यूक्रेन युद्ध : क्या सफल होंगे ब्रिटेन व फ्रांस के युद्ध विराम हेतु प्रयास

यूक्रेन मोर्चे पर ताज़ा समाचार यह है कि ब्रिटेन, फ्रांस और यूक्रेन ने मिलकर एक युद्ध विराम की योजना बनाई है जिसे अमरीका के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की बात मानें तो इस पर लगभग सहमति बन गई है। युद्ध समाप्त करने पर चर्चा के लिए यूरोपीय नेताओं के साथ 2 मार्च को शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस शिखर सम्मेलन में फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, इटली, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, स्पेन, कनाडा, फिनलैंड, स्वीडन, चेक गणराज और रोमानिया के नेता के अलावा तुर्किये के विदेश मंत्री, नाटो महासचिव तथा यूरोपीय आयोग और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष ने भाग लिया। विश्व की दृष्टि से यह यूरोप का सम्पूर्ण सशक्त शिखर सम्मेलन था। विश्व ने देखा कि किस तरह यूरोपीय नेताओं ने वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की आवभगत की तथा उन्हें महत्व दिया। ओवल ऑफिस यानी अमरीकी राष्ट्रपति कार्यालय से निकलने के बाद ज़ेलेंस्की सीधे ब्रिटेन आए और प्रधानमंत्री स्टोर्मर ने उन्हें गले लगाया और कहा कि उन्हें उनके देश का अटूट समर्थन प्राप्त है तो इसके पीछे ट्रम्प एवं दुनिया को तत्काल एक संदेश देने की रणनीति है। वास्तव में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जिस ढंग से यूक्रेन पर अपने तेवर दिखाए और पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों के साथ उनकी बहस हुई तथा यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को व्हाइट हाउस से बाहर किया गया, वह दुनिया में सबसे बड़ी हलचल मचाने वाली घटना बन गई। अमरीकी इतिहास की यह पहली घटना थी जब व्हाइट हाउस में दो नेताओं के बीच इस तरह बहस हुई। दोनों उंगली उठाते दिखे तथा किसी विदेशी मेहमान को वहां से बाहर निकालना पड़ा। प्रश्न है कि अभी आगे होगा क्या?
ऐसा दिख रहा है कि यूरोप के ज्यादातर नेता इस समय ज़ेलेंस्की के साथ है। हालांकि वर्तमान यूरोपीय नेता अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में उथल-पुथल के परिणाम से आशंकित हैं और वे संतुलित आचरण की कोशिश कर रहे हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टार्मर ने सधे हुए वक्तव्य में कहा कि अब हम इस बात पर सहमत हो गए हैं कि ब्रिटेन, फ्रांस और संभवत: एक या दो अन्य देशों के साथ मिलकर यूक्रेन के साथ लड़ाई रोकने की योजना पर काम किया जाएगा और फिर उस पर अमरीका के साथ चर्चा करेंगे। स्टार्मर ने कहा कि उन्हें व्लादिमीर पुतिन पर विश्वास नहीं है लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प पर विश्वास है और वह जब कहते हैं कि उन्हें शांति चाहिए तो हम मान कर चलते हैं कि वह यही चाहते हैं। इसमें दो मत नहीं कि कोई समझौता स्थायी शांति की गारंटी होनी चाहिए। इसलिए स्टार्मर अगर कह रहे हैं कि हम अस्थायी युद्ध विराम का जोखिम नहीं ले सकते तो सामान्य तौर पर इसे असहमत होना कठिन है। उनका यह कहना कि युद्ध समाप्त करने के लिए वे दृढ़ संकल्प हैं, आकर्षित तो करता है, किन्तु स्वयं इस समय की अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में देश की भूमिका ही इसके मार्ग की बड़ी बाधा है। एक बड़े समूह को डोनाल्ड ट्रम्प का व्यवहार अटपटा और एकपक्षीय लग सकता है। धीरे-धीरे विश्व में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है जो मानते हैं कि उनका व्यवहार गलत नहीं है। एक समय यूक्रेन के प्रति विश्व की सहानुभूति थी और यह सच है कि अमरीका और यूरोप की मदद के कारण पुतिन की युद्ध योजना पर तुषारापात हुआ। यूक्रेन जैसे छोटे देश को घुटनों पर लाना उनके लिए कठिन हो गया। किन्तु पूरे काला सागर सहित क्रीमिया के क्षेत्र को देखें तो वहां लंबे समय से यूरोप की भूमिका के कारण ही स्थिति इतनी जटिल है कि उनका स्थायी निपटारा संभव नहीं। सोवियत संघ जिन राज्यों को मिलकर बना, उनमें ज्यादातर आज स्वतंत्र हैं, परन्तु उनकी भौगोलिक सीमाएं खासकर समुद्र में और आसपास इतनी स्पष्ट नहीं है।
उल्लेखनीय है कि प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के पीछे उसे क्षेत्र की भौगोलिक जटिलताएं और राजनीतिक व्यवहार की बड़ी भूमिका थी। द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बावजूद अमरीका के समक्ष सोवियत संघ के दूसरी महाशक्ति के रूप में खड़ा होने के कारण थोड़ा संतुलन रहा तथा यूरोप के प्रमुख देशों ने आपस में भौगोलिक जटिलताएं खत्म कीं, राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर लगाम लगाई। बावजूद न संपूर्ण यूरोप के लिए और न विश्व के लिए अस्थायी सुरक्षा और शांति सुनिश्चित हुई। सोवियत संघ के विघटन के बाद अमरीकी नेतृत्व वाले नाटो और उसकी सेना कायम रही। अगर अमरीका और यूरोपीय देश यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनाने की ओर कदम आगे नहीं बढ़ाते तथा उसे हथियार नहीं देते तो पुतिन के लिए इस तरह आक्रमण करने का आधार नहीं बनता। इन देशों ने पोलैंड के साथ भी यही किया। शेष विषयों को छोड़ दें तो ज़ेलेंस्की यह घोषणा कर देते कि वह नाटो का सदस्य नहीं बनेंगे तो भी शायद स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती। सच यह है कि यूक्रेन-रूस युद्ध विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार कर चुका है। नहीं रुका तो दुनिया कई प्रकार के संघर्षों में उलझ जाएगी। कई बार आपको शांति के लिए दबाव और अन्य बाध्यकारी कड़े भी कदम उठाने पड़ते हैं। ऐसा लग रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए ही ट्रम्प ने इस तरह कड़ा रुख अपनाया है। ज़ेलेंस्की को भी अमरीका के महत्व का पता है और उन्होंने कहा है कि वह खनिज पर समझौते के लिए फिर से व्हाइट हाउस जाने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें सुरक्षा की गारंटी चाहिए। 
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