भारत का तकनीकी पुनर्जागरण

महाराष्ट्र के बारामती में एक छोटा किसान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से खेती के नियम फिर से लिख रहा है। हम यहां कुछ असाधारण देख रहे हैं, उर्वरक के उपयोग में कमी, बेहतर जल उपयोग दक्षता और उच्च पैदावार, ये सभी एआई द्वारा सक्षम हैं। यह भारत की एआई-संचालित क्रांति की एक झलक मात्र है, जहां प्रौद्योगिकी और नवाचार अब प्रयोगशालाओं तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि आम नागरिकों के जीवन को बदल रहे हैं। कई मायनों में, इस किसान की कहानी एक बहुत बड़े परिवर्तन का सूक्ष्म रूप है-2047 तक विकसित भारत की ओर हमारा मार्च का एक सूक्षम संसार है।
डिजीटल नियति लिखना
भारत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई), एआई, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पर मजबूत फोकस के साथ अपने डिजीटल भविष्य को आकार दे रहा है। दशकों से, भारत सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में वैश्विक नेता रहा है, लेकिन अब यह हार्डवेयर विनिर्माण में भी बड़ी प्रगति कर रहा है। पांच सेमीकंडक्टर संयंत्र निर्माणाधीन हैं, जो वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भारत की भूमिका को मज़बूत कर रहे हैं। आज इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद हमारे शीर्ष तीन निर्यातों में शुमार हैं और जल्द ही हम एक प्रमुख मील के पत्थर तक पहुंच जाएंगे।
एआई का निर्माण
सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स रीढ़ की हड्डी हैं, जबकि डीपीआई भारत की तकनीकी क्रांति को आगे बढ़ाने वाली प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करता है। भारत अपनी तरह के अनूठे एआई ढांचे के माध्यम से इसे सभी के लिए सुलभ बनाकर एआई का लोकतंत्रीकरण कर रहा है।
इस संबंध में एक महत्वपूर्ण पहल 18,000+ ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) के साथ भारत की कॉमन कम्प्यूट सुविधा है। 100रूपये/घंटा से कम की रियायती लागत पर उपलब्ध, यह पहल यह सुनिश्चित करेगी कि अत्याधुनिक अनुसंधान शोधकर्ताओं, स्टार्टअप, शिक्षाविदों और अन्य हितधारकों के लिए सुलभ हो। यह पहल मूलभूत मॉडल और अनुप्रयोगों सहित एआई-आधारित सिस्टम विकसित करने के लिए जीपीयू तक आसान पहुंच सक्षम करेगी।
भारत विविध और उच्च गुणवत्ता वाले डेटा पर एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए बड़े पैमाने पर गैर-व्यक्तिगत अज्ञात डेटासेट भी विकसित कर रहा है। यह पहल पूर्वाग्रहों को कम करने और सटीकता में सुधार करने में मदद करेगी, जिससे एआई सिस्टम अधिक विश्वसनीय और समावेशी बन जाएगा। ये डेटासेट कृषि, मौसम पूर्वानुमान और यातायात प्रबंधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एआई-संचालित समाधानों को शक्ति प्रदान करेंगे।
सरकार भारत के स्वयं के मूलभूत मॉडल के विकास की सुविधा प्रदान कर रही है, जिसमें बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) और भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप समस्या-विशिष्ट एआई समाधान शामिल हैं। एआई अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कई उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
डीपीआई, डिजीटल नवाचार की रूप रेखा
डीपीआई में भारत के अग्रणी कार्य ने वैश्विक डिजिटल परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से आकार दिया है। कॉर्पोरेट या राज्य-नियंत्रित मॉडल के विपरीत, भारत का सरल सार्वजनिक-निजी दृष्टिकोण आधार, यूपीआई और डिजीलॉकर जैसे प्लेटफॉर्म बनाने के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग करता है। निजी खिलाड़ी डीपीआई के शीर्ष पर उपयोगकर्ता-अनुकूल, एप्लिकेशन-विशिष्ट समाधानों का आविष्कार और निर्माण करते हैं।
