामाणिक है, वह यह है कि जो भी अध्यक्ष बनेगा वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की मर्जी से ही बनेगा। बिहार और बंगाल सहित अनेक विधानसभाओं के चुनाव नये अध्यक्ष के कार्यकाल में संपन्न होंगे इसीलिए फूंक-फूंक कर कदम उठाये जा रहे है। निवर्तमान अध्यक्ष नड्डा मोदी और शाह के विश्वसनीय है। खुद का कोई विशेष जनाधार नहीं है। अपने गृह राज्य हिमाचल के विधानसभा चुनाव में वह पार्टी को विजयश्री नहीं दिला पाए। यह भी कहा जा रहा है मोदी और शाह अपने फैसलों से चौंकाते रहे है। राज्यों में मुख्यमंत्री का चयन हो चाहे केंद्र सरकार में मंत्री का चुनाव, सभी मौकों पर चौंकाने वाले फैसले सामने आते रहे हैं। इसलिए यह कहने वालों की कमी नहीं है कि मोदी पार्टी और देश को एक बार फिर चौंका सकते है। 
भाजपा के लिए नया अध्यक्ष बेहद महत्वपूर्ण होगा। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी ने जो रणनीतियां बनाई हैं, उनके साथ नए अध्यक्ष को तालमेल बैठाना होगा। उसे पार्टी के संगठन को नई दिशा देने के साथ-साथ युवाओं को जोड़ने और आगामी चुनावों की तैयारियों में सक्रिय भूमिका के साथ एनडीए के साथी संगठनों से बेहतर समन्वय स्थापित करना होगा। इसलिए पार्टी को एक ऐसे चेहरे की तलाश है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से जुड़ा हो और संगठनात्मक दृष्टि से मज़बूत हो। साथ ही मोदी और शाह के भरोसे का हो। 
भाजपा पर नज़र रखने वाले एक जाने माने पत्रकार ने इन पंक्तियों के लेखक को बताया मोदी के मन की थाह लेना बहुत मुश्किल और लगभग असंभव है। यह भी बताया जा रहा है जिन नामों की चर्चा हो रही है उनमें सबसे लोकप्रिय और जनाधार वाले नेता शिवराज सिंह चौहान है। चौहान संघ के भी प्रिय है। 2013 में भाजपा के वरिष्ठ नेता एल.के. आडवाणी अपने विश्वास पात्र शिवराज सिंह को प्रधानमंत्री का चेहरा बनाना चाहते थे। मगर उस दौरान यह संभव नहीं हुआ। संघ की यह दूरगामी सोच है कि मोदी की जगह शिवराज ले सकते है। चार बार मुख्यमंत्री और 6 बार सांसद रहे कद्दावर नेता शिवराज सिंह चौहान पिछड़े वर्ग की नुमाईंदगी करते है और उन पर कोई दाग भी नहीं है। अध्यक्ष के जरिये अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें प्रधानमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ा जा सकता है। अब यह पूरी तौर पर संघ के साथ मोदी और शाह पर निर्भर होगा कि वे किसे भाजपा का ताज सौंपते है।

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