क्या ट्रम्प की धमकी का हमास पर कोई असर होगा ?

व्हाइट हाउस में आठ पूर्व बंधकों से मुलाकात करने के बाद अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अपने ट्रुथ सोशल हैंडल पर हमास को ‘अंतिम धमकी’ देते हुए लिखा, ’बाद में नहीं बल्कि सभी बंधकों को अभी रिहा करो और जिन व्यक्तियों का तुमने कत्ल किया हैं, उनके शव भी तुरंत वापिस करो वर्ना तुम्हारे लिए सब कुछ खत्म हो गया है। केवल बीमार व सिरफिरे लोग ही शव रखते हैं और तुम बीमार व सिरफिरे हो।’ ट्रम्प ने यह भी कहा, ‘काम खत्म करने के लिए वह इज़रायल को हर आवश्यक चीज़ भेज रहे हैं’। इस ‘धमकी’ का विरोधाभास यह है कि ट्रम्प ने हमास से सीधे बात करने के लिए अपना एक प्रतिनिधि आदम बोएह्लेर को कतर भेजा है। 1997 के बाद यह पहला अवसर है जब व्हाइट हाउस हमास से सीधे ‘वार्ता व चर्चा’ कर रहा है। गौरतलब है कि अमरीका की लम्बे समय से यह आधिकारिक नीति रही है कि वह आतंकी गुटों से सीधे बातचीत नहीं करेगा। ट्रम्प इस नीति का उल्लंघन कर रहे हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव करोलिन लीविट ने वार्ता का असल मुद्दा तो नहीं बताया, लेकिन यह कहा है कि ट्रम्प ने अपने प्रतिनिधि को ‘हर किसी से बात करने’ का अधिकार दिया है। 
अक्तूबर 2023 से कतर व मिस्र के माध्यम से ही अमरीका व इज़रायल हमास से बातचीत कर रहे थे। अब अमरीका सीधे हमास से बात कर रहा है। दूसरी ओर हमास ने ट्रम्प की नवीनतम धमकी को सुनकर अनसुना करते हुए दोहराया है कि वह शेष इज़रायली बंधकों को उसी सूरत में छोड़ेगा, जब फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा कर दिया जायेगा और गाज़ा में स्थायी युद्ध विराम होगा। हमास ने ट्रम्प व इज़रायल के बेंजामिन नेतन्याहू पर जनवरी में हुए युद्ध विराम से पीछे हटने का आरोप लगाया है, जिसके तहत फरवरी में युद्धविराम से संबंधित दूसरे दौर की वार्ता होनी थी ताकि अधिक फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई, स्थायी युद्ध विराम और गाज़ा से इजराइली सेना की वापसी के बदले में बंधकों को छोड़ा जा सके। हमास के प्रवक्ता अब्दुल लतीफ अल-कानउया ने कहा है कि ‘शेष इज़रायली बंधकों को रिहा कराने का सबसे अच्छा रास्ता वार्ता ही है’। यह वार्ता फरवरी में आरंभ होनी थी, लेकिन अभी तक इसके लिए तैयारी ही हुई है। 
करोलिन लीविट के बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रम्प की दिलचस्पी केवल अमरीकी हितों को साधने में है और इसलिए वह हमास से सीधे वार्ता कर रहे हैं। ट्रम्प की दिलचस्पी मुख्यत: दो बातों को लेकर अधिक दिखायी दे रही है। एक, अमरीकी नागरिक एडन एलेग्जेंडर को हमास से मुक्त कराने में। दूसरा यह कि दुनियाभर के विरोध के बावजूद ट्रम्प ने गाज़ा को फिलिस्तीनियों से खाली करा कर वहां ‘रिवेरा’ बनाने की अपनी योजना को अभी तक नहीं छोड़ा है। इसलिए उन्होंने अपने प्रतिनिधि के रूप में आदम बोएह्लेर को कतर भेजा, जिन्होंने ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान अब्राहम समझौता कराने वाली टीम का नेतृत्व किया था। अब्राहम समझौते का उद्देश्य अरब संसार में इज़रायल को विस्तृत मान्यता प्रदान कराना था। ट्रम्प क्या कहते हैं और करते क्या हैं, इसे समझना आसान नहीं हैं। एक तरफ  वह हमास को धमका रहे हैं और दूसरी तरफ  अमरीकी नीति का उल्लंघन करके हमास से सीधी वार्ता भी कर रहे हैं। एक तरफ  वह गाज़ा के लोगों को आश्वासन दे रहे हैं कि ‘सुंदर भविष्य आपकी प्रतीक्षा में है’ और दूसरी तरफ  वह सभी फिलिस्तीनियों से गाज़ा खाली करने के लिए कह रहे हैं, बिना यह बताये कि वह किस जगह अपना वतन छोड़कर जाएं। 
व्हाइट हाउस ने हाल ही में इस बात की पुन: पुष्टि की है और अरब देशों ने गाज़ा के पुन:निर्माण का जो वैकल्पिक प्रस्ताव दिया था, उसे ठुकरा दिया है। हालांकि ट्रम्प ने इस संदर्भ में अपने शब्दों में कुछ संशोधन अवश्य किया है, लेकिन उन्होंने अमरीका के मालिकाना हक के साथ गाज़ा को पश्चिम एशिया का ‘रिवेरा’ बनाने के अपने सपने को छोड़ा नहीं है। अपनी योजना की घोषणा ट्रम्प ने सबसे पहले 4 फरवरी को नेतन्याहू के सामने की थी। उस समय उनके शब्द थे ‘हम उसके मालिक बनेंगे’। इसके बाद यह शब्द बदल कर हो गये ‘हम उसे खरीद लेंगे’। फिर जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह-2 के साथ ओवल ऑफिस की प्रेस कांफ्रैंस में ट्रम्प के शब्द थे ‘हम उसे खरीदेंगे नहीं, हम उसे छीन लेंगे, हम उसे अपने पास रखेंगे, हम उसका आनंद लेंगे’। इज़रायल के सशस्त्र बलों द्वारा 16 माह की निरन्तर बमबारी के बाद गाज़ा रहने लायक स्थान नहीं रहा है। यह नरसंहार अपने आप में मानवता के विरुद्ध अपराध था। गाज़ा से फिलिस्तीनियों को बाहर निकालना मानवता के विरुद्ध दूसरा अपराध होगा, लेकिन इससे बेज़ालेल समोत्रिच के नेतृत्व वाले नव दक्षिणपंथ के मूल विचार की पूर्ति हो जायेगी कि गाज़ा और संभवत: वैस्ट बैंक को खाली कराओ और इस तरह वह जातीय संहार पूर्ण हो जायेगा जो 1948 के नकबा से आरंभ हुआ था। 
गाज़ा को खाली कराने की मानवीय कीमत अरब देशों को चुकानी पड़ेगी जैसा कि 1948 में हुआ था। ध्यान रहे कि अक्तूबर 2023 के मध्य में जो बाइडन के राज्य सचिव एंटोनी ब्लिंकिन ने अपने क्षेत्रीय सहयोगियों जॉर्डन, मिस्र, सऊदी अरब व अमीरात से यही मांग रखी थी। इस मांग को बिना अपील के ठुकरा दिया गया था, लेकिन इससे मालूम होता है कि गाज़ा को लेकर बाइडन का भी नज़रिया वही था, जिसे अब ट्रम्प खुलकर बोल रहे हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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