इस मॉडल को अब एआई के साथ सुपरचार्ज किया जा रहा है, क्योंकि यूपीआई और डिजीलॉकर जैसे वित्तीय और शासन प्लेटफॉर्म बुद्धिमान समाधानों को एकीकृत करते हैं। भारत के डीपीआई ढांचे में वैश्विक रुचि जी20 शिखर सम्मेलन में स्पष्ट थी, जहां विभिन्न देशों ने इस मॉडल को दोहराने की इच्छा व्यक्त की थी। जापान ने भारत की यूपीआई भुगतान प्रणाली को पेटेंट प्रदान किया है, जो इसकी स्केलेबिलिटी का प्रमाण है।
महाकुंभ और तकनीक का संगम
भारत ने अब तक के सबसे बड़े मानव जमावड़े महाकुंभ 2025 के निर्बाध संचालन के लिए अपने डीपीआई और एआई-संचालित प्रबंधन का लाभ उठाया। प्रयागराज में रेलवे स्टेशनों पर भीड़ के फैलाव को अनुकूलित करने के लिए एआई-संचालित उपकरणों ने वास्तविक समय में रेलवे यात्री आंदोलन की निगरानी की। कुंभ सहा एआई एकीकृत भाषण, आवाज-आधारित खोई और पाई सुविधाएं वास्तविक समय अनुवाद और बहुभाषी सहायता सक्षम की। भारतीय रेलवे और यूपी पुलिस जैसे विभिन्न विभागों के साथ इसके सहयोग ने त्वरित समस्या समाधान के लिए संचार को सुव्यवस्थित किया। डीपीआई का लाभ उठाकरए महाकुंभ 2025 ने तकनीक-सक्षम प्रबंधन के लिए एक वैश्विक बेंचमार्क स्थापित किया है, जिससे यह अधिक समावेशी, कुशल और सुरक्षित हो गया है।
भविष्य के लिए कार्यबल का निर्माण
भारत का कार्यबल इसकी डिजिटल क्रांति के केंद्र में है। देश हर हफ्ते एक वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) जोड़ रहा है, जो वैश्विक अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी विकास के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति को मज़बूत कर रहा है। हालांकि, इस वृद्धि को बनाए रखने के लिए शिक्षा और कौशल विकास में निरंतर निवेश की आवश्यकता होगी।
सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुसार एआईए 5जी और सेमीकंडक्टर डिजाइन को शामिल करने के लिए विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में सुधार करके इस चुनौती का समाधान कर रही है। यह सुनिश्चित करेगा कि स्नातक नौकरी के लिए तैयार कौशल के साथ कार्यबल में प्रवेश करें, जिससे शिक्षा और रोज़गार के बीच संक्रमण का समय कम हो जाएगा।
व्यावहारिक दृष्टिकोण
भारत भविष्य के लिए तैयार कार्यबल का निर्माण कर रहा है, इसलिए इसके एआई नियामक ढांचे को जिम्मेदार तैनाती सुनिश्चित करते हुए नवाचार को बढ़ावा देना चाहिए। ‘भारी-हाथ’ वाले नियामक ढांचे के विपरीत, जो नवाचार को दबाने का जोखिम उठाता है, या ‘बाज़ार-संचालित शासन’ जो अक्सर कुछ लोगों के हाथों में सत्ता केंद्रित करता है, भारत एक व्यावहारिक, तकनीकी-कानूनी दृष्टिकोण का पालन कर रहा है।
एआई से संबंधित जोखिमों को दूर करने के लिए केवल कानून पर निर्भर रहने के बजाय, सरकार तकनीकी सुरक्षा उपायों में निवेश कर रही है। सरकार डीप फेक, गोपनीयता संबंधी चिंताओं और साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए उपकरण विकसित करने के लिए शीर्ष विश्वविद्यालयों और आईआईटी में एआई-संचालित परियोजनाओं का वित्तपोषण कर रही है। जैसे कि एआई वैश्विक उद्योगों को नया आकार दे रहा है, भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट है- नवाचार को बढ़ावा देने वाले नियामक ढांचे को बनाए रखते हुए समावेशी विकास के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना। लेकिन नीतियों और बुनियादी ढांचे से परे, यह परिवर्तन हमारे लोगों के बारे में है।
लेखक भारत सरकार के केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, रेलवे और सूचना और प्रसारण मंत्री हैं

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